उस दिन यूदा देश में यह गीत गाया जायेगा : हमारा नगर सुदृढ़ है। उसने हमारी रक्षा के लिए प्राचीर और चहारदीवारी बनायी है। फाटकों को खोल दो - सद्धर्मी और विश्वासी राष्ट्र प्रवेश करे। तू दृढ़तापूर्वक शांति बनाये रखता है, क्योंकि इस राष्ट्र को तुझ पर भरोसा है। प्रभु पर सदा ही भरोसा रखो, क्योंकि वही चिरस्थायी चट्टान है। वह ऊँचाई पर निवास करने वालों को नीचा दिखाता है। वह उनका दुर्गम गढ़ तोड़ कर गिराता और धूल में मिला देता है। अब तो दीन-हीन और दरिद्र उसे पैरों तले रौंदते हैं।
प्रभु की वाणी।
1. प्रभु का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है। उसका प्रेम अनन्तकाल तक बना रहता है। मनुष्यों पर भरोसा रखने की अपेक्षा प्रभु की शरण लेना ही अच्छा है। शासकों पर भरोसा रखने की अपेक्षा प्रभु की शरण लेना ही अच्छा है।
2. मेरे लिए मंदिर के द्वार खोल दो। मैं उस में प्रवेश कर प्रभु को धन्यवाद दूँगा। यह प्रभु का द्वार है, जहाँ धर्मी प्रवेश पाते हैं। मैं तुझे धन्यवाद देता हूँ ; तूने मेरी प्रार्थना सुनी और मेरा उद्धार किया हे।
3. हे प्रभु ! हमारा उद्धार कर। हे प्रभु ! हमें सुख-शांति प्रदान कर। धन्य है वह, जो प्रभु के नाम पर आते हैं। प्रभु-ईश्वर हमें ज्योति प्रदान करे।
अल्लेलूया ! जब तक प्रभु मिल सकता है, तब तक उसके पास चले जाओ। जब तक वह निकट है, तब तक उसकी दुहाई देते रहो। अल्लेलूया
येसु ने अपने शिष्यों से कहा, “जो लोग 'हे प्रभु ! हे प्रभु !' कह कर मुझे पुकारते हैं, उन में से सब के सब स्वर्गराज्य में प्रवेश नहीं करेंगे। जो मेरे स्वर्गिक पिता की इच्छा पूरी करता है, वही स्वर्गराज्य में प्रवेश करेगा। जो मेरी ये बातें सुनता और उन पर चलता है, वह उस समझदार मनुष्य के सदृश है जिसने चट्टान पर अपना घर बनवाया। पानी बरसा, नदियों में बाढ़ आयी, आंधियाँ चलीं और उस घर से टकरायीं। तब भी वह घर नहीं ढहा, क्योंकि उसकी नींव चट्टान पर डाली गयी थी। जो मेरी ये बातें सुनता है, किन्तु उन पर नहीं चलता, वह उस मूर्ख के सदृश है, जिसने बालू पर अपना घर बनवाया। पानी बरसा, नदियों में बाढ आयी, आँधियाँ चलीं और उस घर से टकरायीं। वह घर ढह गया और उसका सर्वनाश हो गया।''
प्रभु का सुसमाचार।