आगमन का तीसरा सप्ताह - शुक्रवार

पहला पाठ

नबी इसायस का ग्रन्थ 56:1-3,6-8

"मेरा घर सब राष्ट्रों का प्रार्थनागृह कहलायेगा।"

प्रभु यह कहता है, न्याय बनाये रखो और धर्म का पालन करो, क्योंकि मुक्ति निकट है और मेरी न्यायप्रियता शीघ्र ही प्रकट हो जायगी। धन्य है वह मनुष्य, जो धर्माचरण करता है और उस में दृढ़ रहता है; जो विश्राम दिवस को अपवित्र नहीं करता और हर प्रकार का पाप छोड़ देता है। परदेशी का जो पुत्र प्रभु का अनुयायी बन गया है, वह यह न कहे कि प्रभु मुझे अपनी प्रजा से अवश्य अलग कर देगा। जो विदेशी प्रभु के अनुयायी बन गये हैं, जिससे वे उसकी सेवा करें, उसका नाम लेते रहें और उसके भक्त बन जायें और वे सब, जो विश्राम-दिवस मनाते हैं और उसे अपवित्र नहीं करते - मैं उन लोगों को अपने पवित्र पर्वत तक ले जाऊँगा, मैं उन्हें अपने प्रार्थनागृह में आनन्द प्रदान करूँगा। मैं अपनी वेदी पर उनके होम और बलिदान स्वीकार करूँगा, क्योंकि मेरा घर सब राष्ट्रों का प्रार्थनागृह कहलायेगा। बिखरे हुए इस्राएलियों को एकत्र करने वाला प्रभु ईश्वर यह कहता है, "एकत्र किये हुए लोगों के सिवा मैं दूसरों को भी एकत्र करता जाऊँगा।"

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 66:2-3,5,7-8

अनुवाक्य : हे ईश्वर ! राष्ट्र तुझे धन्य कहें, सभी राष्ट्र तेरी स्तुति करें। प्रभु की वाणी है।

1. हे ईश्वर ! हम पर दया कर और हमें आशिष दे, हम पर प्रसन्न हो कर दयादृष्टि कर। पृथ्वी के निवासी तेरा मार्ग समझ लें, सभी राष्ट्र तेरा मुक्ति-विधान जान जायें।

2. सभी राष्ट्र उल्लसित हो कर आनन्द मनायें, क्योंकि तू न्यायपूर्वक संसार का शासन करता है। तू निष्पक्ष हो कर पृथ्वी के देशों का शासन करता और सभी राष्ट्रों का संचालन करता है।

3. पृथ्वी ने फल उत्पन्न किया है, क्योंकि ईश्वर ने हमें आशीर्वाद दिया है। ईश्वर हमें आशीर्वाद प्रदान करता रहे और समस्त पृथ्वी उस पर श्रद्धा रखे।

जयघोष

अल्लेलूया ! हे प्रभु ! हमें शांति प्रदान करने आ, जिससे हम तेरे सामने निष्कपट हृदय से आनन्द मना सकें। अल्लेलूया !

सुसमाचार

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 5:33-36

"योहन एक जलता और चमकता हुआ दीपक था।"

येसु ने यहूदियों से कहा, "तुम लोगों ने योहन से पुछवाया और उसने सत्य के संबंध में साक्ष्य दिया है। मुझे किसी मनुष्य के साक्ष्य की आवश्यकता नहीं। यह तो मैं इसलिए कहता हूँ कि तुम लोग मुक्ति पा सको। योहन एक जलता और चमकता हुआ दीपक था। उसकी ज्योति में थोड़ी देर तक आनन्द मनाना तुम लोगों को अच्छा लगा। परन्तु मुझे जो साक्ष्य प्राप्त है, वह योहन के साक्ष्य से भी महान् है। पिता ने जो कार्य मुझे पूरा करने को सौंपे हैं, जो कार्य मैं करता हूँ, वे ही मेरे विषय में यह साक्ष्य देते हैं कि पिता ने मुझे भेजा है। "

प्रभु का सुसमाचार।