पुण्य शुक्रवार

पहला पाठ

मनुष्य दुःख-तकलीफ का कारण नहीं समझता है। येसु हमें दुःख-सम्बन्धी दर्शनशास्त्र देने नहीं आये। वह हमें दुःख पर विजय प्राप्त करने की शक्ति प्रदान करने आये हैं। उनका उदाहरण देख कर हम समझ सकते हैं कि स्वर्ग के रास्ते में दुःख बाधक नहीं, बल्कि सहायक है।

नबी इसायस का ग्रंथ 52:13-53:12

“हमारे पापों के कारण वह छेदित किया गया।”

देखो! मेरे सेवक का नाम फैल जायेगा; वह महिमान्वित किया जायेगा और अत्यन्त महान्‌ होगा। उसकी आकृति इतनी विरूपित की गयी थी कि वह मनुष्य नहीं जान पड़ता था; लोग देख कर दंग रह गये थे। उसी की ओर बहुत-से राष्ट्र आश्चर्य-चकित हो कर देखेंगे और उसी के सामने राजा मौन रहेंगे। क्योंकि उनके सामने एक आपूर्व दृश्य आ जायेगा और जो बात कभी सुनने में नहीं आयी, वे उसे अपनी आँखों से देखेंगे। कौन हमारे संदेश पर विश्वास करेगा? प्रभु का सामर्थ्य किस पर प्रकट हुआ है? वह हमारे सामने एक छोटे-से पौधे की तरह, सूखी भूमि की जड़ की तरह बढ़ गया। हमने उसे देखा था, उस में न तो सुन्दरता थी, न तेज और न कोई आकर्षण ही था। वह मनुष्यों द्वारा निन्दित और तिरस्कृत था, शोक का मारा और अत्यन्त दुःखी था। लोग जिन्हं देख कर मुँह फेर लेते हैं, उन्हीं की तरह वह तिरस्कृत और तुच्छ समझा जाता था। परन्तु वह हमारे ही रोगों को अपने ऊपर लेता था। और हमारे ही दुःखों से लदा हुआ था। और हम उसे दण्डित, ईश्वर का मारा हुआ और तिरस्कृत समझते थे। हमारे पापों के कारण वह छेदित किया गया; हमारे कुकर्मों के कारण वह कुचल दिया गया है। जो दण्ड वह भोगता था, उसके द्वारा हमें शांति मिली है और उसके घावों द्वारा हम भले-चंगे हो गये हैं। हम सब अपना-अपना रास्ता ले कर भेड़ों की तरह भटंक रहे थे। उसी पर प्रभु ने हम सबों के पापों का भार डाल दिया। वह अपने पर किया हुआ अत्याचार धैर्य से सहता गया और चुप रहा। वध के लिए ले जाये जाने वाले मेमने की तरह और ऊन कतरने वाले के सामने चुप रहने वाली भेड़ की तरह उसने अपना मुँह नहीं खोला। वे उसे बन्दीगृह और अदालत को ले गये; कोई भी उसकी परवाह नहीं करता था। वह जीवितों के बीच में से उठा लिया गया है और हमारे पापों के कारण वह मार डाला गया है। यद्यपि उसने कोई अन्याय नहीं किया था। और उसके मुँह से कभी छल-कपट की बात नहीं निकली थी किन्तु उसकी कब्र विधर्मियों के बीच बनायी गयी है और वह पापियों के साथ दफ़नाया गया है। प्रभु ने चाहा कि वह दुःख से रौंदा जाये। उसने प्रायश्चित के रूप में अपना जीवन अर्पित किया; इसलिए उसका वंश बहुत दिनों तक बना रहेगा और उसके द्वारा प्रभु की इच्छा पूरी होगी। वह अपने दुःखभोग का परिणाम देख कर सन्तुष्ट होगा। उसने दुःख सह कर जिन लोगों का अधर्म अपने ऊपर ले लिया था, वह उन्हें उनके पापों से मुक्त करेगा। इसलिए मैं उसे विरासत के रूप में बहुतों को प्रदान कंरूँगा और वह शक्तिशाली राजाओं के साथ लूट का माल बाँट लेगा। क्योंकि उसने बहुतों के अपराध अपने ऊपर लेते हुए और पापियों के लिए प्रार्थना करते हुए अपने को बलि चढ़ा दिया और उसकी गिनती कुकर्मियों में हुई।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 30:2,6,12-13,15-17,25

