सामान्य काल का पाँचवाँ सप्ताह, इतवार – चक्र B

पहला पाठ

मनुष्य दुःख-तकलीफ की समस्या नहीं हल कर सकता है। योब चारों ओर से विपत्तियों से घिर कर अपने भाग्य पर विलाप करता है और अंत में ईश्वर की सहायता माँगता है।

नबी योब का ग्रंथ 7:1-4,6-7

“मैं सायंकाल तक परेशान रहता हूँ।”

योब यह कहने लगा, “क्या इस पृथ्वी पर मनुष्य का जीवन सेना की नौकरी की तरह नहीं? क्या उसके दिन मजदूर के दिनों की तरह नहीं बीतते? क्या वह दास की तरह नहीं, जो छाया के लिए तरसता है? मजदूर की तरह, जिसे समय पर वेतन नहीं मिलता? मुझे महीनों निराशा में काटना पड़ता है। दुःखभरी रातें मेरे भाग्य में लिखी हैं। शय्या पर लेटते ही कहता हूँ - भोर कब होगा? उठते ही सोचता हूँ - संध्या कब आयेगी? और मैं सायंकाल तक परेशान रहता हूँ। मेरे दिन जुलाहे की भरनी से भी अधिक तेजी से गुजर गये और तागा समाप्त हो जाने पर लुप्त हो गये हैं। हे प्रभु ! याद रख कि मेरा जीवन एक श्वास मात्र है और मेरी आँखें फिर अच्छे दिन नहीं देखेंगी”।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 146:1-6

अनुवाक्य: प्रभु की स्तुति करो। वह दुःखियों को दिलासा देता है। (अथवा : अल्लेलूया।)

अल्लेलूया ! प्रभु की स्तुति करो, क्योंकि वह भला है। दयालु ईश्वर के भजन गाओ, क्योंकि यह हमारे लिए उचित है।

2. प्रभु येरुसालेम फिर बनवाता और इस्नराएली निर्वासितों को एकत्र कर लेता है।

3. वह दुःखियों को दिलासा देता और उनके घावों पर पट्टी बाँधता है। वह तारों की संख्या निर्धारित करता और प्रत्येक का नाम जानता है।

4. हमारा प्रभु महान्‌ सर्वशक्तिमान्‌ और सर्वज्ञ है। वह दीनों को ऊपर उठाता और विधर्मियों को नीचे गिराता है।

दूसरा पाठ

सन्त पौलुस येसु मसीह के भक्त थे। वह मसीह की तरह अपने भाइयों की सेवा करते रहे। वह सबों के दास बन गये, क्योंकि उनके प्रभु भी अपनी सेवा कराने नहीं, बल्कि दूसरों की सेवा करने आये थे।

कुरिंथियों के नाम सन्त पौलुस का पहला पत्र 9:16-19,22-23

“धिक्कार मुझे ! यदि मैं सुसमाचार का प्रचार न करूँ।

मैं इस पर गौरव नहीं करता कि मैं सुसमाचार का प्रचार करता हूँ। मुझे तो ऐसा करने का आदेश दिया गया है। धिक्कार मुझे ! यदि मैं सुसमाचार का प्रचार न करूँ। यदि मैं अपनी इच्छा से यह करता, तो मुझे पुरस्कार का अधिकार होता। किन्तु मैं अपनी इच्छा से यह नहीं करता। जो कार्य मुझे सौंपा गया है, मैं उसे पूरा करता हूँ। तो, पुरस्कार पर मेरा क्या दावा है? वह यह है कि मैं बिना कुछ लिये सुसमाचार का प्रचार करता हूँ और सुसमाचार-सम्बन्धी अपने अधिकारों का पूरा उपयोग नहीं करता। सब लोगों से स्वतंत्र होने पर भी मैंने अपने को सबों का दास बना लिया है, जिससे मैं अधिक से अधिक लोगों का उद्धार कर सकूँ। मैं दुर्बलों के लिए दुर्बल-सा बन गया हूँ, जिससे मैं उनका उद्धार कर सकूँ। मैं सबों के लिए सब कुछ बन गया हूँ, जिससे किसी न किसी तरह से कुछ लोगों का उद्धार कर सकूँ। मैं यह सब सुसमाचार के कारण कर रहा हूँ, जिससे मैं भी उसके कृपादानों का भागी बन जाऊँ।

प्रभु की वाणी।

जयघोष : योहन 6:63,68

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! हे प्रभु ! तेरी शिक्षा आत्मा और जीवन है - तेरे ही शब्दों में अनन्त जीवन का संदेश है। अल्लेलूया !

सुसमाचार

येसु बीमारों को स्वस्थ तथा अपदूतग्रस्तों को मुक्त करते हुए उनके प्रति ईश्वर का प्रेम व्यक्त करते हैं। साथ-साथ वह अपने शिष्यों का विश्वास दृढ़ करते हैं, जो बाद में दूसरे देशों में भी उनके सुसमाचार का प्रचार करेंगे।

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 1:29-39

“उसने नाना प्रकार की बीमारियों से पीड़ित बहुत-से रोगियों को चंगा किया।”

येसु सभागृह से निकल कर याकूब और योहन के साथ सीधे सिमोन और अन्द्रेयस के घर गये। सिमोन की सास बुखार में पड़ी हुई थी। लोगों ने तुरन्त उसके विषय में उन्हें बतलाया। येसु उसके पास आये और उन्होंने हाथ पकड़ कर उसे उठाया। उसका बुखार जाता रहा और वह उन लोगों का सेवा-सत्कार करने लगी। संध्या समय, सूरज डूबने के बाद, लोग सभी रोगियों और अपदूतग्रस्तों को उनके पास ले आये। सारा नगर द्वार पर एकत्र हो गया। येसु ने नाना प्रकार की बीमारियों से पीड़ित बहुत-से रोगियों को चंगा किया और बहुत-से अपदूतों को निकाला। वह अपदूतों को बोलने से रोकते थे, क्योंकि वे जानते थे कि वह कौन है। दूसरे दिन येसु बहुत सबेरे उठ कर घर से निकले और किसी एकान्त स्थान जा कर प्रार्थना करने लगे। सिमोन और उसके साथी उनकी खोज में निकले और उन्हें पाते ही यह बोले, “सब लोग आप को खोज रहे हैं।” येसु ने उन्हें उत्तर दिया, “हम आसपास के कसबों में चलें; मुझे वहाँ भी उपदेश देना है - इसीलिए तो आया हूँ”। और वह उनके सभागृहों में उपदेश देते हुए और अपदूतों को निकालते हुए सारी गलीलिया में घूमते रहते थे।

प्रभु का सुसमाचार।