प्रभु यह कहता है, “पिछली बातें भुला दो, पुरानी बातें जाने दो। देखो, मैं एक नया कार्य करने जा रहा हूँ। वह आरंभ हो चुका है। क्या तुम उसे नहीं देखते? में मरुभूमि में मार्ग बनाऊँगा और उजाड़ प्रदेश में पथ तैयार करूँगा। मैंने यह प्रजा अपने लिए बनायी है। यह मेरा स्तुतिगान करेगी। हे याकूब ! तुमने मेरा नाम नहीं लिया। हे इस्राएल ! तुमने मेरी परवाह नहीं की। तुमने अपने पापों का बोझ मुझ पर डाल दिया और अपने अपराधों से मुझ को खिझा दिया। मैं वही हूँ, जो अपने नाम के कारण, तुम्हारे सब अपराध धो डालता हूँ। मैं तुम्हारे पाप फिर नहीं याद करूँगा।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : “मुझे चंगा कर, क्योंकि मैंने तेरे विरुद्ध पाप किया है।
1. धन्य है वह, जो निस्सहाय की सुधि लेता है। विपत्ति के दिन प्रभु उसकी रक्षा करेगा। प्रभु उस को बचायेगा और पृथ्वी पर सुखमय जीवन प्रदान करेगा। ओह ! तू उसे शत्रुओं के हाथ पड़ने नहीं देगा।
2. प्रभु उसे रोगशय्या पर सांत्वना देता और उसका बिस्तर बदलता है। मैंने कहा, “हे प्रभु! मुझ पर दया कर। मुझे चंगा कर, क्योंकि मैंने तेरे विरुद्ध पाप किया है।
3. मैं तेरी सहायता से स्वस्थ हो जाऊँगा और तू मुझे सदा के लिए अपने सामने बनाये रखेगा। धन्य है तू, प्रभु, इस्राएल के ईश्वर ! युग युगों तक। आमेन, आमेन”।
ईश्वर की सच्चाई की शपथ ! मैंने आप लोगों को जो संदेश दिया है, उस में कभी 'हाँ' और कभी 'नहीं' जैसी बात नहीं है। क्योंकि सिल्वानुस, तिमथी और मैंने आपके बीच जिनका प्रचार किया, उन ईश्वर के पुत्र येसु मसीह में कभी 'हाँ' और कभी 'नहीं' जैसी बात नहीं - उन में 'हाँ' मात्र है। उन्हीं में ईश्वर की समस्त प्रतिज्ञाओं की 'हाँ' विद्यमान है। इसलिए हम ईश्वर की महिमा के लिए उन्हीं के द्वारा ' आमेन' कहते हैं। ईश्वर हम को आप लोगों के बीच मसीह में सुदृढ़ बनाये रखता है और उसी ने हमारा अभिषेक किया है। उसी ने हम पर अपनी मुहर लगायी और अग्रिम के रूप में हमारे हदयों को पवित्र आत्मा प्रदान किया है।
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया ! हे पिता ! हे स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु ! मैं तेरी स्तुति करता हूँ। क्योंकि तूने राज्य के रहस्यों को निरे बच्चों के लिए प्रकट किया है। अल्लेलूया !
जब येसु कफरनाहूम लौटे, तो यह खबर फैल गयी कि वह घर पर हैं और इतने लोग इकट्ठे हो गये कि द्वार के सामने जगह नहीं रही। येसु उन्हें सुसमाचार सुना ही रहे थे कि कुछ लोग एक अर्धांगरोगी को चार आदमियों से उठवा कर उसके पास ले आये। भीड़ के कारण वे उसे येसु के सामने नहीं ला सके, इसलिए जहाँ येसु थे उसके ऊपर की छत्त उन्होंने खोल दी और छेद में से अर्धागरोगी की चारपाई नीचे उतार दी। येसु ने उन लोगों का विश्वास देख कर अर्धागरोगी से कहा, “बेटा ! तुम्हारे पाप क्षमा हो गये हैं।” कुछ शास्त्री वहाँ बैठे थे। वे सोचने लगे - यह क्या कहता है? यह ईश-निंदा करता है। ईश्वर के सिवा कौन पाप क्षमा कर सकता है? येसु को मालूम ही था कि वे मन-ही-मन ऐसा सोच रहे हैं। उन्होंने शास्त्रियों से कहा, “मन-ही-मन क्या सोच रहे हो? अधिक सहज क्या है - अर्धांगरोगी से यह कहना, 'तुम्हारे पाप क्षमा हो गये हैं' अथवा यह कहना, 'उठो, अपनी चारपाई उठा कर चलो-फिरो'? परन्तु इसलिए कि तुम लोग यह जान लो कि मानव पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का अधिकार मिला है” - वह अर्धांगी से बोले - “मैं तुम से कहता हूँ, उठो, और अपनी चारपाई उठा कर घर जाओ”। वह उठ खड़ा हुआ और चारपाई उठा कर तुरन्त सबों के देखते-देखते बाहर चला गया। सब के सब अचंभे में पड़ गये और यह कह कर ईश्वर की स्तुति करने लगे - ऐसा चमत्कार हमने कभी देखा नहीं।
प्रभु का सुसमाचार।