आगमन का तीसरा सप्ताह - बृहस्पतिवार

पहला पाठ

नबी इसायस का ग्रन्थ 54:1-10

"प्रभु तुझे परित्यक्ता की तरह वापस बुलाता है।”

बन्ध्या ! तुमने कभी पुत्र नहीं जना, अब आनन्द मनाओ। तुमने प्रसव पीड़ा का अनुभव नहीं किया, उल्लास के गीत गाओ क्योंकि प्रभु यह कहता है- विवाहिता की अपेक्षा परित्यक्ता के अधिक पुत्र होंगे। अपने शिविर का क्षेत्र बढ़ाओ, अपने तम्बू के कपड़े फैला दो, उसके रस्से और लम्बे करो, उसकी खूँटियाँ और दृढ़ करो। क्योंकि तुम दायें और बायें फैलोगी, तुम्हारा वंश राष्ट्रों को अपने अधीन करेगा और तुम्हारी सन्तति उजाड़ नगरों में बस जायेगी। डरो मत - तुम्हें निराशा नहीं होगी। घबराओ मत - तुम्हें लज्जित नहीं होना पड़ेगा। तुम अपनी तरुणाई का कलंक भूल जाओगी, तुम्हें अपने विधवापन की निन्दा याद नहीं रहेगी। येरुसालेम ! तेरा सृष्टिकर्ता ही तेरा पति है। उसका नाम है- विश्वमण्डल का प्रभु। इस्राएल का परमपावन ईश्वर तेरा उद्धार करेगा; वह समस्त पृथ्वी का ईश्वर कहलाता है। येरुसालेम ! परित्यक्ता स्त्री की तरह दुःख की मारी ! प्रभु तुझे वापस बुलाता है। क्या कोई अपनी तरुणाई की पत्नी को भुला सकता है? यह तेरे ईश्वर का कहना है। मैंने थोड़ी ही देर तक तुझे छोड़ दिया था, अब मैं, तरस खा कर, तुझे अपने यहाँ ले जाऊँगा। मैंने क्रोध के आवेश में क्षण भर तुझ से मुँह फेर लिया था, अब मैं अनन्त प्रेम से तुझ पर दया करता रहूँगा। यह तेरे उद्धारकर्ता ईश्वर का कहना है। नूह के समय मैंने शपथ खा कर कहा था कि प्रलय की बाढ़ फिर पृथ्वी पर नहीं आयेगी, उसी तरह मैं शपथ खा कर कहता हूँ कि मैं फिर तुम पर क्रोध नहीं करूँगा और फिर तुझे धमकी नहीं दूँगा। चाहे पहाड़ टल जाये और पहाड़ियाँ डाँवाडोल हो जायें, किन्तु तेरे प्रति मेरा प्रेम नहीं टल जायेगा, और तेरे लिए मेरा शांति- विधान डाँवाडोल नहीं हो जायेगा। यह तुझ पर तरस खाने वाले प्रभु का कहना है।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 29:2,4-6,11-13

अनुवाक्य : हे प्रभु! मैं तेरी स्तुति करूँगा। तूने मेरा उद्धार किया।

1. हे प्रभु! मैं तेरी स्तुति करूँगा। तूने मेरा उद्धार किया। तूने मेरे शत्रुओं को मुझ पर हँसने नहीं दिया। हे प्रभु! तूने मेरी आत्मा को अधोलोक से निकाला, तूने मुझे बचा लिया है।

2. प्रभु के भक्त उसके आदर में गीत गायें और उसके पवित्र नाम की महिमा करें। उसका क्रोध क्षण भर का है, किन्तु उसकी कृपा जीवन भर बनी रहती है। संध्या को भले ही रोना पड़े, किन्तु प्रात:काल आनन्द ही आनन्द होता है।

3. हे प्रभु! मेरी सुन ! मुझ पर दया कर। हे प्रभु! मेरी सहायता कर। तूने मेरा शोक आनन्द में बदल दिया है। हे प्रभु, मेरे ईश्वर! मैं अनन्तकाल तक तेरी स्तुति करूँगा।

जयघोष : लूकस 3:4,6

अल्लेलूया ! प्रभु का मार्ग तैयार करो; उसके पथ सीधे कर दो। सब शरीरधारी ईश्वर के मुक्ति - विधान के दर्शन करेंगे। अल्लेलूया !

सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार: 7:24-30

“योहन प्रभु का दूत है, जो उसका मार्ग तैयार करता है।”

योहन द्वारा भेजे हुए शिष्यों के चले जाने के बाद येसु लोगों से योहन के विषय में कहने लगे, " तुम निर्जन प्रदेश में क्या देखने गये थे? हवा से हिलते हुए सरकंडे को? नहीं! तो, तुम क्या देखने गये थे? बढ़िया कपड़े पहने मनुष्य को? नहीं ! कीमती वस्त्र पहनने वाले और भोग-विलास में जीवन बिताने वाले महलों में रहते हैं। आखिर तुम क्या देखने निकले थे? किसी नबी को? निश्चय हीं ! मैं तुम से कहता हूँ- नबी से भी महान् व्यक्ति को। यह वही है, जिसके विषय में लिखा है - देखो, मैं अपने दूत को तुम्हारे आगे भेजता हूँ, वह तुम्हारे आगे तुम्हारा मार्ग तैयार करेगा। मैं तुम से कहता हूँ, मनुष्यों में योहन बपतिस्ता से बड़ा कोई भी नहीं। फिर भी, ईश्वर के राज्य में जो सब से छोटा है, वह योहन से बड़ा है।" सारी जनता और नाकेदारों ने भी योहन की बात सुन कर और उसका बपतिस्मा ग्रहण कर ईश्वर की इच्छा पूरी की, परन्तु फ़रीसियों और शास्त्रियों ने उसका बपतिस्मा ग्रहण न कर अपने विषय में ईश्वर का आयोजन व्यर्थ कर दिया। "

प्रभु का सुसमाचार।