मरुस्थल और निर्जल प्रदेश आनन्द मनायें। उजाड़ भूमि हर्षित हो कर फले-फूले, वह कुमुदिनी की तरह खिल उठे, वह उल्लास और आनन्द के गीत गाये। उसे लेबानोन का गौरव दिया गया है, कार्मेल तथा शारोन की शोभा। लोग प्रभु की महिमा तथा हमारे ईश्वर के प्रताप के दर्शन करेंगे। थके-माँदे हाथों को शक्ति दो, निर्बल पैरों को सुदृढ़ बना दो। घबराये हुए लोगों से कहो ढारस रखो, डरो मत। देखो, तुम्हारा ईश्वर आ रहा है। वह बदला चुकाने आता है, वह प्रतिशोध लेने आता है, वह स्वयं तुम्हें बचाने आ रहा है। तब अंधों की आँखें देखने और बहरों के कान सुनने लगेंगे। लँगड़ा हिरण की छलाँग भरेगा और गूँगे की जीभ आनन्द का गीत गायेगी। मरुस्थल में जल की धाराएँ फूट निकलेंगी, रेतीले मैदानों में नदियाँ बह जायेंगी, सूखी भूमि झील बन जायेगी और प्यासी धरती में झरने निकलेंगे। जहाँ पहले सियारों की माँद थी, वहाँ सरकंडे और बेंत उपजेंगे। वहाँ एक राजमार्ग बिछा दिया जायगा जो 'पवित्र मार्ग' कहलायेगा, कोई भी पापी उस पर नहीं चलेगा। यह सियोन के लौटने का मार्ग है; नास्तिक भूल कर भी उस पर पैर नहीं रखेंगे। वहाँ न तो कोई सिंह विचरेगा और न कोई हिंसक पशु मिलेगा, बल्कि जिनका उद्धार हो गया है, प्रभु ने जिन्हें मुक्त कर दिया है, वे ही उस पर चलेंगे। वे गाते-बजाते हुए सियोन लौटेंगे, वे चिरस्थायी सुख-शांति ले कर आयेंगे, वे आनन्द और उल्लास के साथ लौटेंगे। दुःख और विलाप का अन्त हो जायेगा।
प्रभु की वाणी।
1. प्रभु - ईश्वर जो कुछ कहता है, मैं उसे ध्यान से सुनूँगा। वह अपनी प्रजा को, अपने भक्तों को तथा पश्चात्तापियों को शांति का संदेश सुनाता है। जो उस पर श्रद्धा रखते हैं, उनके लिए मुक्ति निकट है। उसकी महिमा हमारे देश में निवास करेगी।
2. दया और सच्चाई, न्याय और शांति – ये एक दूसरे से मिल जायेंगे। सच्चाई पृथ्वी पर पनपने लगेगी और न्याय स्वर्ग से हम पर दयादृष्टि करेगा।
3. प्रभु हमें सुख-शांति प्रदान करेगा और पृथ्वी फल उत्पन्न करेगी। न्याय उसके आगे-आगे चलेगा और शांति उसके पीछे-पीछे आती रहेगी।
अल्लेलूया ! देखो, प्रभु, संसार का राजा आयेगा। वह हमारी दासता के बन्धन खोल देगा। अल्लेलूया !
येसु किसी दिन शिक्षा दे रहे थे। फरीसी और शास्त्री पास ही बैठे हुए थे - वे गलीलिया तथा यहूदिया के हर एक गाँव से और येरुसालेम से भी आये थे। प्रभु की शक्ति से प्रेरित हो कर येसु लोगों को चंगा करते थे। उसी समय कुछ लोग खाट पर पड़े हुए एक अर्द्धांगरोगी को ले आये। वे उसे अंदर ले जा कर येसु के सामने रख देना चाहते थे। भीड़ के कारण अर्द्धांगरोगी को भीतर ले जाने का कोई उपाय न देख कर वे छत पर चढ़ गये और उन्होंने खपड़े हटा कर खाट के साथ अर्द्धांगरोगी को लोगों के बीच में येसु के सामने उतार दिया। उनका विश्वास देख कर येसु ने कहा, "भाई ! तुम्हारे पाप क्षमा हो गये हैं"। इस पर शास्त्री और फरीसी सोचने लगे, "ईशनिन्दा करने वाला यह कौन है? ईश्वर के सिवा कौन पाप क्षमा कर सकता है?" उनके ये विचार जान कर येसु ने उन से कहा, 'मन ही मन क्या सोच रहे हो? अधिक सहज क्या है - यह कहना, 'तुम्हारे पाप क्षमा हो गये हैं'; अथवा यह कहना, 'उठो और चलो- फिरो'? परन्तु इस लिए कि तुम लोग यह जान लो कि मानव पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का अधिकार है, ( वह अर्द्धांगरोगी से बोले ) मैं तुम से कहता हूँ, उठो और अपनी खाट उठा कर घर जाओ।” उसी क्षण वह सबों के सामने उठ खड़ा हुआ और अपनी खाट उठा कर ईश्वर की स्तुति करते हुए अपनें घर चला गया। सब के सब विस्मित हो कर ईश्वर की स्तुति करने लगे। उन पर भय छा गया और वे कहने लगे, "आज हमने अद्भुत कार्य देखे हैं।"
प्रभु का सुसमाचार।