“यह मेरा सेवक है। मैं इसे सँभालता हूँ।” मैंने इसे चुना है। मैं इस पर अत्यन्त प्रसन्न हूँ। मैंने इसे अपना आत्मा प्रदान किया है, जिससे यह राष्ट्रों में धार्मिकता का प्रचार करे। यह न तो चिल््लाँता और न शोर मचाता है, और न बाजारों में कोई इसकी आवाज सुनता है। यह न तो कुचला हुआ सरकंडा ही तोड़ता और न धुआँती हुई बत्ती ही बुझाता है। यह ईमानदारी से धार्मिकता का प्रचार करता है। यह न तो थकता और न हिम्मत हारता है, जब तक यह पृथ्वी पर धार्मिकता की स्थापना न करे, क्योंकि समस्त द्वीप उसकी शिक्षा की प्रतीक्षा करते हैं। मैं, प्रभु ने, दया कर तुम को बुलाया और तुम्हारा हाथ पकड़ कर तुम को सँभाला हूँ। मैंने तुम्हारे द्वारा अपनी प्रजा को एक विधान दिया और तुम्हें राष्ट्रों की ज्योति बनाया है, जिससे तुम अंधों को दृष्टि दो, बंदियों को मुक्त करो और अंधकार में रहने वालों को ज्योति प्रदान करो।
प्रभु की वाणी।
1. हे स्वर्गदूतगण ! प्रभु की महिमा का गीत गाओ। उसके सामर्थ्य का बखान करो, उसके महिमामय नाम की स्तुति करो, उसके पवित्र मंदिर में उसकी आराधना करो।
2. प्रभु की वाणी जल पर, महासागर की लहरों पर गरजती है। प्रभु की वाणी शक्तिशाली है, प्रभु की वाणी प्रतापमय है।
3. प्रभु की महिमामय वाणी गरजती है। उसके मंदिर में सब बोल उठते हैं - प्रभु की जय ! प्रभु जल-प्रवाह के ऊपर विराजमान था। प्रभु सदा-सर्वदा राज्य करेगा।
पेत्रुस ने कारनेलियुस और उसके परिवार से कहा, “मैं अब अच्छी तरह समझ गया हूँ कि ईश्वर किसी के साथ पक्षपात नहीं करता। मनुष्य किसी भी राष्ट्र का क्यों न हो, यदि वह ईश्वर पर श्रद्धा रख कर धर्माचरण करता है, तो वह ईश्वर का कृपापात्र बन जाता है। ईश्वर ने इस्राएलियों को अपना संदेश भेजा और हमें येसु मसीह के द्वारा, जो सब के प्रभु हैं, शांति का सुसमाचार सुनाया है। यहूदिया भर में जो हुआ है, उसे आप लोग जानते ही हैं। वह सब गलीलिया में प्रारम्भ हुआ - उस बपतिस्मा के बाद, जिसका प्रचार योहन ने किया था। ईश्वर ने येसु को पवित्र आत्मा और सामर्थ्य से विभूषित किया और वह चारों ओर घूम कर भलाई करते रहे और शैतान के वश में आये हुए लोगों को चंगा करते रहे, क्योंकि ईश्वर उनके साथ था।
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया ! अल्लेलूया ! स्वर्ग खुल गया और पिता-परमेश्वर की यह वाणी सुनाई दी, “यह मेरा परमप्रिय पुत्र है। इसकी सुनो”। अल्लेलूया !
येसु योहन से बपतिस्मा लेने के लिए गलीलिया से यर्दन के तट पर पहुँचे। योहन ने यह कह कर उन्हें रोकना चाहा, “मुझे तो आप से बपतिस्मा लेने की जरूरत है और आप मेरे पास आते हैं?” परन्तु येसु ने उसे उत्तर दिया, “अभी ऐसा ही होने दीजिए। यह हमारे लिए उचित है कि हम इस तरह धर्मविधि पूरी करें।” इस पर योहन ने येसु की बात मान ली। बपतिस्मा के बाद येसु तुरन्त जल से बाहर निकले। उसी समय स्वर्ग खुल गया और उन्होंने ईश्वर के आत्मा को कपोत के रूप में उतरते और अपने ऊपर ठहरते देखा। और स्वर्ग से यह वाणी सुनाई दी, “यह मेरा प्रिय पुत्र है। मैं इस पर अत्यन्त प्रसन्न हूँ।”
प्रभु का सुसमाचार।