सामान्य काल का दूसरा इतवार - वर्ष A

पहला पाठ

नबी इसायस मसीह को ईश्वर का दास कहते हैं। ईश्वर का दास न केवल इस्राएल को बचाने के लिए भेजा जायेगा, बल्कि उन सभी राष्ट्रों को भी, जो समस्त पृथ्वी पर बसे हुए हैं।

नबी इसायस का ग्रंथ 49:3,5-6

“मैं तुम को राष्ट्रों की ज्योति बना दूँगा, जिससे मेरा मुक्ति-विधान पृथ्वी के सीमान्तों तक फैल जाये।”

प्रभु ने मुझ से कहा “तुम मेरे सेवक हो, मैं तुम में अपनी महिमा प्रकट करूँगा''। इस प्रकार प्रभु ने मेरा सम्मान किया। मेरा ईश्वर ही मेरा बल है। जिसने मुझे माता के गर्भ से ही अपना सेवक बना लिया है, ताकि मैं याकूब को उसके पास ले चलूँ और उसके लिए इस्राएल को इकट्ठा कर लूँ, वही प्रभु अब यह कहता है : याकूब के वंशों का उद्धार करने तथा इस्राएल के बचे हुए लोगों को वापस ले आने के लिए ही तुम मेरे सेवक नहीं बने। मैं तुम को राष्ट्रों की ज्योति बना दूँगा जिससे मेरा मुक्ति-विधान पृथ्वी के सीमान्तों तक फैल जाये।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 39:2,4,7-10

अनुवाक्य : हे प्रभु ! मैं प्रस्तुत हूँ। मैं तेरी इच्छा पूरी करने आ रहा हूँ।

1. मैं कब से प्रभु पर भरोसा रखता आ रहा हूँ। अभी उसने झुक कर मेरी सुध ली है। उसने मुझे एक नया गीत, हमारे ईश्वर का स्तुतिगान सिखाया है।

2. तूने न तो यज्ञ चाहा और न चढ़ावा, किन्तु तूने मुझे सुनने के कान दिये। तूने न तो होम माँगा और न बलिदान, इसलिए मैंने कहा - देख, मैं आ रहा हूँ।

3. मुझे धर्मग्रंथ में यह आदेश दिया गया है कि मैं तेरी आज्ञाओं का पालन करूँ। हे मेरे ईश्वर ! तेरी इच्छा पूरी करने में मुझे आनन्द आता है, तेरा नियम मेरे हृदय में घर कर गया है।

4. मैंने सबों के सामने तेरे न्याय का बखान किया। तू जानता है, कि मैं अपना मुँह बन्द नहीं किया।

दूसरा पाठ

सन्त पौलुस अपने पत्र में कुरिंथियों से अनुरोध करते हैं कि वे अपने दुर्गुणों का त्याग करें। वह उन्हें याद दिलाते हैं कि बुलाये जाने तथा बपतिस्मा ग्रहण करने के कारण वे पवित्र हो गये हैं; इसलिए उन्हें पवित्र जीवन बिताना चाहिए।

कुरिंथियों के नाम सन्तल पौलुस का पहला पत्र 1:1-3

“हमारा पिता-ईश्वर और प्रभु येसु मसीह आप लोगों को अनुग्रह तथा शांति दान करें।”

कुरिंथ में ईश्वर की कलीसिया के नाम पौलुस, जो ईश्वर द्वारा येसु मसीह का प्रेरित नियुक्त हुआ है, और भाई सोस्थिनुस का पत्र। आप लोग येसु मसीह द्वारा पवित्र किये गये हैं और उन सबों के साथ सन्त बनने के लिए बुलाये गये हैं जो कहीं भी हमारे प्रभु येसु मसीह अर्थात्‌ अपने तथा हमारे प्रभु का नाम लेते हैं। हमारा पिता-ईश्वर और प्रभु येसु मसीह आप लोगों को अनुग्रह तथा शांति प्रदान करें।

प्रभु की वाणी।

जयघोष : 1समूएल 3:4; योहन 6:68

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! हे प्रभु ! बोल, तेरा दास सुन रहा है। तेरे ही शब्दों में अनन्त जीवन का संदेश हैं। अल्लेलूया !

सुसमाचार

सन्त योहन बपतिस्ता इस बात पर बल देते हैं कि येसु ही बपतिस्मा में पवित्र आत्मा का वरदान दिला सकते हैं। येसु ईश्वर का आज्ञाकारी दास बन कर संसार का पाप हर सकते हैं।

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 1:29-34

“देखो - ईश्वर का मेमना, जो संसार का पाप हर लेता है।”

योहन ने येसु को अपनी ओर आते देखा और कहा, “देखो - ईश्वर का मेमना, जो संसार का पाप हर लेता है। यह वही हैं जिनके विषय में मैंने कहा, मेरे बाद एक पुरुष आने वाले हैं। वह मुझ से बढ़ कर हैं, क्योंकि वह मुझ से पहले थे। मैं भी उन्हें नहीं जानता था; परन्तु मैं इसलिए जल से बपतिस्मा देने आया हूँ कि वह इस्राएल पर प्रकट हो जायें"!। फिर योहन ने यह साक्ष्य दिया, ''मैंने पवित्र आत्मा को कपोत के रूप में स्वर्ग से उतरते और उन पर ठहरते देखा है। मैं तो उन्हें नहीं जानता था; परन्तु जिसने मुझे जल से बपतिस्मा देने भेजा, उसने मुझ से कहा था, 'तुम जिन पर पवित्र आत्मा को उतरते और ठहरते देखोगे, वही पवित्र आत्मा से बपतिस्मा देते हैं” । मैंने देखा और साक्ष्य दिया कि वह ईश्वर के पुत्र हैं”।

प्रभु का सुसमाचार।