आगमन का तीसरा सप्ताह - बुधवार

पहला पाठ

नबी इसायस का ग्रन्थ 45:6-8,8,21-26

"स्वर्ग ! ओस की बूँदों की तरह धार्मिकता बरसाओ।"

मैं ही प्रभु हूँ, कोई दूसरा नहीं है। मुझे छोड़ कर कोई दूसरा ईश्वर नहीं है। मैं प्रकाश और अन्धकार, दोनों की सृष्टि करता हूँ। मैं सुख भी देता और दुःख भी भेजता हूँ। मैं, प्रभु, यह सब करता हूँ। स्वर्ग ! धार्मिकता बरसाओ - ओस की बूँदों की तरह, बादलों के जल की तरह। धरती खुल कर उसे ग्रहण करे - मुक्ति का अंकुर फूट निकले और धार्मिकता फले-फूले। मैं प्रभु ने इसकी सृष्टि की है। प्रभु-ईश्वर, आकाश के सृष्टिकर्त्ता ने पृथ्वी को गढ़ कर बनाया और उसकी सुदृढ़ नींव डाली है। उसने उसे इसलिए नहीं बनाया कि वह उजाड़ रहे, बल्कि इसलिए कि लोग उस पर बस जायें। वही प्रभु कहता है- मैं ही प्रभु हूँ, कोई दूसरा नहीं है। क्या मैं प्रभु नहीं हूँ? मुझे छोड़ कर कोई दूसरा ईश्वर नहीं है। मुझे छोड़ कर कोई न्यायी और उद्धारकर्त्ता ईश्वर नहीं है। पृथ्वी के सीमान्तों से मेरे पास आओ और तुम मुक्ति प्राप्त करोगे, क्योंकि मुझे छोड़ कर कोई ईश्वर नहीं। मेरे मुख से निकलने वाला शब्द सच्चा और अपरिवर्तनीय है। मैं शपथ खा कर यह कहता हूँ : हर घुटना मेरे सामने झुकेगा, हर कंठ मेरे नाम की शपथ लेगा। सब लोग मेरे विषय में कहेंगे- प्रभु ही में न्याय दिलाने का सामर्थ्य है। जो उस से बैर करते थे, वे सब लज्जित हो कर उसके पास आयेंगे। इस्राएल की समस्त प्रजा प्रभु द्वारा विजयी होगी और प्रभु पर गौरव करेगी।

प्रभु की वाणी।

भंजन : स्तोत्र 84:9-14

अनुवाक्य : धार्मिकता उतरे आकाश की ओस की तरह, बादलों की वर्षा की तरह। (इसा० 45:8)

1. प्रभु - ईश्वर जो कुछ कहता है, मैं उसे ध्यान से सुनूँगा। वह अपनी प्रजा को, अपने भक्तों को शांति का संदेश सुनाता हैI जो उस पर श्रद्धा रखते हैं, उनके लिए मुक्ति निकट है। उसकी महिमा हमारे देश में निवास करेगी।

2. दया और सच्चाई, न्याय और शांति- ये एक दूसरे से मिल जायेंगे। सच्चाई पृथ्वी पर पनपने लगेगी और न्याय स्वर्ग से हम पर दयादृष्टि करेगा।

3. प्रभु हमें सुख-शांति प्रदान करेगा और पृथ्वी फल उत्पन्न करेगी। न्याय उसके आगे-आगे चलेगा और शांति उसके पीछे-पीछे आती रहेगी।

जयघोष : इसा० 40:9-10

अल्लेलूया ! शुभ संदेश सुनाने वाले ! अपनी आवाज ऊँचा कर दो। प्रभु ईश्वर सामर्थ्य के साथ आ रहा है। अल्लेलूया !

सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 7:19-23

"तुमने जो सुना और देखा है, उसे योहन को बता दो।"

योहन ने अपने दो शिष्यों को बुला कर येसु के पास यह पूछने भेजा, "क्या आप ही वह हैं, जो आने वाले हैं या हम किसी दूसरे की प्रतीक्षा करें?" इन दो शिष्यों ने येसु के पास आ कर कहा, "योहन बपतिस्ता ने हमें आपके पास यह पूछने भेजा है - क्या आप ही वह हैं, जो आने वाले हैं या हम किसी दूसरे की प्रतीक्षा करें?" उसी समय येसु बहुतों को बीमारियों, कष्टों और अपदूतों से मुक्त कर रहे थे और बहुत-से अंधों को दृष्टि प्रदान कर रहे थे। उन्होंने योहन के शिष्यों से कहा, "जाओ, जो कुछ तुमने सुना और देखा है, उसे योहन को बता दो - अंधे देखते हैं, लँगड़े चलते हैं, कोढ़ी शुद्ध किये जाते हैं, बहरे सुनते हैं, मुरदे जिलाये जाते हैं, दरिद्रों को सुसमाचार सुनाया जाता है और धन्य है वह जिसका विश्वास मुझ पर से नहीं उठता !"

प्रभु का सुसमाचार।