अनुवाक्य : हे पिता! मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों सौंप देता हूँ।

1. हेप्रभु! मैं तेरी शरण में आया हूँ! मुझे कभी निराश न होने दे। तू सत्यप्रतिज्ञ है, मेरा उद्धार कर। मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों सौंप देता हूँ। हे प्रभु! तू ही मेरा उद्धार करेगा।

2. मेरे विरोधी मेरा उपहास करते हैं; मेरे पड़ोसी मुझ से घृणा करते हैं; मेरे परिचित मुझ से डर जाते हैं। जो मुझे रास्ते में देखते हैं, वे भाग जाते हैं। मैं मुरदे की तरह भुला दिया गया हूँ; टूटे घड़े की तरह फेंक दिया गया हूँ।

3. हे प्रभु! तुझ पर ही मेरा भरोसा है। मैंने कहा - तू ही मेरा ईश्वर है। तेरे ही हाथों मेरा भाग्य है। शत्रुओं और अत्याचारियों से मुझे बचा।

4. अपने सेवक पर दयादृष्टि कर। तू दयासागर है, मुझे बचाने की कृपा कर। जो प्रभु पर भरोसा रखते हैं, वे सब के सब साहसपूर्वक ढारस रखें।

दूसरा पाठ

येसु ने हमें इतना प्यार किया कि वह हमारे लिए मनुष्य बन गये और क्रूस पर मर गये। हम उनके प्रेम पर दृढ़तापूर्वक विश्वास करें। हम उनकी सहायता से अपना दुःख धीरज के साथ सह सकेंगे।

इब्रानियों के नाम पत्र 4:14-16; 5:7-9

“उन्होंने आज्ञापालन सीख लिया और वह उन सबों के लिए मुक्ति का स्त्रोत बन गये, जो उनकी आज्ञाओं का पालन करते हैं।”

भाइयो! हमारे एक अपने महान्‌ सहायक हैं, अर्थात्‌ ईश्वर के पुत्र येसु, जो स्वर्ग पहुँच गये हैं। इसलिए हम अपने विश्वास में सुदृढ़ रहें। हमारे महायाजक हमारी दुर्बलताओं में हम से सहानुभूति रख सकते हैं क्योंकि पाप को छोड़ कर सभी बातों में हमारी ही तरह उनकी परीक्षा ली गयी है। इसलिए हम भरोसे के साथ अनुग्रह के सिंहासन के पास जायें जिससे हमें दया मिल जाये और हम वह कृपा प्राप्त करें जो हमारी आवश्यकताओं में हमारी सहायता करेगी। येसु ने इस पृथ्वी पर रहते समय पुकार-पुकार कर और आँसू बहा कर ईश्वर से, जो उन्हें मृत्यु से बचा सकता था, प्रार्थना और अनुनय-विनय की है। श्रद्धालुता के कारण उनकी प्रार्थना सुनी गयी। ईश्वर का पुत्र होने पर भी उन्होंने दुःख सह कर आज्ञापालन सीख लिया। वह पूर्ण रूप से सिद्ध बन कर उन सबों के लिए अनन्त मुक्ति का स्रोत बन गये, जो उनकी आज्ञाओं का पालन करते हैं।

प्रभु की वाणी।

जयघोष : फ़िल० 2:8-9

<प>मसीह हमारे लिए मरण तंक, हाँ क्रूस के मरण तक, आज्ञाकारी बने। इसलिए ईश्वर ने उन को महान्‌ बना दिया है और उन को वह नाम प्रदान किया है, जो सब नामों में श्रेष्ठ है।

