आगमन का दूसरा इतवार- वर्ष A

पहला पाठ

येस्से अथवा दाऊद का वंश पूरी तरह नष्ट नहीं होगा, उसकी जड़ से एक अंकुर निकलेगा। यह अंकुर मसीह है, जो दाऊद के वंश में जन्म लेंगे। वह हम पर न्यायपूर्वक शासन करेंगे और सब लोगों को धर्म को शिक्षा देंगे।

नबी इसायस का ग्रंथ 11:1-10

“वह न्यायपूर्वक दीन-दुखियों के मामलों पर विचार करेगा।”

येस्से के धड़ से एक टहनी निकलेगी, उसकी जड़ से एक अंकुर फूटेगा। प्रभु का आत्मा उस पर छाया रहेगा, प्रज्ञा तथा बुद्धि का आत्मा, सुमति तथा धैर्य का आत्मा, ज्ञान तथा ईश्वर-भक्ति का आत्मा, वह प्रभु पर श्रद्धा रखेगा। वह न तो जैसे-तैसे न्याय करेगा, और न सुनी-सुनायी के अनुसार निर्णय देगा। वह न्यायपूर्वक दीन-दुखियों के मामलों पर विचार करेगा और निष्पक्ष हो कर देश के दरिद्रों को न्याय दिलायेगा। वह अपने शब्दों के डंडे से अत्याचारियों को मारेगा और अपने निर्णयों से कुकर्मियों का विनाश करेगा। वह न्याय को वस्त्र की तरह पहन लेगा और सच्चाई को कमरबन्द की तरह धारण करेगा। तब भेडिया मेमने के साथ रहेगा, चीता बकरी की बगल में लेट जायेगा, बछड़ा तथा सिंह-शावक साथ-साथ चरेंगे और बालक उन्हें हाँक कर ले चलेगा। गाय और रीछ में मेल-मिलाप होगा और उनके बच्चे साथ-साथ रहेंगे। सिंह बैल की तरह भूसा खायेगा। दूध-मुँहा बच्चा नाग के बिल के पास खेलता रहेगा, और बालक करैत की बाँबी में हाथ डालेगा। समस्त पवित्र पर्वत पर कोई भी न तो बुराई करेगा और न किसी की हानि, क्योंकि जिस तरह समुद्र जल से भरा हे, उसी तरह देश प्रभु के ज्ञान से भरा होगा। उस दिन, येस्से की सन्तति राष्ट्रों के लिए एक चिह्न बन जायेगी। सभी लोग उसके पास आयेंगे और उसका निवास महिमामय होगा।

प्रभु की वाणी।

भजन - स्तोत्र 71:1-2,7-8,12-13,17

अनुवाक्य : प्रभु के राज्यकाल में न्याय फलेगा-फूलेगा और अपार शांति सदा-सर्वदा छायी रहेगी।

1. हे ईश्वर ! राजा को अपना न््यााय-अधिकार, राज-पुत्र को अपनी न्याय-प्रियता प्रदान कर, जिससे वह तेरी प्रजा पर न्यायपूर्वक शासन करें और पद्दलितों की रक्षा करें।

2. उनके राज्यकाल में न्याय फलेगा-फूलेगा और अपार शांति सदा-सर्वदा छायी रहेगी। उनका राज्य एक समुद्र से दूसरे समुद्र तक, पृथ्वी के सीमान्तों तक फैल जायेगा।

3. वह दुहाई देने वाले दरिद्रों और पद्दलितों की रक्षा करेंगे, निस्सहाय और दरिद्र पर तरस खा कर वह पददलितों के प्राण बचायेंगे।

4. उनका नाम सदा-सर्वदा धन्य हो और सूर्य की तरह बना रहे। वह पृथ्वी के सब निवासियों का कल्याण करेंगे और समस्त राष्ट्र उन्हें धन्य कहेंगे।

दूसरा पाठ

मसीह सब देशों के लोगों को एक कर देते हैं। हम मसीह की शिक्षा के अनुसार एक दूसरे की कमजोरियाँ बरदाश्त करें और इस तरह ईसाई धर्म के प्रचार में हाथ बँटायें।

रोमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 15, 4-9

“मसीह सबों के मुक्तिदाता हैं।”

