आगमन का तीसरा इतवार - वर्ष C

पहला पाठ

नबी सफन्या यहूदियों को समझाता है कि उन्हें नहीं डरना चाहिए। प्रभु उनकी रक्षा करेगा और इसलिए उन्हें आनन्द मनाना चाहिए। जो ईश्वर पर दृढ़ विश्वास करता है, वह हिम्मत नहीं हारता।

नबी सफन्या का ग्रंथ 3:14-18

"प्रभु उत्सव के दिन की तरह तेरे कारण आनन्द-विभोर हो जायेगा।"

हे सियोन की पुत्री ! आनन्द का गीत गा। इस्राएल ! जयकार करो ! हे येरुसालेम की पुत्री ! सारे हृदय से आनन्द मना प्रभु ने तेरा दण्डादेश रद्द किया, और तेरे शत्रुओं को भगा दिया है। प्रभु तेरे बीच इस्राएल का राजा है। विपत्ति का डर तुझ से दूर हो गया है। उस दिन येरुसालेम से यह कहा जायेगा "हे सियोन ! नहीं डरना, हिम्मत नहीं हारना। तेरा प्रभु – ईश्वर तेरे बीच है, वह विजयी योद्धा है। वह तेरे कारण आनन्द मनायेगा, वह अपने प्रेम से तुझे नवजीवन प्रदान करेगा, वह उत्सव के दिन की तरह तेरे कारण आनन्द-विभोर हो जायेगा।"

प्रभु की वाणी।

भजन : इसा० 12:2-6

अनुवाक्य : प्रफुल्लित हो कर आनन्द के गीत गाओ। तुम्हारे बीच रहने वाला इस्त्राएल का परमपावन ईश्वर महान् है।

1. ईश्वर मेरा उद्धार करेगा। वही मेरा भरोसा है। अब मैं नहीं डरूँगा, क्योंकि प्रभु मेरा बल है और मेरे गीत का विषय। वही मेरा उद्धार करेगा। तुम आनन्दित हो कर मुक्ति के स्रोत में से जल भरोगे।

2. प्रभु का धन्यवाद करो, उसकी दुहाई दो। राष्ट्रों में उसके महान् कार्यों का बखान करो, उसके नाम की महिमा गाओ।

3. प्रभु की स्तुति करो - उसने चमत्कार दिखाये हैं। पृथ्वी भर उनका बखान करने जाओ। सियोन की प्रजा ! प्रफुल्लित हो कर आनन्द के गीत गाओ। तुम्हारे बीच रहने वाला इस्राएल का परमपावन ईश्वर महान् है।

दूसरा पाठ

सन्त पौलुस फिलिप्पी के विश्वासियों को और हमें भी समझाता है कि प्रभु का आगमन निकट है, इसलिए हमें चिन्ता नहीं करनी चाहिए और हर समय खुश रहना चाहिए।

फिलिप्पियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 4:4-7

"प्रभु निकट हैं।"

प्रभु में हर समय खुश रहिए। मैं फिर कहता हूँ, खुश रहिए। सब लोग आपकी सौम्यता जान जायें। प्रभु निकट हैं। किसी बात की चिन्ता मत कीजिए। हर जरूरत में प्रार्थना कीजिए और विनय तथा धन्यवाद के साथ ईश्वर के सामने अपने निवेदन प्रस्तुत कीजिए। और ईश्वर की शांति, जो हमारी समझ से परे है, आपके हृदयों और विचारों को येसु मसीह में सुरक्षित रखेगी।

प्रभु की वाणी।

जयघोष : लूकस 4:18

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! प्रभु का आत्मा मुझ पर छाया रहता है। उसने मुझे दरिद्रों को सुसमाचार सुनाने भेजा है। अल्लेलूया !

सुसमाचार

जब लोग योहन बपतिस्ता से पूछते हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए, तो वह भ्रातृप्रेम के नियम पर चलने की सलाह देते हैं और यह कहते हैं कि वे इस प्रकार अपने को आने वाले मसीह के लिए तैयार करें।

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 3:10-18

"हमें क्या करना चाहिए?"

जनता योहन से पूछती थी, "तो हमें क्या करना चाहिए?" वह उन्हें उत्तर देता था, "जिसके पास दो कुरते हों, वह एक उसे दे दे जिसके पास नहीं है और जिसके पास भोजन है, वह भी ऐसा ही करे"। नाकेदार भी बपतिस्मा ग्रहण करते थे और उस से यह पूछते थे, "गुरु ! हमें क्या करना चाहिए?" वह उन से कहता था, "जितना तुम्हारे लिए नियत है, उस से अधिक मत माँगो'। सिपाही भी उस से पूछते थे, “और हमें क्या करना चाहिए?" वह उन से कहता था, "किसी पर अत्याचार मत करो, किसी पर झूठा दोष मत लगाओ और अपने वेतन से संतुष्ट रहो।" जनता में उत्सुकता बढ़ती जा रही थी और सब योहन के विषय में मन-ही-मन सोच रहे थे कि कही यही तो मसीह नहीं है। इसलिए योहन ने सबों से कहा, "मैं तो तुम लोगों को जल से बपतिस्मा देता हूँ; परन्तु एक आने वाले हैं, जो मुझ से अधिक शक्तिशाली हैं। मैं उनके जूते का फ़ीता खोलने योग्य भी नहीं हूँ। वह तुम लोगों को पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देंगे। वह हाथ में सूप ले चुके हैं, जिससे वह अपना खलिहान ओसा कर साफ करें और अपना गेहूँ बखार में जमा करें। वह भूसी को न बुझने वाली आग में जला देंगे।" इस प्रकार के बहुत-से अन्य उपदेशों द्वारा योहन जनता को सुसमाचार सुनाता था।

प्रभु का सुसमाचार।