सुसमाचार

योहन के अनुसार प्रभु येसु का दुःखभोग 18:1-19,42

येसु अपने शिष्यों के साथ केद्रोन नाले के उस पार गये। वहाँ एक बारी थी; उन्होंने अपने शिष्यों के साथ उस में प्रवेश किया। उनके विश्वासघाती यूदस को भी वह जगह मालूम थी, क्योंकि येसु अकसर अपने शिष्यों के साथ वहाँ गये थे। इसलिए यूदस पलटन और महायाजकों तथा फरीसियों के भेजे हुए प्यादों के साथ वहाँ आ पहुँचा। वे लोग लालटेनें, मशालें और हथियार लिये थे। येसु, यह जान कर कि मुझ पर क्या-क्या बीतेगी, आगे बढ़े और उन से बोले, “किसे ढूँढ़ते हो!” उन्होंने उत्तर दिया, "'येसु नाजरी को"। येसु ने उन से कहा, “मैं ही हूँ”। वहाँ उनका विश्वासघाती यूदस भी उन लोगों के साथ खड़ा था। जब येसु ने उन से कहा, “मैं ही हूँ”। तो वे पीछे हट कर भूमि पर गिर पड़े। येसु ने उन से फिर पूछा, “किसे ढूँढ़ते हो?” वे बोले, “'येसु नाजरी को “। इस पर येसु ने कहा, “'मैं तुम लोगों से कह चुका हूँ कि मैं ही हूँ। यदि तुम मुझे ढूँढ़ते हो, तो इन्हें जाने दो”। यह इसलिए हुआ कि उनका यह कथन पूरा हो जाये - तूने जिन्हें मुझे सौंपा है, मैंने उन में से एक का भी सर्वनाश नहीं होने दिया। उस समय सिमोन पेत्रुस ने अपनी तलवार खींच ली और प्रधानयाजक के नौकर पर चला कर उसका दाहिना कान उड़ा दिया। उस नौकर का नाम मलकुस था। येसु ने पेत्रुस से कहा, 'तलबवार म्यान में कर लो। जो प्याला पिता ने मुझे दिया है, क्या मैं उसे नहीं पिउँ!” तब पलटन, कप्तान और यहूदियों के प्यादों ने येसु को पकड़ कर बाँध लिया। वे उन्हें पहले अन्नास के यहाँ ले गये, क्योंकि वह उस वर्ष के प्रधानयाजक कैफस का ससुर था। यह वहीं कैफस था, जिसने यहूदियों को यह परामर्श दिया था - अच्छा यही है कि राष्ट्र के लिए एक ही मनुष्य मर जाये। सिमोन पेत्रुस और एक दूसरा शिष्य येसु के पीछे-पीछे चले। यह शिष्य प्रधानयाजक का परिचित था और येसु के साथ प्रधानयाजक के प्रांगण में चला गया, किन्तु पेत्रुस फाटक के पास बाहर खड़ा रहा। इसलिए वह दूसरा शिष्य, जो प्रधानयाजक का परिचित था, फिर बाहर गया और द्वारपाली से कह कर पेत्रुस को भीतर ले आया। द्वारपाली ने पेत्रुस से कहा, “कहीं तुम भी तो उस मनुष्य के शिष्य नहीं हो?” उसने उत्तर दिया, “नहीं हूँ। जाड़े के कारण नौकर और प्यादे आग सुलगा कर ताप रहे थे। पेत्रुस भी उनके साथ आग तापने लगा। प्रधानयाजक ने येसु से उनके शिष्यों और उनकी शिक्षा के विषय में पूछा। येसु ने उत्तर दिया, “मैं संसार के सामने प्रकट रूप से बोला हूँ। मैंने सदा सभागृह और मंदिर में, जहाँ सब यहूदी एकत्र हुआ करते हैं, शिक्षा दी है; मैंने गुप्त रूप से कुछ नहीं कहा। यह आप मुझ से क्यों पूछते हैं? उन से पूछ लीजिए, जिन्होंने मेरी शिक्षा सुनी है; वे जानते हैं कि मैंने क्या कहा है।” इस पर पास खड़े प्यादों में से एक ने येसु को थप्पड़ मार कर कहा, “तुम प्रधानयाजक को इस तरह जवाब देते हो?” येसु ने उस से कहा, “यदि मैंने गलत कहा, तो