आगमन का पहला इतवार : वर्ष – A

पहला पाठ

येरुसालेम में ईश्वर का मंदिर है और वहाँ पूर्ण शांति है। यहाँ येरुसालेम का अर्थ है कलीसिया। ईश्वर कलीसिया के द्वारा गरीबों को न्याय दिलायेगा। सब राष्ट्र ईश्वर की सच्चाई स्वीकार करेंगे और युद्ध तथा अन्याय बन्द कर देंगे। इस तरह कलीसिया के द्वारा सब लोग मुक्ति प्राप्त करेंगे।

नबी इसायस का ग्रंथ 2:1-5

“ईश्वर के राज्य की चिरस्थायी शांति में प्रभु सभी राष्ट्र एकत्र कर लेता है। ''

येरुसालेम तथा यूदा के विषय में आमोस के पुत्र इसायस का देखा हुआ दिव्य दृश्य। ईश्वर के मंदिर का पर्वत पहाड़ों के ऊपर उठेगा और पहाड़ियों से ऊँचा होगा। सभी राष्ट्र वहाँ इकट्ठे होंगे, असंख्य लोग यह कह कर वहाँ जायेंगे, ''आओ ! हम प्रभु के पर्वत पर चढ़ जायें, याकूब के ईश्वर के मंदिर चल दें, जिससे वह हमें अपने मार्ग सिखाये और हम उसके पथ पर चलते रहें। क्योंकि सियोन से संहिता प्रकट हो जायेगी और येरुसालेम से प्रभु की वाणी। ”' वह राष्ट्रों पर शासन करेगा और देशों के आपसी कंगड़े मिटायेगा। वे अपनी तलवार को पीट-पीट कर फाल और अपने भाले को हँसिया बना लेंगे। राष्ट्र एक दूसरे पर तलवार नहीं चलायेंगे और युद्ध-विद्या की शिक्षा समाप्त हो जायेगी। याकूब के वंश ! आओ, हम प्रभु की ज्योति में चलते रहें।

प्रभु की वाणी।


भजन स्तोत्र 121:1 -4, 8-9

अनुवाक्य : मुझे यह सुन कर कितना आनन्द हुआ - आओ, हम ईश्वर के मंदिर चलें।

1. मुझे यह सुन कर कितना आनन्द हुआ - आओ, हम ईश्वर के मंदिर चलें। हे येरसालेम ! अब हम पहुँचे हैं, हमने तेरे फाटकों में प्रवेश किया है।

2. येरुसालेम का पुनर्निर्माण हो गया है, उसके नागरिक एकता के सूत्र में बँधे हुए हैं यहाँ इस्राएल के वंश, प्रभु के वंश आते हैं।

3. यहाँ सब के सब भाई-बंधु हैं, इसलिए मैं कहता हूँ - “तुम में शांति बनी रहे''। हमारा प्रभु-ईश्वर यहाँ निवास करता है, इसलिए मैं तेरे कल्याण की मंगल-कामना करता हूँ।

दूसरा पाठ

मसीह पर विश्वास करने वाले पुनरुत्थान के दिन की राह देखते हैं। उस दिन मसीह हमारा विचार करने आयेंगे। उस दिन हम में “अंध्रक़ार के कार्य'' अर्थात्‌ पाप विद्यमान नहीं होना चीहए। इसलिए हमें अब से संसार में येसु मसीह के सुसमाचार के अनुसार जीवन बिताना चाहिए।

रोमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 13:11-14

“हमारी मुक्ति निकट है। ''

आप लोग समय पहचानते हैं। आप लोग जानते हैं कि नींद से जागने की घड़ी आ गयी है। जिस समय हमने विश्वास किया था, उस समय की अपेक्षा अब हमारी मुक्ति अधिक निकट है। रात प्राय: बीत चुकी है, दिन निकलने को है, इसलिए हम, अंधकार के कार्यों को त्याग कर, ज्योति के अस्त्र धारण कर लें। हम दिन के योग्य सदाचरण करें। हम रंगरेलियों और नशेबाजी, व्यभिचार और भोगविलास, कगड़े और ईर्ष्या से दूर रहें। आप लोग प्रभु येस मसीह को धारण करें और शरीर की वासनाएँ तृप्त करने का विचार छोड़ दें।

प्रभु की वाणी है।

जयघोष : स्तोत्र 84: 8

अल्लेलूया, अल्लेलूया। हे प्रभु! हम पर अपनी दया प्रदर्शित कर और हमें मुक्ति प्रदान कर। अल्लेलूया ॥

सुसमाचार

जिस तरह नूह के समय जलप्रलय अचानक आ गया, उसी तरह प्रभु उस दिन आयेंगे जिस दिन लोग उनकी प्रतीक्षा नहीं कर रहे होंगे। इसलिए हमें हर समय तैयार रहना चाहिए।

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 24, 37-44

“जागते रहो जिससे तुम तैयार हो। ''

येसु ने अपने शिष्यों से कहा, “जो नूह के दिनों में हुआ था, वही मानव पुत्र के आगमन के समय होगा। जलप्रलय के पहले, नूह के जहाज पर चढ़ने के दिन तक, लोग खाते-पीते और शादी-ब्याह करते रहे। जब तक जलप्रलय नहीं आया और सब को बहा नहीं दिया, तब तक किसी को इसका कुछ भी पता नहीं था। मानव पुत्र के आगमन के समय वैसा ही होगा। उस समय दो पुरुष खेत में होंगे - एक उठा लिया जायेगा और दूसरा छोड़ दिया जायेगा। दो स्त्रियाँ चक्की पीसती होंगी - एक उठा ली जायेगी और दूसरी छोड़ दी जायेगी। इसलिए जागते रहो; क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारे प्रभु किस दिन आयेंगे। यह अच्छी तरह से समक लो - यदि घर के स्वामी को मालूम होता कि चोर किस घड़ी आयेगा, तो वह जागता रहता और अपने घर में सेंध लगने नहीं देता। इसलिए तुम लोग भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी तुम उसके आने की नहीं सोचते, उसी घड़ी मानव पुत्र आयेगा।

प्रभु का सुसमाचार।