प्रभु-प्रकाश के बाद का शुक्रवार

पहला पाठ

सन्त योहन का पहला पत्र 5:5-13

“आत्मा, जल और रक्त।”

कौन संसार पर विजयी है? केवल वही जो यह विश्वास करता है कि येसु ईश्वर के पुत्र हैं। येसु मसीह जल और रक्त से आये हैं - न केवल जल से, बल्कि जल और रक्त से। आत्मा इसके विषय में साक्ष्य देता है, क्योंकि आत्मा सच्चाई है। इस प्रकार ये तीन साक्ष्य देते हैं - आत्मा, जल और रक्त; और तीनों एक ही बात कहते हैं। हम मनुष्यों का साक्ष्य स्वीकार करते हैं, किन्तु ईश्वर का साक्ष्य निश्चय ही कहीं अधिक प्रामाणिक है। ईश्वर ने अपने पुत्र के विषय में साक्ष्य दिया है। जो ईश्वर के पुत्र में विश्वास करता है, उसके हृदय में ईश्वर का वह साक्ष्य विद्यमान है। जो ईश्वर में विश्वास नहीं करता, वह उसे झूठा समझता है; क्योंकि वह पुत्र के विषय में ईश्वर का साक्ष्य स्वीकार नहीं करता। और वह साक्ष्य यह है - ईश्वर ने अपने पुत्र के द्वारा हमें अनन्त जीवन प्रदान किया है। जिसे पुत्र प्राप्त है, उसे वह जीवन प्राप्त है और जिसे पुत्र प्राप्त नहीं है, उसे वह जीवन प्राप्त नहीं। तुम लोग सब ईश्वर के पुत्र के नाम में विश्वास करते हो। मैं तुम्हें यह पत्र लिख रहा हूँ, जिससे तुम यह जान जाओ कि तुम्हें अनन्त जीवन प्राप्त है।प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 147:12-15, 19-20

अनुवाक्य : हें येरुसालेम ! प्रभु की स्तुति कर। (अथवा : अल्लेलूया !)

1. हे येरुसालेम ! प्रभु की स्तुति कर। हे सियोन ! अपने ईश्वर का गुणगान कर। उसने तेरे फाटकों के छड़ दृढ़ बना दिये, उसने तेरे यहाँ के बच्चों को आशीर्वाद दिया।

2. वह तेरे प्रान्तों में शांति बनाये रखता और तुझे उत्तम गेहूँ से तृप्त करता है। वह पृथ्वी को अपना आदेश देता है। उसकी वाणी शीघ्र ही फैल जाती है।

3. वह याकूब को अपना आदेश देता और इस्राएल को अपना विधान और नियम बताता है, उसने किसी अन्य राष्ट्र के साथ ऐसा नहीं किया; उसने किसी को अपना नियम नहीं सिखाया।

जयघोष : मत्ती 4:23

अल्लेलूया ! येसु राज्य के सुसमाचार का प्रचार करते और लोगों की हर तरह की बीमारी दूर करते थे। अल्लेलूया !

सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 5:12-16

“उसी क्षण उसका कोढ़ दूर हो गया।”

किसी नगर में येसु के पास एक मनुष्य आया, जिसका शरीर कोढ़ से भरा हुआ था। वह येसु को देख कर मुँह के बल गिर पड़ा और विनय करते हुए यह बोला, “'प्रभु ! आप चाहें तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं।” येसु ने हाथ बढ़ा कर यह कहते हुए उसका स्पर्श किया, “मैं यही चाहता हूँ - शुद्ध हो जाओ'”। उसी क्षण उसका कोढ़ दूर हो गया। येसु ने उसे किसी से कुछ न कहने का आदेश दिया और कहा, “जा कर अपने को याजक को दिखाओ और अपने शुद्धीकरण के लिए मूसा द्वारा निर्धारित भेंट चढ़ाओ, जिससे तुम्हारा स्वास्थ्यलाभ प्रमाणित हो जाये।” येसु की ख्याति बढ़ती जा रही थी। भीड़ की भीड़ उनका उपदेश सुनने के लिए और अपने रोगों से छुटकारा पाने के लिए उनके पास आती थी। परन्तु वह अलग जा कर एकांत स्थानों में प्रार्थना किया करते थे।

प्रभु का सुसमाचार।