आगमन का दूसरा सप्ताह – मंगलवार

पहला पाठ

नबी इसायस का ग्रन्थ 40:1-11

ईश्वर अपनी प्रजा को सांत्वना देता है।

तुम्हारा ईश्वर यह कहता है, "मेरी प्रजा को सांत्वना दो, सांत्वना दो। येरुसालेम को ढारस बँधाओ और पुकार कर उस से यह कहो कि उसके विपत्ति के दिन समाप्त हो गये हैं और उसके पाप का प्रायश्चित हो चुका है। प्रभु ईश्वर के हाथ से उसे सभी अपराधों का पूरा-पूरा दण्ड मिल चुका है।" यह आवाज आ रही है, "निर्जन प्रदेश में प्रभु का मार्ग तैयार करो। हमारे ईश्वर के लिए मैदान में रास्ता सीधा कर दो। हर एक घाटी भर दी जाये। हर एक पहाड़ और पहाड़ी समतल की जाये, खड़ी चट्टान को मैदान और कगार को घाटी बना दिया जाये। तब प्रभु-ईश्वर की महिमा प्रकट हो जायेगी और सब शरीरधारी उसे देखेंगे, क्योंकि प्रभु ने ऐसा ही कहा है।" मुझे एक वाणी यह कहती हुई सुनाई पड़ी - "पुकार कर सुनाओ", और मैंने कहा, “मैं क्या सुनाऊँ?” 'सब शरीरधारी घास के सदृश हैं और उनका सौन्दर्य खेत के फूलों के सदृश। जब प्रभु का श्वास उनका स्पर्श करता है, तो घास सूख जाती और फूल मुरझाता है। निश्चय ही मनुष्य घास के सदृश हैं। घास सूख जाती और फूल मुरझाता हैं, किन्तु हमारे ईश्वर का वचन सदा-सर्वदा बना रहता है। " सियोन को शुभ संदेश सुनाने वाले ! ऊँचे पहाड़ पर चढ़ो। येरुसालेम को शुभ संदेश सुनाने वाले ! अपनी आवाज ऊँची कर दो। निडर हो कर यूदा के नगरों से पुकार कर यह कहो : यही तुम्हारा ईश्वर है। देखो, प्रभु ईश्वर सामर्थ्य के साथ आ रहा और सब कुछ अपने अधीन कर लेगा। वह अपना पुरस्कार अपने साथ ला रहा है और उसका विजयोपहार भी उसके साथ है। वह गड़ेरिये की तरह अपना रेवड़ चराता है, वह मेमने को उठा कर अपनी छाती से लगा लेता और दूध पिलाने वाली भेड़ें धीरे-धीरे ले चलता है।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 95:1,3,10-13

अनुवाक्य : देखो, हमारा ईश्वर सामर्थ्य के साथ आ रहा है। (इसा० 40:10)

1. प्रभु के आदर में नया गीत गाओ। समस्त पृथ्वी प्रभु का भजन सुनाये। भजन गाते हुए प्रभु का नाम धन्य कहो। दिन-प्रतिदिन उसका मुक्ति-विधान घोषित करते जाओ।

2. सभी राष्ट्रों में उसकी महिमा का बखान करो। सभी लोगों को उसके अपूर्व कार्यों का गीत सुनाओ। राष्ट्रों को यह घोषित करो, "प्रभु ही राजा है"। वह न्यायपूर्वक सभी लोगों का विचार करेगा।

3. स्वर्ग में आनन्द हो और पृथ्वी पर उल्लास, सागर की लहरें गरज उठें, खेतों के पौधे हिल जायें और बन के सभी वृक्ष आनन्द के गीत गायें।

4. क्योंकि प्रभु का आगमन निश्चित है। वह पृथ्वी का न्याय करने आ रहा है। वह धर्म और सच्चाई से संसार के राष्ट्रों का शासन करेगा।

जयघोष

अल्लेलूया ! प्रभु का दिन निकट है। देखो, वह हमें बचाने आ रहा है। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 18:12-14

"ईश्वर यह नहीं चाहता कि नन्हों में से एक भी खो जाये।"

येसु ने अपने शिष्यों से कहा, "तुम्हारा क्या विचार है - यदि किसी के एक सौ भेड़ें हों और उन में से एक भी भटक जाये, तो क्या वह उन निन्यानबे भेड़ों को पहाड़ी पर छोड़ कर उस भटकी हुई को खोजने नहीं जायेगा? और यदि वह उसे पाये, तो विश्वास करो कि उसे उन निन्यानबे की अपेक्षा, जो भटकी नहीं थीं, उस भेड़ के कारण अधिक आनन्द होगा। इसी तरह मेरा स्वर्गिक पिता नहीं चाहता कि उन नन्हों में से एक भी खो जाये। "

प्रभु का सुसमाचार।