वर्ष का आठवाँ इतवार - वर्ष B

पहला पाठ

यहूदी धर्मग्रंथ में ईश्वर तथा यहूदी प्रजा के सम्बन्ध में अक्सर कहा गया है कि ईश्वर ने इस्राएल को पत्नी के रूप अपनाया है। नबी होशेआ यहाँ इस्राएल के प्रति ईश्वर के प्रेम का वर्णन करते हैं।

नबी होशेआ का ग्रंथ कि 2:16-17,21-22

“मैं तुम्हें सदा के लिए अपनाऊँगा।”

प्रभु यह कहता है, मैं उसे लुभा कर मरुभूमि को ले चलूँगा और उसे सांत्वना दूँगा। वहाँ वह मुझे स्वीकार करेगी, जैसा कि उसने अपनी जवानी के दिनों में किया था - उस समय, जब वह मिस्र से निकली थी। मैं सदा के लिए तुम्हें वरदान दूँगा। मैं तुम्हें धर्म और विधि के अनुसार कोमलता और प्यार से अपनाऊँगा। मैं सच्ची निष्ठा से तुम्हें अपनाऊँगा और तुम प्रभु को जान जाओगी।<\p>

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र102,1-4,8-10,12-13

अनुवाक्य : प्रभु दया तथा अनुकम्पा से परिपूर्ण है।

1. मेरी आत्मा प्रभु को धन्य कहे, मेरा सर्वस्व उसके पवित्र नाम की स्तुति करे। मेरी आत्मा प्रभु को धन्य कहे और उसके वरदानों को कभी नहीं भुलाये।

2. वह मेरे सभी अपराध क्षमा करता और मेरी सारी कमजोरी दूर करता है। वह मुझे सर्वनाश से बचाता और प्रेम तथा अनुकम्पा से मुझे सँभालता है।

3. प्रभु दया तथा अनुकम्पा से परिपूर्ण है, वह सहनशील है और अत्यन्त प्रेममय। वह न तो हमारे पापों के अनुसार हमारे साथ व्यवहार करता और न हमारे अपराधों के अनुसार हमें दण्ड देता है।

4. पूर्व पश्चिम से जितना दूर है, वह हमारे पापों को हम से उतना दूर कर देता है। पिता जिस तरह अपने पुत्रों पर दया करता है, प्रभु उसी तरह अपने भक्तों पर दया करता है।

दूसरा पाठ

सन्त पौलुस मसीह के प्रेरित होने पर गौरव करते थे, किन्तु वह जानते थे कि वह अपनी ओर से कुछ नहीं कर सकते। यहाँ वह विनम्रतापूर्वक यह स्वीकार करते हैं कि उनकी कोई अपनी योग्यता नहीं, वह अपने को किसी बात का श्रेय नहीं दे सकते।

कुरिंथियों के नाम सन्त पौलुस का दूसरा पत्र 3:1-6

“आप लोग वह पत्र हैं, जिसे मसीह ने हम से लिखवाया है।”

क्या हम फिर अपनी प्रशंसा करने लगते हैं? क्या कुछ अन्य लोगों की तरह यह हमारे लिए आवश्यक है कि हम आप को सिफारिशी पत्र दिखायें अथवा आप से माँग लें? आप लोग तो हैं - हमारा पत्र, जो हमारे हदय पर अंकित रहता है और जिसे सब लोग देख और पंढ़ सकते हैं। आप लोग निश्चय ही मसीह का वह पत्र हैं, जिसे उन्होंने हम से लिखवाया है। वह पत्र स्याही से नहीं बल्कि जीवन्त ईश्वर के आत्मा से, पत्थर की पाटियों पर नहीं बल्कि मानव हृदय की पाटियों पर लिखा हुआ है। हम यह दावा इसलिए कर सकते हैं कि हमें मसीह के कारण ईश्वर पर भरोसा है। इसका अर्थ यह नहीं है कि हमारी कोई अपनी योग्यता है - हम अपने को किसी बात का श्रेय नहीं दे सकते। हमारी योग्यता का स्रोत ईश्वर है। उसने हमें एक नये विधान के सेवक होने के योग्य बनाया है और यह विधान अक्षरों का नहीं, बल्कि आत्मा का है, क्योंकि अक्षर तो घातक हैं, किन्तु आत्मा है जीवनदायक।

प्रभु की वाणी।

जयघोष : लूकस 19:38

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! धन्य है वह राजा जो प्रभु के नाम पर आते हैं। स्वर्ग में शांति ! सर्वोच्च स्वर्ग में महिमा। अल्लेलूया !

सुसमाचार

येसु द्वारा चलाया हुआ धर्म और यहूदी धर्म - इन दोनों में मौलिक अन्तर है। यह बात ध्यान में रख कर येसु कहते हैं कि “कोई कोरे कपड़े का पैबन्द पुराने कपड़े पर नहीं लगाता और नयी अंगूरी पुरानी मशकों में नहीं भरता”।

मारकुस के अनुसार पतित्र सुसमाचार 2:18-22

“दुलहा उनके साथ है।”

योहन के शिष्य और फरीसी किसी दिन उपवास कर रहे थे। कुछ लोग आ कर येसु से कहने लगे, “योहन के शिष्य और फ़रीसी उपवास कर रहे हैं। आपके शिष्य उपवास क्यों नहीं करते?" येसु ने उत्तर दिया, “क्या जब तक दुलहा साथ है, बराती शोक कर सकते हैं? जब तक दुलहा उनके साथ है, वे उपवास नहीं कर सकते हैं। किन्तु वे दिन आयेंगे, जब दुलहा उन से बिछुड़ जायेगा। उन दिनों वे उपवास करेंगे। “कोई कोरे कपडे का पैबन्द पुराने कपड़े पर नहीं लगाता। नहीं तो नया पैबन्द सिकुड़ कर पुराना कपड़ा फाड़ देगा और चीर बढ़ जायेगी। कोई नयी अंगूरी पुरानी -मशकों में नहीं भरता। नहीं तो अंगूरी मशकों को फाड़ देगी और अंगूरी तथा मशकें दोनों बरबाद हो जायेंगी। नयी अंगूंरी को नयी मशकों में भरना चाहिए”।

प्रभु का सुसमाचार।