01 जनवरी : ईश्वर की माता मरियम का समारोह

पहला पाठ

ईश्वर की माता मरियम सब नारियों में धन्य है। उनके द्वारा समस्त मानवजाति को ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होगा। अब पुरोहितों द्वारा यहूदियों को दिया जाने वाला आशीर्वाद पढ़ कर सुनाया जायेगा।

गणना-ग्रंथ 6:22-27

“वे इस्त्राएलियों के लिए मुझ से प्रार्थना करेंगे और मैं उन्हें आशीर्वाद प्रदान करूँगा।”

प्रभु ने मूसा से कहा, '“हारून और उसके पुत्रों से कहो - तुम इस्राएलियों को आशीर्वाद देते समय यह कहोगे : “प्रभु तुम लोगों को आशीर्वाद प्रदान करे और सुरक्षित रखे। प्रभु तुम लोगों पर प्रसन्न हो और तुम पर दया करे। प्रभु तुम लोगों पर दयादृष्टि करे और तुम्हें शांति प्रदान करे।” वे इस प्रकार इस्राएलियों के लिए मुझ से प्रार्थना करें और मैं उन्हें आशीर्वाद प्रदान करूँगा।”

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 66:2-3,5,6,8

अनुवाक्य : हे ईश्वर ! हम पर दया कर और हमें आशीर्वाद दे।

1. हे ईश्वर ! हम पर दया कर और हमें आशीर्वाद दे। हम पर प्रसन्न हो कर दयादृष्टि कर। पृथ्वी के निवासी तेरा मार्ग समझ लें। सभी राष्ट्र तेरा मुक्ति-विधान जान जायें।

2. सभी राष्ट्र उल्लसित हो कर आनन्द मनायें, क्योंकि तू न्यायपूर्वक संसार का शासन करता है। तू निष्पक्ष हो कर पृथ्वी के देशों का शासन करता और सभी राष्ट्रों का संचालन करता है।

3. हे ईश्वर ! हे तेरी स्तुति करें, सभी राष्ट्र तेरी महिमा गायें। ईश्वर हमें आशीर्वाद प्रदान करता रहे और समस्त पृथ्वी उस पर श्रद्धा रखे।

दूसरा पाठ

मरियम द्वारा ईश्वर ने हमें अपने पुत्र को दिया। उस पुत्र द्वारा हम ईश्वर की सन्तान बन गये हैं। अब हम ईश्वर को सचमुच 'पिता'” कह कर पुकार सकते हैं।

गलातियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 4:4-7

“ईश्वर ने अपने पुत्र को भेजा। वह एक नारी से उत्पन्न हुए।''

समय पूरा हो जाने पर ईश्वर ने अपने पुत्र को भेजा। वह एक नारी से उत्पन्न हुए और संहिता के अधीन रहे, जिससे वह संहिता के अधीन रहने वालों को छुड़ा सकें और हम ईश्वर के दत्तक पुत्र बन जायें। आप लोग पुत्र ही हैं। इसका प्रमाण यह है कि ईश्वर ने हमारे हदयों में अपने पुत्र का आत्मा भेजा है, जो यह पुकार कर कहता है - “अब्बा ! पिता !'' इसलिए आब आप दास नहीं, पुत्र हैं और पुत्र होने के नाते आप ईश्वर की कृपा से विरासत के अधिकारी भी हैं।

प्रभु की वाणी।

जयघोष : इब्रा० 1:1-2

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! प्राचीन काल में ईश्वर बारम्बार और विविध रूपों में हमारे पुरखों से नबियों द्वारा बोला था। अब अन्त में वह हम से पुत्र द्वारा बोला है। अल्लेलूया !

सुसमाचार

सुसमाचार में लिखा है कि मरियम “उन सब बातों को अपने हदय में रख कर उन पर विचार किया करती थी।” हम मरियम के साथ ईश्वर की कृपा पर श्रद्धापूर्वक विचार करें।

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 2:16-21

“उन्होंने मरियम, यूसुफ़ तथा बालक को पाया। आठवें दिन उसका नाम येसु रखा गया।''

चरवाहे शीघ्र ही चल पड़े और उन्होंने मरियम, यूसुफ तथा चरनी में लेटे हुए बालक को पाया। उसे देखने के बाद उन्होंने बताया कि इस बालक के विषय में उन से क्या-क्या कहा गया है। सभी सुनने वाले चरवाहों की बातों पर चकित हो जाते थे। मरियम उन सब बातों को अपने हदय में रख कर उन पर विचार किया करती थी। जैसा चरवाहों से कहा गया था, वैसा ही उन्होंने सब कुछ देखा और सुना; इसलिए वे ईश्वैर का गुणगान और स्तुति करते हुए लौट गये। अब आठवें दिन बालक के खतने का समय आया, तो उसका नाम येसु रखा गया। स्वर्गदूत ने गर्भाधान के पहले ही उसे वहीं नाम दिया था।

प्रभु का सुसमाचार।