वर्ष का आठवाँ सप्ताह – इतवार – चक्र A

पहला पाठ

इस्राएलियों को अपने पापों के कारण दण्ड दिया गया था और वे बिदेश में निर्वासित थे। नबी इसायस उन को दिलासा देते हैं। जिस तरह माता अपनी सन्तान को प्यार करती है, उसी तरह, बल्कि इससे भी अधिक, ईश्वर अपनी प्रजा को प्यार करता है। वह इस्राएलियों को उनके देश वापस ले जायेगा।

नबी इसायस का ग्रंथ 49:14-15

“मैं तुम्हें कभी नहीं भुलाऊँगा।”

सियोन यह कह रहा था, “प्रभु ने मुझे छोड़ दिया है। प्रभु ने मुझे भुला दिया है।” कया स्त्री अपना दुधमुँहा बच्चा भुला सकती है? क्या वह अपनी गोद के पुत्र पर तरस नहीं खायेगी? यदि वह भुला भी दे, तो भी मैं तुम्हें कभी नहीं भुलाऊँगा।

प्रभु को वाणी।

भजन : स्तोत्र 61:2-3,6-9

अनुवाक्य : मेरी आत्मा ईश्वर पर ही भरोसा रखती है।

1. मुझे ईश्वर पर ही भरोसा है, उसी से सुरक्षा मिलती है, वही मेरी चट्टान है, मेरी सुरक्षा, मेरा गढ़ - मैं विचलित नहीं होऊँगा।

2. मेरी आत्मा ईश्वर पर ही भरोसा रखे, क्योंकि उसी से सुरक्षा मिलती है। वही मेरी चट्टान है, मेरी सुरक्षा, मेरा गढ़ - मैं विचलित नहीं होऊँगा।

3. ईश्वर से ही सुरक्षा और सम्मान मिलता है, वही मेरा बल है और मेरी चट्टान। सभी लोग उसी की शरण लें और हर समय उसी पर भरोसा रखें। उसी के सामने अपना हृदय खोल दो।

दूसरा पाठ

सन्त पौलुस इसकी कोई परवाह नहीं करते कि मनुष्य उनके विषय में क्या सोचते हैं। वह मसीह के सेवक हैं और ईमानदारी से उन्हीं का कार्य करना चाहते हैं। हमें भी सबसे पहले ईश्वर के प्रति ईमानदार रहने का प्रयत्न करना चाहिए।

कुरिंथियों के नाम सन्त पौलुस का पहला पत्र 4:1-5

“प्रभु हृदयों के गुप्त अभिप्राय प्रकट करेंगे।”

लोग हमें मसीह के सेवक और ईश्वर के रहस्यों के प्रबन्धकर्त्ता समझें। अब प्रबन्धकर्त्ता से यह आशा की जाती है कि वह ईमानदार निकले। मेरे लिए इस बात का कोई महत्त्व नहीं कि आप लोग अथवा मनुष्यों का कोई न्यायालय मुझे योग्य समझे। मैं स्वयं भी अपना न्याय नहीं करता। मैं अपने में कोई दोष नहीं पाता, किन्तु इसका अर्थ यह नहीं कि मैं निर्दोष हूँ। प्रभु ही मेरे न्यायकर्त्ता हैं। इसलिए प्रभु के आने तक कोई किसी का न्याय नहीं करे। वह अन्धकार के रहस्य प्रकाश में लायेंगे और हदयों के गुप्त अभिप्राय प्रकट करेंगे। उस समय हर एक को ईश्वर की ओर से यथायोग्य श्रेय दिया जायेगा।

प्रभु की वाणी।

जयघोष : मत्ती 11:254

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! हे पिता ! हे स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु। मैं तेरी स्तुति करता हूँ। क्योंकि तूने राज्य के रहस्यों को निरे बच्चों के लिए प्रकट किया है। अल्लेलूया !

सुसमाचार

येसु अपने शिष्यों से सुस्पष्ट शब्दों में कहते हैं कि “तुम ईश्वर और धन - दोनों की सेवा नहीं कर सकते।” यदि हम ईश्वर की ही सेवा करेंगे तो हम येसु की सलाह के अनुसार चिन्ता छोड़ कर ईश्वर पर ही भरोसा रखेंगे।

सन्त मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 6:24-34

“कल की चिन्ता मत करो।”

येसु ने अपने शिष्यों से कहा, “कोई भी दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता। वह या तो एक से बैर और दूसरे से प्रेम रखेगा, या एक का आदर और दूसरे का तिरस्कार करेगा। तुम ईश्वर और धन - दोनों की सेवा नहीं कर सकते। “मैं तुम लोगों से कहता हूँ, चिन्ता मत करो - न अपने जीवन-निर्वाह की, कि हम क्या खायें और न अपने शरीर की, कि हम क्या पहनें। क्या जीवन भोजन से बढ़ कर नहीं? और क्या शरीर कपड़े से बढ़ कर नहीं? आकाश के पक्षियों को देखो। वे न तो बोते हैं, न लुनते हैं और न बखारों में जमा करते हैं। फिर भी तुम्हारा स्वर्गिक पिता उन्हें खिलाता है। क्या तुम उन से बढ़ कर नहीं हो? चिन्ता करने से तुम में से कौन अपनी आयु घड़ी भर भी बढ़ा सकता है? और कपड़ों की चिन्ता क्यों करते हो? खेत के फूलों को देखो। वे कैसे बढ़ते हैं। वे न तो श्रम करते और न कातते हैं। फिर भी मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ कि सुलेमान अपने पूरे ठाट-बाट में उन में से एक की भी बराबरी नहीं कर सकता था। हे अल्पविश्वासियो ! खेत की घास आज भर है और कल चूल्हे में झोंक दी जायेगी। उसे भी यदि ईश्वर इस प्रकार सजाता है, तो वह तुम्हें क्यों नहीं पहनायेगा? “इसलिए यह कह कर चिन्ता न किया करो - हम क्या खायें, कया पियें, कया पहनें। इन सब चीजों की खोज में गैर-यहूदी लगे रहते हैं। तुम्हारा स्वर्गिक पिता जानता है कि तुम्हें इन सब चीजों की जरूरत है। तुम सब से पहले ईश्वर के राज्य और उसकी धार्मिकता की खोज में लगे रहो और ये सब चीजें तुम्हें यों ही मिल जायेंगी। कल की चिन्ता मत करो; कल अपनी चिन्ता स्वयं कर लेगा। आज की मुसीबत आज के लिए बहुत है।”

प्रभु का सुसमाचार।