समूएल प्रभु के मंदिर में, जहाँ ईश्वर की मंजूषा रखी हुई थी, सो रहा था। प्रभु ने समूएल को पुकारा , “समूएल ! समूएल'“। इसने उत्तर दिया, “मैं प्रस्तुत हूँ” और एली के पास दौड़ कर कहा, “आपने मुझे बुलाया है, इसलिए आया हूँ। एली ने कहा, “मैंने तुम को नहीं बुलाया। जा कर सो जाओ”। यह लौट कर लेट गया। प्रभु ने फिर समूएल को पुकारा। इसने एली के पास जा कर कहा, “आपने मुझे बुलाया है, इसलिए आया हूँ”। एली ने उत्तर दिया, “बेटा ! मैंने तुम को नहीं बुलाया। जा कर सो जाओ”। समूएल प्रभु से परिचित नहीं था - प्रभु कभी उस से नहीं बोला था। प्रभु ने तीसरी बार समूएल को पुकारा। वह उठ कर एली के पास गया और उसने कहा, “आपने मुझे बुलाया, इसलिए आया हूँ”। तब एली समझ गया कि प्रभु युवक को बुला रहा है। एली ने समूएल से कहा, “जा कर सो जाओ। यदि तुम को फिर बुलाया जायेगा, तो यह कहना, “हे प्रभु ! बोल, तेरा सेवक सुन रहा है”। समूएल गया और अपनी जगह लेट गया। प्रभु उसके पास आया और पहले की तरह उसने पुकारा, “समूएल ! समूएल !” समूएल ने उत्तर दिया, “बोल, तेरा सेवक सुन रहा है”। समूएल बढ़ता गया, प्रभु उसके साथ रहा और उसने समूएल को जो वचन दिये थे, उन में से एक को भी मिट्टी में नहीं मिलने दिया।“
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : है प्रभु ! मैं तेरी आज्ञाओं का पालन करने आया हूँ।
1. मैं कब से प्रभु पर भरोसा रखता आ रहा हूँ? अभी उसने झुक कर मेरी पुकार सुनी है। उसने मुझे एक नया गीत, हमारे ईश्वर का स्तुतिगान सिखाया हे।
2. तूने न तो यज्ञ चाहा और न चढ़ावा, किन्तु तूने मुझे सुनने के कान दिये। तूने न तो होम माँगा और न बलिदान, इसलिए मैंने कहा - देख ! मैं आ रहा हूँ।
3. मुझे धर्मग्रंथ में यह आदेश दिया गया है कि मैं तेरी आज्ञाओं का पालन करूँ। हे मेरे ईश्वर, तेरी इच्छा पूरी करने में मुझे आनन्द आता है, तेरा नियम मेरे हृदय में घर कर गया हैं।
4. मैंने सबों के सामने तेरे न्याय का बखान किया। हे प्रभु ! तू जानता है कि मैंने अपना मुँह बन्द नहीं रखा।
शरीर व्यभिचार के लिए नहीं, बल्कि प्रभु के लिए है, और प्रभु, शरीर के लिए। ईश्वर ने जिस तरह प्रभु को पुनर्जीवित कर दिया, उसी तरह वह हम लोगों को भी अपने सामर्थ्य से पुनर्जीवित कर देगा। क्या आप लोग यह नहीं जानते कि आपके शरीर मसीह के अंग हैं? जो अपने को प्रभु से मिला देता है, वह उसके साथ एक ही आत्मा बन जाता है। व्यभिचार से दूर रहें। मनुष्य के सब दूसरे पाप उसके शरीर से बाहर हैं, किन्तु व्यभिचार करने वाला अपने ही शरीर के विरुद्ध पाप करता है। क्या आप लोग यह नहीं जानते कि आपका शरीर पवित्र आत्मा का मंदिर है? वह आप में निवास करता है और आप को ईश्वर से प्राप्त हुआ है। आप को अपने पर अधिकार नहीं होता - ईश्वर ने ऊँची कीमत पर आप को खरीद लिया है। इसलिए आप लोग अपने शरीर में ईश्वर की महिमा प्रकट करें।
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया ! हे प्रभु ! बोल, तेरा दास सुन रहा है। तेरे ही शब्दों में अनन्त जीवन का सन्देश है। अल्लेलूया !
योहन अपने दो शिष्यों के साथ वहाँ था। उसने येसु को गुजरते देखा औरं कहा, “देखो-ईश्वर का मेमना !” दोनों शिष्य उसकी यह बात सुन कर येसु के पीछे हो लिये। येसु ने मुड कर उन्हें अपने पीछे आते देखा और कहा, “क्या चाहते हो?” उन्होंने उत्तर दिया, “रब्बी ! अर्थात् गुरुवर - “आप कहाँ रहते हैं” ? येसु ने उन से कहा, “आओ और देखो”। उन्होंने जा कर देखा कि वे कहाँ रहते हैं और उस दिन वे उनके साथ रहे। उस समय शाम के लगभग चार बजे थे। जो योहन की बात सुन कर येसु के पीछे हो लिये थे, उन दोनों में से एक सिमोन पेत्रुस का भाई अंद्रेयस था। उसने प्रातः अपने भाई सिमोन से मिल कर कहा, “हमें मसीह अर्थात् ख्रीस्त मिल गये हैं” और वह उसे येसु के पास ले गया। येसु ने उसे देख कर कहा, “तुम सिमोन, योहन के पुत्र हो। तुम केफस” - अर्थात् पेत्रुस - “कहलाओगे”।
प्रभु का सुसमाचार।