19 दिसम्बर

पहला पाठ

न्यायकर्ताओं का ग्रन्थ 13:2-7,24-25

समसोन के जन्म का संदेश।

सोरआ में दान वंश का मानोअह नामक मनुष्य रहता था। उसकी पत्नी बाँझ थी। उसकी कभी सन्तान नहीं हुई थी। प्रभु का दूत उसे दिखाई दिया और उस से यह बोला, "आप बाँझ हैं। आपकी कभी सन्तान नहीं हुई। किन्तु अब आप गर्भवती होंगी और पुत्र प्रसव करेंगी। आप सावधान रहें- आप न तो अंगूरी या मदिरा पियें और न कोई अपवित्र वस्तु खायें, क्योंकि आप गर्भवती होंगी और पुत्र प्रसव करेंगी। बालक के सिर पर उस्तरा नहीं चलाया जायेगा, क्योंकि वह अपनी माता के गर्भ से ही ईश्वर को समर्पित होगा। फ़िलिस्तियों के हाथों से इस्राएल का उद्धार उसी से प्रारम्भ होगा।" वह स्त्री अपने पति को यह बात बताने गयी। उसने कहा, "ईश्वर की ओर से एक पुरुष मेरे पास आया। उसका रूप स्वर्गदूत की तरह अत्यन्त प्रभावशाली था। मुझे उस से यह पूछने का साहस नहीं हुआ कि आप कहाँ से आ रहे हैं और उन्होंने मुझे अपना नाम नहीं बताया। उसने मुझ से यह कहा, 'आप गर्भवती होंगी और पुत्र प्रसव करेंगी। आप अब से न तो अंगूरी या मदिरा पियें और न कोई अपवित्र वस्तु खायें। बालक अपनी माता के गर्भ से अपनी मृत्यु के दिन तक ईश्वर को समर्पित होगा।" उस स्त्री ने पुत्र प्रसव किया और उसका नाम समसोन रखा। बालक बढ़ता गया और उसे प्रभु का आशीर्वाद मिलता रहा। बाद में, सोरआ और एश्ताओल के बीच के महनेदान में, प्रभु का आत्मा उसे प्रेरित करने लगा।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 70:3-6,16-17

अनुवाक्य : मैं दिन भर तेरी स्तुति करता और तेरी महिमा के गीत गाता हूँ।

1. तू मेरे लिए आश्रय की चट्टान और रक्षा का शक्तिशाली गढ़ बन जा, क्योंकि तू ही मेरी चट्टान और मेरा गढ़ है। तू दुष्टों के हाथ से छुड़ा।

2. हे प्रभु! तू ही मेरा आसरा। मैं बचपन से तुझ पर ही भरोसा रखता हूँ। मैं जन्म से तुझ पर ही निर्भर रहा हूँ, माता के गर्भ से मुझे तेरा सहारा मिला है।

3. मैं प्रभु के महान् कार्यों का बखान करूँगा, मैं तेरी न्यायप्रियता घोषित करूँगा। हे प्रभु! मुझे बचपन से ही तेरी शिक्षा मिली है। मैं अब तक तेरे महान् कार्य घोषित करता रहा हूँ।

जयघोष

अल्लेलूया ! हे येस्से के वंशज ! राष्ट्रों की ज्योति ! हमें बचाने आने में देर न कर। अल्लेलूया !

सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 1:5-25

योहन बपतिस्ता के जन्म का सन्देश।

यहूदिया के राजा हेरोद के समय अबियस के दल का ज़करियस नामक एक याजक था। उसकी पत्नी हारून वंश की थी और उसका नाम एलीज़बेथ था। वे दोनों ईश्वर की दृष्टि में धार्मिक थे- वे प्रभु की सब आज्ञाओं और नियमों का निर्दोष अनुसरण करते थे। उनकी कोई सन्तान नहीं थी, क्योंकि एलीज़बेथ बाँझ थी और दोनों बूढ़े हो चले थे। ज़करियस नियुक्ति के क्रम से अपने दल के साथ याजक का कार्य कर रहा था। किसी दिन याजकों की प्रथा के अनुसार उसके नाम चिट्ठी निकली कि वह प्रभु के मंदिर में प्रवेश कर धूप जलाये। धूप जलाने के समय सारी जनता बाहर प्रार्थना कर रही थी। उस समय प्रभु का दूत उसे धूप की वेदी की दायीं ओर दिखाई दिया। ज़करियस स्वर्गदूत को देख कर घबरा गया और भयभीत हो उठा; परन्तु स्वर्गदूत ने उस से कहा, "ज़करियस ! डरिए नहीं। आपकी प्रार्थना सुनी गयी है - आपकी पत्नी एलीज़बेथ के एक पुत्र उत्पन्न होगा, आप उसका नाम योहन रखेंगे। आप आनन्दित और उल्लसित हो उठेंगे और उसके जन्म पर बहुत-से लोग आनन्द मनायेंगे। वह प्रभु की दृष्टि में महान् होगा, अंगूरी और मदिरा नहीं पियेगा, अपनी माता के गर्भ में ही वह पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जायेगा और इस्राएल के बहुत से लोगों का मन उनके प्रभु ईश्वर की ओर उन्मुख करेगा। वह एलियस के मनोभाव और सामर्थ्य में प्रभु के आगे चलेगा, जिससे वह पिता और पुत्र का मेल कराये, स्वेच्छाचारियों को धर्मियों की सद्बुद्धि प्रदान करे और प्रभु के लिए एक सुयोग्य प्रजा तैयार करे। पर ज़करियस ने स्वर्गदूत से कहा, "इस पर मैं कैसे विश्वास करूँ? क्योंकि मैं तो बूढ़ा हूँ और मेरी पत्नी बूढ़ी हो चली है।" स्वर्गदूत ने उसे उत्तर दिया, "मैं गाब्रिएल हूँ - ईश्वर के सामने उपस्थित रहता हूँ। मैं आप से बातें करने और आप को यह शुभ समाचार सुनाने भेजा गया हूँ। देखिए, जिस दिन तक ये बातें पूरी नहीं होंगी, उस दिन तक आप गूँगे बने रहेंगे और बोल नहीं सकेंगे; क्योंकि आपने मेरी बातों पर, जो अपने समय पर पूरी होंगी, विश्वास नहीं किया।" जनता ज़करियस की बाट जोह रही थी और आश्चर्य कर रही थी कि वह मंदिर में इतनी देर क्यों लगा रहा है। बाहर निकलने पर जब वह उन से बोल नहीं सका, तो वे समझ गये कि उसे मंदिर में कोई दिव्य दर्शन हुआ है। वह उन से इशारा करता जाता था, और गूँगा ही रह गया। अपने सेवा के दिन पूरे हो जाने पर वह अपने घर चला गया। कुछ समय बाद उसकी पत्नी एलीजबेथ गर्भवती हो गयी। उसने पाँच महीने तक अपने को यह कह कर छिपाये रखा, 'यह प्रभु का वरदान है। उसने समाज में मेरा कलंक दूर करने की कृपा की है।"

प्रभु का सुसमाचार।