आगमन का पहला इतवार : वर्ष C

पहला पाठ

येरेमियस के समय यहूदियों पर बहुत अत्याचार किया जाता था। येरेमियस यह कहते हैं कि किसी दिन मसीह के द्वारा न्याय का राज्य स्थापित होगा। हमें भी यह विश्वास करना है कि “प्रभु ही हमारा न्याय है!” और मसीह के द्वारा न्याय का राज्य स्थापित किया गया हे।

नबी येरेमियस का ग्रंथ 33, 14-16

“मैं दाऊद के लिए एक धर्मी वंशज उत्पन्न करूँगा। ''

प्रभु का यह कहना है, “देखो, वे दिन आ रहे हैं, जब मैं इस्राएल तथा यूदा के घराने के प्रति अपनी प्रतिज्ञा पूरी करूँगा। उन दिनों और उस समय, मैं दाऊद के लिए एक धर्म-वंशज उत्पन्न करूँगा, जो देश पर न्यायपूर्वक शासन करेगा। उन दिनों यूदा का उद्धार होगा और येरुसालेम सुरक्षित रहेगा। येरुसालेम का यह नाम रखा जायेगा - प्रभु ही हमारा न्याय है।

प्रभु की वाणी।

भजन स्तोत्र 24, 4-5.8-9.10.14

अनुवाक्य : हे प्रभु ! मेरी आत्मा तुझे पुकारती है।
)

1. हे प्रभु ! तू मुझे अपने मार्ग सिखा, तू मुझे अपने पथ बता। मुझे अपनी सच्चाई के मार्ग पर ले चल और मुझे शिक्षा देने की कृपा कर; क्योंैकि तू ही मेरा ईश्वर और मुक्तिदाता है।

2. प्रभु भला और न्यायी है, वह पापियों को मार्ग पर लाता है। वह दीनों को सम्मार्ग पर ले चलता और पद्दलितों को अपना मार्ग बताता है।

3. प्रभु के विधान और नियमों पर चलने वाले जानते हैं कि उसके मार्ग प्रेम और सच्चाई हैं। प्रभु पर श्रद्धा रंखने वाले उसके कृपापात्र हैं और उसके विधान का रहस्य जान जाते हैं।

दूसरा पाठ

सन्त पौलुस यह याद दिलाते हैं कि ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए हमें एक दूसरे को प्यार करना चाहिए। यह भ्रातृ-प्रेम हमें येस के आगमन के लिए योग्य रीति से तैयार करेगा।

थेसलनीकियों के नाम संत पौलुस का पहला पत्र 3:12-4:2

“मसीह के दिन तक प्रभु आपके हृदयों को पवित्र बनाये रखें। ''

प्रभु ऐसा करें कि जिस तरह हम आप लोगों को प्यार करते हैं, उसी तरह आपका प्रेम एक दूसरे के प्रति और सबों के प्रति बढ़ता जाये और उमड़ता रहे, इस प्रकार वह उस दिन तक आपके हृदयों को हमारे पिता ईश्वर के सामने पवित्र और निर्दोष बनाये रखें, जब हमारे प्रभु येसु अपने सब सन््तोंग के साथ आयेंगे। भाइयो ! आप लोग हम से यह शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं कि किस प्रकार चलना और ईश्वर को प्रसन्न करना चाहिए और आप इसके अनुसार चलते भी हैं। अंत में, हम प्रभु येसु के नाम पर आप से आग्रह के साथ अनुनय करते हैं कि आप इस विषय में और आगे बढ़ते जायें। आप लोग जानते हैं कि मैंने प्रभु येसु की ओर से आपको कौन-कौन आदेश दिये हें।

प्रभु की वाणी।

जयघोष : स्तोत्र 84,8

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! हे प्रभु! हम पर दया प्रदर्शित कर। और हमें मुक्ति प्रदान कर। अल्लेलूया!

सुसमाचार

हम अकसर इस संसार की चिन्ताओं से इतने परेशान रहते हैं कि हम जीवन का वास्तविक अर्थ भूल जाते हैं। इसलिए येसु हमें चेतावनी देते हैं कि हमें जागते रहना चाहिए। इसका अर्थ यह है कि हमें परलोक की तैयारी करते रहना चाहिए।

सन्त लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 21:25-28,34-36

“तुम्हारी मुक्ति निकट है। ''

येसु ने अपने शिष्यों से कहा, “सूर्य, चंद्रमा और तारों में चिह्न प्रकट होंगे। समुद्र के गर्जन और बाढ़ से व्याकुल हो कर पृथ्वी के राष्ट्र व्यथित हो उठेंगे। लोग विश्व पर आने वाले संकट की आशंका से आतंकित हो कर निष्प्राण हो जायेंगे, क्योंकि आकाश की शक्तियाँ विचलित हो जायेंगी। तब लोग मानव पुत्र को अपार सामर्थ्य और महिमा के साथ बादल पर आते देखेंगे। जब ये बातें होने लगेंगी, तो उठ कर खड़े हो जाओ और सिर ऊपर उठाओ, क्योंकि तुम्हारी मुक्ति निकट है। “सावधान रहो। कहीं ऐसा न हो कि भोग-विलास, नशे और इस संसार की चिन्ताओं से तुम्हारा मन कुंठित हो जाये और वह दिन फन्दे की तरह अचानक तुम पर आ गिरे; क्योंकि वह दिन समस्त पृथ्वी के सभी निवासियों पर आ पड़ेगा। इसलिए जागते रहो और सब समय प्रार्थना करते रहो, जिससे तुम इन सब आने वाले संकटों से बचने और भरोसे के साथ मानव पुत्र के सामने खड़े होने के योग्य बन जाओ”!

प्रभु का सुसमाचार