प्रभु-प्रकाश के बाद का बुधवार

पहला पाठ

सन्त योहन का पहला पत्र 4:11-18

“यदि हम एक दूसरे को प्यार करते हैं, तो ईश्वर हम में निवास करता है।''

प्रिय भाइयों ! यदि ईश्वर ने हम को इतना प्यार किया है, तो हम को भी एक दूसरे को प्यार करना चाहिए। ईश्वर को किसी ने कभी देखा नहीं। यदि हम एक दूसरे को प्यार करते हैं, तो ईश्वर हम में निवास करता है और ईश्वर के प्रति हमारा प्रेम पूर्णता प्राप्त करता है। यदि वह इस प्रकार हमें अपना आत्मा प्रदान करता है, तो हम जान जाते हैं कि हम उस में और वह हम में निवास करता है। पिता ने संसार के मुक्तिदाता के रूप में अपने पुत्र को भेजा है - हमने यह देखा है और हम इसका साक्ष्य देते हैं। जो कोई यह स्वीकार करता है कि येसु ईश्वर के पुत्र हैं, ईश्वर उस में निवास करता है और वह ईश्वर में। इस प्रकार हम अपने प्रति ईश्वर का प्रेम जान गये और इस में विश्वास करते हैं। ईश्वर प्रेम है और जो प्रेम में बना रहता हैं, वह ईश्वर में और ईश्वर उस में निवास करता है। हमारा प्रेमः पूर्णता प्राप्त कर चुका है, यदि हम पूरे भरोसे के साथ न्याय के दिन की प्रतीक्षा करते हैं, क्योंकि हम इस संसार में मसीह के अनुरूप आचरण करते हैं। प्रेम में भय नहीं होता। पूर्ण प्रेम भय दूर करता है, क्योंकि भय में दण्ड की आशंका रहती है और जो डरता है, उसका प्रेम पूर्णता तक नहीं पहुँचा है।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 71:2,10-13

अनुवाक्य : हे प्रभु ! सभी राष्ट्र तुझे दण्डवत्‌ करेंगे।

1. हे ईश्वर ! राजा को अपना न्याय-अधिकार, राजपुत्र को अपनी न्यायशीलता प्रदान कर, जिससे वह तेरी प्रजा का न्यायपूर्वक शासन करें और पद्दलितों की रक्षा करें।

2. तरशीश और द्वीपों के राजा उन्हें उपहार देने आयेंगे। सबा और सेबा के राजा उन्हें भेंट चढ़ायेंगे। पृथ्वी के सभी राजा उन्हें दण्डवत्‌ करेंगे, सभी राष्ट्र उनके अधीन रहेंगे।

3. वह दुहाई देने वाले दरिद्रों और पद्दलितों की रक्षा करेंगे। वह निस्सहाय और दरिद्र पर तरस खा कर पद्दलितों के प्राण बचायेंगे।

जयघोष : 1 तिम० 3:16

अल्लेलूया ! मसीह की जय ! गैरयहूदियों में उनका प्रचार हो चुका है। मसीह की जय ! संसार उन में विश्वास करता है। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 6:45-52

“उन्होंने येसु को समुद्र पर चलते हुए देखा।”

जब पाँच हजार पुरुष रोटी खा कर तृप्त हो गये थे, तो येसु तुरन्त अपने शिष्यों को इसके लिए बाध्य किया कि वे नाव पर चढ़ कर उन से पहले उस पार, बेथसाइदा चले जायें; इतने में वह स्वयं लोगों को विदा कर देगें। येसु लोगों को विदा कर पहाड़ी पर प्रार्थना करने लगे। संध्या हो गयी थी। नाव समुद्र के बीच में थी और येसु अकेले स्थल पर थे। येसु ने देखा कि शिष्य बड़े परिश्रम से नाव खे रहे हैं, क्योंकि वायु प्रतिकूल थी; इसलिए वह लगभग रात के चौथे पहर समुद्र पर चलते हुए उनकी ओर आये और उन से कतरा कर आगे बढ़ना चाहते थे। शिष्यों ने उन्हें समुद्र पर चलते देखा। वे उन्हें प्रेत समझ कर चिल्लाने लगे, क्योंकि सब के सब उन्हें देख कर घबरा गये। येसु ने तुरन्त उन से कहा, “धीरज धरो, मैं ही हूँ। डरो मत।” तब वह उनके पास आ कर नाव पर चढ़े और वायु थम गयी। शिष्य आश्चर्यचकित रह गये, क्योंकि वे अपनी बुद्धि की जड़ता के कारण रोटियों के चमत्कार का अर्थ नहीं समझ पाये थे।

प्रभु का सुसमाचार।