धर्मग्रंथ में जो कुछ पहले लिखा गया था, वह हमारी शिक्षा के लिए लिखा गया था, ताकि हमें उस से धैर्य तथा सान्त्वना मिलती रहे और इस प्रकार हम अपनी आशा बनाये रख सकें। ईश्वर ही धैर्य तथा सान्त्वना का स्रोत है। वह आप लोगों को यह वरदान दे कि आप मसीह की शिक्षा के अनुसार आपस में मेल-मिलाप बनाये रखें, जिससे आप लोग एकचित्त हो कर एक स्वर से हमारे प्रभु येसु मसीह के ईश्वर तथा पिता की स्तुति करते रहें। जिस प्रकार मसीह ने हमें ईश्वर की महिमा के लिए अपनाया है, उसी प्रकार आप एक दूसरे को भ्रातृभाव से अपनायें। मैं यह कहना चाहता हूँ कि मसीह इसलिए यहूदियों के सेवक बने कि वह पूर्वजों को दी गयी प्रतिज्ञाएँ पूरी कर ईश्वर की सत्यप्रतिज्ञता प्रमाणित करें और इसलिए भी कि गैर-यहूदी, ईश्वर की दया प्राप्त कर, उसकी स्तुति करें, जैसा कि धर्मग्रंथ में लिखा है - इस कारण मैं ग़ैर-यहूदियों के बीच तेरी स्तुति करूँगा और तेरे नाम की महिमा का गीत गाऊंगा।

जयघोष : लूकस 3:4,6

अल्लेलूया, अल्लेलूया। प्रभु का मार्ग तैयार करो, उसके पथ सीधे कर दो। सब शरीरधारी ईश्वर के मुक्ति-विधान के दर्शन करेंगे। अल्लेलूया।

सुसमाचार

सन्त योहन बपतिस्ता ने इस पर बहुत बल दिया कि यदि हमारे हृदय का परिवर्त्तन नहीं होता, तो धर्म के बाहरी कार्य मात्र बेकार हैं। पवित्र आत्मा मसीह में विश्वास करने वालों के हृदयों में सच्ची भक्ति उत्पन्न कर देता है।

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 3:1-12

“पश्चात्ताप करो। स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।”

उन दिनों योहन बपतिस्ता प्रकट हुआ और यहूदियों के निर्जन प्रदेश में यह उपदेश देने लगा, “पश्चात्ताप करो। स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।'' यह वही था जिसके विषय में नबी इसायस ने कहा था, निर्जन प्रदेश में हर वाले की आवाज़ - प्रभु का मार्ग तैयार करो; उसके पथ सीधे कर दो। योहन ऊँट के रोओं का कपड़ा पहने ओर कमर में चमड़े का पट्टा बाँधे था । उसका भोजन टिड्डियाँ और बन का मधु था। येरुसालेम, सारी यहूदिया और समस्त यर्दन-प्रान्त के लोग योहन के पास आते थे और अपने पाप स्वीकार करते हुए यर्दन नदी में उस से बपतिस्मा ग्रहण करते थे । बहुत-सें फरीसियों और सदूकियों को बपतिस्मा के लिए आते देख कर योहन ने उन से कहा, “रे साँप के बच्चो ! किसने तुम लोगों को आगामी कोप से भागने के लिए सचेत किया-है ? पश्चात्ताप का उचित फंल उत्पन्न करो और यह न सोचा करो - “हम इब्राहीम की सन्तान हैं!। मैं तुम लोगों से कहता हूँ - ईश्वर इन पत्थरों से इब्राहीम के लिए सन्तान उत्पन्न कर सकता है। अब पेड़ों की जड़ में कुल्हाड़ा लग चुका है। जो पेड़ अच्छा फल नहीं देता, वह काटा और आग में झोंका जायेगा । मैं तो तुम लोगों को पानी से पश्चात्ताप का बपतिस्मा देता हूँ; किन्तु जो मेरे बाद आने वाले हैं, वह मुझ से अधिक शक्तिशाली हैं; मैं उनके जूते उठाने योग्य भी नहीं हूँ। वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देंगे। वह हाथ में सूप ले चुके हैं जिससे वह अपना खलिहान ओसा कर साफ करें । वह अपना गेहूँ बखार में जमा करेंगे, भूसी को वह कभी न बुमने वाली आग में जला देंगे।”

प्रभु का सुसमाचार।