गलती बता दो; और यदि ठीक कहा, तो मुझे क्यों मारते हो?” इसके बाद अन्नास ने बाँधे हुए येसु को प्रधानयाजक कैफस के पास भेज दिया सिमोन पेत्रुस उस समय आग ताप रहा था। कुछ लोगों ने उस से कहा, “कहीं तुम भी तो उसके शिष्य नहीं हो?” उसने अस्वीकार करते हुए कहा, “नहीं हूँ”। प्रधानयाजक का एक नौकर उस व्यक्ति का संबंधी था जिसका कान पेत्रुस ने उड़ा दिया था। उसने कहा, “क्या मैंने तुम को उसके साथ बारी में नहीं देखा था?” पेत्रुस ने फिर अस्वीकार किया और उसी क्षण मुरगे ने बाँग दी। तब वे येसु को कैफस के यहाँ से राज्यपाल के भवन ले गये। अब भोर हो गया था । उन्होंने इसलिए भवन में प्रवेश नहीं किया कि वे अशुद्ध न हो जायें बल्कि पास्का का मेमना खा सकें। पिलातुस बाहर आ कर उन से मिला और बोला, “आप लोग इस मनुष्य पर कौन-सा अभियोग लगाते हैं?” उन्होंने उत्तर दिया, “यदि यह कुकर्मी नहीं होता, तो हमने इसे आपके हवाले नहीं किया होता”। पिलातुस ने उन से कहा, “आप लोग इसे ले जाइए, और अपनी संहिता के अनुसार इसका न्याय कीजिए। यहूदियों ने उत्तर दिया, “हमें किसी को प्राणदण्ड देने का अधिकार नहीं है”। यह इसलिए हुआ कि येसु का वह कथन पूरा हो जाये, जिसके द्वारा उन्होंने संकेत किया था कि उनकी मृत्यु किस प्रकार की होगी। तब पिलातुस ने भवन में वापस जा कर येसु को बुला भेजा और उन से कहा, “क्या तुम यहूदियों के राजा हो?” येसु ने उत्तर दिया, “क्या आप यह अपनी ओर से कहते हैं या दूसरों ने आप से मेरे विषय में यह कहा है?” पिलातुस ने कहा, “क्या मैं यहूदी हूँ? तुम्हारे ही लोगों ने और महायाजकों ने तुम्हें मेरे हवाले कर दिया है; तुमने क्या किया है?” येसु ने उत्तर दिया, “मेरा राज्य इस संसार का नहीं है। यदि मेरा राज्य इस संसार का होता, तो मेरे अनुयायी लड़ते और मैं यहूदियों के हवाले नहीं किया जाता। परन्तु मेरा राज्य यहाँ का नहीं है।” इस पर पिलातुस ने उन से कहा, “तो, तुम राजा हो?” येसु ने उत्तर दिया, “आप ठीक कहते हैं। मैं राजा हूँ। में इसलिए जन्मा और इसलिए संसार में आया हूँ कि सत्य के विषय में साक्ष्य दूँ। जो सत्य के पक्ष में है, वह मेरी सुनता है”। पिलातुस ने उन से कहा, “सत्य क्या है?” वह यह कह कर फिर बाहर गया और यहूदियों के पास आ कर उसने उन से कहा, “मैं तो उस में कोई भी दोष नहीं पाता हूँ, लेकिन तुम्हारे लिए पास्का के अवसर पर एक बन्दी को रिहा करने की प्रथा है। क्या तुम लोग चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिए यहूदियों के राजा को रिहा कर दूँ?” इस पर वे फिर चिल््ला ने लगे, “इसे नहीं; बराब्बस को”। बराब्बसं तो डाकू था। तब पिलातुस ने येसु को ले जा कर कोडे लगाने का आदेश दिया। सैनिकों ने काँटों का मुकुट गूँथ कर उनके सिर पर रख दिया और उन्हें बैंगनी कपड़ा पहनाया। फिर वे उनके पास आ-आ कर कहने लगे, “यहूदियों के राजा, प्रणाम।” और वे उन्हें थप्पड़ मारते जाते थे। पिलातुस ने फिर बाहर जा कर लोगों