आगमन का पहला सप्ताह, बुधवार

पहला पाठ

नबी इसायस का ग्रंथ 25:6-10

“प्रभु एक भोज की तैयारी करेगा और सबों के मुख से आँसू पोंछ डालेगा।”

विश्वमण्डल का प्रभु इस पर्वत पर सब राष्ट्रों के लिए एक भोज की तैयारी करेगा - उस में रसदार मांस परोसा जायेगा और पुरानी तथा बढ़िया अंगूरी। वह इस पर्वत पर से सब लोगों तथा सब राष्ट्रों के लिए कफ़न और शोक के वस्त्र हटा देगा, वह सदा के लिए मृत्यु समाप्त करेगा। प्रभु-ईश्वर सबों के मुख से आँसू पोंछ डालेगा। वह समस्त पृथ्वी पर से अपनी प्रजा का कलंक दूर कर देगा; क्योंकि प्रभु ने यह कहा है। उस दिन लोग कहेंगे - देखो ! यही हमारा ईश्वर है, उसी से हमें अपने उद्धार की आशा थी। यही प्रभु है, उसी पर भरोसा था। हम उल्लसित हो कर आनन्द मनायें, क्योंकि उसने हमारा उद्धार किया है। इसी पर्वत पर प्रभु का हाथ बना रहेगा।

प्रभु की वाणी।

भजन स्तोत्र 22:1-6

अनुवाक्य : मैं प्रभु के मंदिर में अनन्तकाल तक निवास करूँगा

1. प्रभु मेरा चरवाहा है। मुझे किसी बात की कमी नहीं। वह मुझे हरे मैदानों में चराता है। वह मुझे विश्राम के लिए जल के पास ले जा कर मुझ में नवजीवन का संचार करता है।

2. वह अपने नाम का सच्चा है, वह मुझे धर्म-मार्ग पर ले चलता है। चाहे अँधेरी घाटी हो कर जाना ही क्यों न पड़े, मुझे किसी अनिष्ट की आशंका नहीं; क्योंकि तू मेरे साथ रहता है। तेरी लाठी, तेरे डण्डे पर मुझे भरोसा है।

3. तू मेरे शत्रुओं के देखते-देखते मेरे लिए खाने की मेज सजाता है। तू मेरे सिर पर तेल का विलेपन करता है। तू मेरा प्याला लबालब भर देता है।

4. इस प्रकार तेरी भलाई और तेरी कृपा से मैं जीवन भर घिरा रहता हूँ। प्रभु का मंदिर ही मेरा घर है; मैं उस में अनन्तकाल तक निवास करूँगा।

जयघोष

अल्लेलूया ! देखो, प्रभु अपनी प्रजा को बचाने आ रहा है। धन्य हैं वे, जो उसकी अगवानी करने के लिए तैयार हैं। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 15:29-37

“येसु बहुतों को चंगा करते और रोटियों की संख्या बढ़ाते हैं।”

येसु गलीलिया के समुद्र के तट पर पहुँच कर एक पहाड़ी पर चढ़े और वहाँ बैठ गये। भीड़-की-भीड़ उनके पास आने लगी। वे लँगड़े, लूले, अँधे, गूँगे और बहुत-से दूसरे रोगियों को भी अपने साथ ले आ कर येसु के चरणों में रख देते थे और येसु उन्हें चंगा करते थे। गूँगे बोलते हैं, लूले भले-चंगे हो रहे हैं, लँगड़े चलते और अंधे देखते हैं - लोग यह देख कर बड़े अचंभे में पड़ गये ओर इस्राएल के ईश्वर की स्तुति करने लगे। येसु ने अपने शिष्यों को अपने पास बुला कर कहा, “मुझे इन लोगों पर तरस आता है। ये तीन दिनों से मेरे साथ रह रहे हैं और इनके पास खाने को कुछ भी नहीं है। मैं इन्हें भूखा ही विदा नहीं करना चाहता। कहीं ऐसा न हो कि ये रास्ते में मुच्छित हो जायें।”' शिष्यों ने उन से कहा, '“इस निर्जन स्थान में हमें इतनी रोटियाँ कहाँ से मिलेंगी कि इतनी बड़ी भीड़ को खिला सकें।” येसु ने उन से पूछा, “तुम्हारे पास कितनी रोटियाँ हैं ?'' उन्होंने कहा, '“सात, और थोड़ी-सी छोटी मछलियाँ”'। येसु ने लोगों को भूमि पर बैठ जाने का आदेश दिया और वे सात रोटियाँ और मछलियाँ ले कर उन्होंने धन्यवाद की प्रार्थना पढ़ी, और वह रोटियाँ तोड़-तोड़ कर शिष्यों को देते गये और शिष्य लोगों को। सबों ने खाया और खा कर तृप्त हो गये और बचे हुए टुकड़ों से सात टोकरे भर गये।

प्रभु का सुसमाचार।