प्रभु का कहना है, “धिक््कामर उस मनुष्य को, जो मनुष्य पर भरोसा रखता है, जो निरे मनुष्य का सहारा लेता है और जिसका हृदय प्रभु से विमुख हो जाता है। वह मरुभूमि के पौधे के सदृश है, जो कभी अच्छे दिन नहीं देखता। वह मरुभूमि के उत्तप्त स्थानों में - नुनखरी और निर्जन धरती पर रहता है। “धन्य है वह मनुष्य, जो प्रभु पर भरोसा रखता है, जो प्रभु का सहारा लेता है। वह जलस्रोत के किनारे लगाये हुए वृक्ष के सदृश है, जिसकी जड़ें पानी के पास फैली हुई हैं। वह कड़ी धूप से नहीं डरता - उसके पत्ते हरे-भरे बने रहते हैं। सूखे के समय उसे कोई चिन्ता नहीं होती, क्योंकि उस समय भी वह फूलता है”।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : धन्य है वह मनुष्य, जो प्रभु पर भरोसा रखता है।
1. धन्य है वह मनुष्य, जो दुष्टों की सलाह नहीं मानता, जो पापियों के मार्ग पर नहीं चलता और अधर्मियों के साथ नहीं बैठता, जो प्रभु का नियम हृदय से चाहता और रांत-दिन उसका मनन करता है।
2. वह उस वृक्ष के सदृश है, जो जलस्रोत के पास लगाया गया है, जो समय पर फल देता है और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। वह मनुष्य अपने सब कामों में सफल हो जाता है।
3. दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते, नहीं होते; वे तो पवन द्वारा छितरायी हुई भूसी के सदृश हैं। प्रभु धर्मियों के मार्ग की रक्षा करता है, किन्तु दुष्टों का मार्ग विनाश की ओर ले जाता है।
यदि हमारी शिक्षा यह है कि मसीह मृतकों में से जी उठे हैं, तो आप लोगों में से कुछ यह कैसे कह सकते हैं कि मृतकों का पुनरुत्थान नहीं होता? यदि मृतकों का पुनरुत्थान नहीं होता, तो मसीह भी नहीं जी उठे हैं। यदि मसीह नहीं जी उठे हैं, तो आप लोगों का विश्वास व्यर्थ है और आप अब तक अपने पापों में फँसे हैं। इतना ही नहीं, जो लोग मसीह के विश्वास में मर गये हैं, वे भी विनष्ट हो गये हैं। मसीह पर हमारा जो भरोसा है, यदि वह इस जीवन तक ही सीमित है, तो हम मनुष्यों में से सब से अधिक दयनीय हैं। किन्तु मसीह सचमुच मृतकों में से जी उठे हैं। जो लोग मृत्यु में सो गये हैं, उन में से वह सब से पहले जी उठे हैं।
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, “मेरी भेड़ें मेरी आवाज्ञ पहचानती हैं। मैं उन्हें जानता हूँ और वे मेरा अनुसरण करती हैं”। अल्लेलूया !
येसु उनके साथ उतर कर एक मैदान में खड़े हो गये। वहाँ उनके बहुत-से शिष्य थे और समस्त यहूदिया तथा येरुसालेम का और समुद्र के किनारे तीरुस और सिदोन का विशाल जनसमूह भी था, जो उनका उपदेश सुनने और अपने रोगों से मुक्त होने के लिए आया था। येसु ने अपने शिष्यों की ओर देख कर कहा, “धन्य हो तुम, जो दरिद्र हो - स्वर्गराज्य तुम लोगों का है। धन्य हो तुम, जो अभी भूखे हो - तुम तृप्त किये जाओगे। धन्य हो तुम, जो अभी रोते हो - तुम हँसोगे। धन्य हो तुम जब मानव पुत्र के कारण लोग तुम से बैर रखेंगे, तुम्हारा बहिष्कार और अपमान करेंगे और तुम्हारा नाम घृणित समझ कर निकाल देंगे। उस दिन उल्ल सित हो और आनन्द मनाओ, क्योंकि स्वर्ग में तुम्हें महान् पुरस्कार प्राप्त होगा। उनके पूर्वज नबियों के साथ ऐसा ही किया करते थे। “धिक््कांर तुम्हें, जो धनी हो - तुम अपना सुख-चैन पा चुके हो। धिक्कार तुम्हें, जो अभी तृप्त हो - तुम भूखे रहोगे। घिक्कार तुम्हें, जो अभी हँसते हो - तुम शोक करोगे और रोओगे। धिक्कार तुम्हें, जब सब लोग तुम्हारी प्रशंसा करते हैं - उनके पूर्वज झूठे नबियों के साथ ऐसा ही किया करते थे”।
प्रभु का सुसमाचार।