से कहा, “देखो, मैं उसे तुम लोगों के सामने बाहर ले आता हूँ, जिससे तुम यह जान लो कि मैं उस में कोई भी दोष नहीं पाता हूँ”। तब येसु काँटों का मुकुट और बैंगनी कपड़ा पहने बाहर आये। पिलातुस ने लोगों से कहा, “यही है वह मनुष्य!” महायाजक और प्यादे उन्हें देखते ही चिल्ला उठे, “इसे क्रूस दीजिए! इसे क्रूस दीजिए!” पिलातुस ने उन से कहा, “तुम्हीं इसे ले जाओ और क्रूस पर चढ़ाओ। मैं तो इस में कोई भी दोष नहीं पाता”। यहूदियों ने उत्तर दिया, “हमारी एक संहिता है और उस संहिता के अनुसार यह प्राणदण्ड के योग्य है, क्योंकि इसने ईश्वर का पुत्र होने का दावा किया है”। पिलातुस यह सुन कर और भी डर गया। उसने फिर भवन के अन्दर जा कर येसु से पूछा, “तुम कहाँ के हो?” किन्तु येसु ने उसे कोई उत्तर नहीं दिया। इस पर पिलातुस ने उन से कहा, “तुम मुझ से क्यों नहीं बोलते? क्या तुम यह नहीं जानते कि मुझे तुम को रिहा कर देने का भी अधिकार है और तुम को क्रूस पर चढ़वाने का भी?” येसु ने उत्तर दिया, “यदि आप को ऊंपर से अधिकार न दिया गया होता, तो आपका मुझपर कोई अधिकार नहीं होता। इसलिए जिसने मुझे आपके हवाले कर दिया है, वह अधिक दोषी है।” उस समय से पिलातुस येसु को मुक्त करने का उपाय ढूँढ़ने लगा, परन्तु यहूदी चिल्ला कर कहने लगे, “यदि आप इसे रिहा करते हैं, तो आप कैसर के हितैषी नहीं हैं। जो अपने को राजा कहता है, वह कंसर का विरोध करता है”। यह सुन कर पिलातुस ने येसु को बाहर ले आने का आदेश दिया। वह अपने न्यायासन पर उस जगह, जो लिथोसत्रोतोस और इब्रानी में गब्बथा कहलाती है, बैठ गया। पास्का की तैयारी का दिन था। लगभग दोपहर का समय था। पिलातुस ने यहूदियों से कहा, “यही है तुम्हारा राजा!” इस पर वे चिल्ला उठे, “ले जाइए! ले जाइए! इसे क्रूस दीजिए!” पिलातुस ने उन से कहा, “क्या मैं तुम्हारे राजा को क्रूस पर चढ़वा दूँ?” महायाजकों ने उत्तर दिया, “'कैसर के सिवा हमारा कोई राजा नहीं!” तब पिलातुस ने येसु को क्रूस पर चढ़ाने के लिये उनके हवाले कर दिया । वे येसु को ले गये और वह अपना क्रूस ढोते हुए ’खोपड़ी की जगह' नामक स्थान गये; इब्रानी में उसका नाम गोलगोथा है। वहाँ उन्होंने येसु को और उनके साथ और दो व्यक्तियों को क्रूस पर चढ़ाया; एक को इस ओर, दूसरे को उस ओर और बीच में येसु को। पिलातुस ने एक दोषपत्र भी लिखवा कर क्रूस पर लगवा दिया। वह इस प्रकार था - येसु नाजरी, यहूदियों का राजा। बहुत-से यहूदियों ने यह दोषपत्र पढ़ा; क्योंकि वह स्थान, जहाँ येसु क्रूस पर चढ़ाये गये थे, शहर के पास ही था और दोषपत्र इब्रानी, लातीनी और युनानी भाषा में लिखा हुआ था । इसलिए यहूदियों के महायाजकों ने पिलातुस से कहा, “आप न लिखिए - यहूदियों का राजा; बल्कि - इसने कहा कि मैं यहूदियों का राजा हूँ”। पिलातुस ने उत्तर दिया, “मैंने जो लिख दिया, सो लिख दिया"। येसु को क्रूस पर चढ़ाने के बाद सैनिकों ने उनके कपडे ले लिये और कुरते के सिवा उन कपड़ों के चार भाग कर दिये - हर सैनिक के लिए एक भाग। उस कुरते में सीवन नहीं था; वह ऊपर से नीचे तक पूरा का पूरा बुना हुआ था। उन्होंने आपस में कहा, “हम इसे नहीं फाड़ें; चिट्ठी डाल कर देख लें कि यह किसे मिलता है”। यह इसलिए हुआ कि धर्मग्रंथ का यंह कथन पूरा हो जाये - उन्होंने मेरे कपड़े आपस में बाँट लिये और मेरे वस्त्र पर चिट्ठी डाली। सैनिकों ने ऐसा ही किया। येसु की माता, उसकी बहन, क्लोपस की पत्नी मरियम और मरियम मगदलेना उनके क्रूस के पास खड़ी थीं। येसु ने अपनी माता को और उसके पास अपने शिष्य को, जिसे वह प्यार करते थे, देखा। उन्होंने अपनी माता से कहा, “भद्रे, यह आपका पुत्र है”। इसके बाद उन्होंने उस शिष्य से कहा, “यह तुम्हारी माता है”। उस समय से उस शिष्य ने उसे अपने यहाँ आश्रय दिया । तब येसु ने, यह जान कर कि अब सब कुछ पूरा हो चुका है, धर्मग्रंथ का लेख पूरा करने के उद्देश्य से कहा, “मैं प्यासा हूँ।” वहाँ खट्टी अंगूरी से भरा एक पात्र रखा था; लोगों ने उस में एक पनसोख्ता डुबाया और उसे जूफे की डण्डी पर रख कर येसु के मुँह से लगा दिया। येसु ने खट्टी अंगूरी चख कर कहा, '“सब पूरा हो चुका है” और सिर झुका कर प्राण त्याग दिये । वह तैयारी का दिन था। यहूदी यह नहीं चाहते थे कि शव विश्राम के दिन क्रूस पर रह जायें, क्योंकि उस विश्राम के दिन बड़ा त्योहार पड़ता था। उन्होंने पिलातुस से निवेदन किया कि उनकी टाँगें तोड़ दी जायें और शव हटा दिये जायें। इसलिए सैनिकों ने आ कर येसु के साथ क्रूस पर चढ़ाये हुए पहले व्यक्ति की टाँगें तोड़ दीं, फिर दूसरे की भी। जब उन्होंने येसु के पास आ कर देखा कि वह मर चुके हैं, तो उन्होंने उनकी टाँगें नहीं तोड़ीं; लेकिन एक सैनिक ने उनकी बगल में भाला मारा और उस में से तुरन्त रक्त और जल बह निकला । जिसने यह देखा है, वहीं इसका साक्ष्य देता है और उसका साक्ष्य सच्चा है। वह जानता है कि मैं सच बोलता हूँ, जिससे आप लोग भी विश्वास करें यह इसलिए हुआ कि धर्मग्रंथ का यह कथन पूरा हो जाये - उसकी एक भी हड्डी नहीं तोड़ी जायेगी; फिर धर्मग्रंथ का एक दूसरा कथन इस प्रकार है - उन्होंने जिसे छेदा है, वे उसी की ओर देखेंगे। इसके बाद अरिमथिया के यूसुफ ने, जो यहूदियों के भय के कारण येसु का गुप्त शिष्य था, पिलातुस से येसु का शव ले जाने की अनुमति माँगी। पिलातुस ने अनुमति दे दी। इसलिए यूसुफ आ कर येसु का शव ले गया। निकोदेमुस भी पहुँचा, जो पहले रात को येसु से मिलने आया था। वह लगभग पचास सेर का गंधरस और अंगूर का संमिश्रण लाया। उन्होंने येसु का शव लिया और, यहूदियों की दफन की प्रथा के अनुसार, उसको सुगंधित द्रव्यों के साथ छालटी की पट्टियों में लपेटा। जहाँ येसु क्रूस पर चढ़ाये गये थे, वहाँ एक बारी थी और उस बारी में एक नयी कब्र, जिस में अब तक कोई भी नहीं रखा गया था। उन्होंने येसु को वहीं रख दिया, क्योंकि वह यहूदियों के लिए तैयारी क़ा दिन था और वह कब्र निकट ही थी।

प्रभु का सुसमाचार।