प्रभु का आत्मा मुझ पर छाया रहता है, क्योंकि उसने मेरा अभिषेक किया है। उसने मुझे भेजा है कि मैं दरिद्रों को सुसमाचार सुनाऊँ, दुःखियों को ढारस बँधाऊँ, बंदियों को छुटकारे का और कैदियों को मुक्ति का संदेश सुनाऊँ; प्रभु के अनुग्रह का वर्ष और ईश्वर के प्रतिशोध का दिन घोषित करूँ; विलाप करने वालों को सान्त्वना दूँ , राख के बदले उन्हें माला पहनाऊँ और शोक-वस्त्रों के बदले आनन्द का तेल प्रदान करूँ। तुम लोग कहलाओगे - प्रभु के पुरोहित; तुम्हारा नाम रखा जायेगा - हमारे ईश्वर के सेवक। मैं ईमानदारी से उन्हें उनका पुरस्कार दे दूँगा और उनके लिए एक चिरस्थायी विधान ठहराऊँगा। उनका वंश राष्ट्रों में प्रसिद्ध होगा। और उनकी संतति का नाम देश-विदेश में फैल जायेगा। उन्हें देखने वाले सब के सब जान जायेंगे कि वे प्रभु की चुनी हुई प्रजा हैं।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु! मैं तेरी कृपा का गीत सदा ही गाता रहूँगा।
1. मैंने अपने सेवक दाऊद को चुन कर अपने पवित्र तेल से उसका अभिषेक किया। मेरा हाथ उसे सँभालता रहेगा और मेरा बाहुबल उसे शक्ति प्रदान करेगा।
2. मेरी सत्यप्रतिज्ञता और मेरी कृपा उसका साथ देती रहेगी। मेरे नाम के कारण उसकी शक्ति बढ़ती जायेगी। वह मुझ से कहेगा - “तू ही मेरा पिता, मेरा ईश्वर और मेरा उद्धारक है”।
प्रभु येसु मसीह आप लोगों को कृपा और शांति प्रदान करें। वह विश्वसनीय साक्षी, पुनर्जीवित मृतकों में से पहलौठे और पृथ्वी के राजाओं के अधिराज हैं। वह हम को प्यार करते हैं। उन्होंने अपने रक्त से हमें पापों से मुक्त किया है और अपने ईश्वर और पिता के लिए हमें याजकों का राजवंश बना दिया है। उनकी महिमा और उनका सामर्थ्य अनन्तकाल तक बना रहे। आमेन।। देखो, वहीं बादलों पर आने वाले हैं। सब लोग उन्हें देखेंगे। जिन्होंने उन को छेदा है, वे भी उन्हें देखेंगे और पृथ्वी के सभी राष्ट्र उन पर विलाप करेंगे। यह निश्चित है। आमेन। जो है, जो था और जो आने वाला है, वही सर्वशक्तिमान् प्रभु-ईश्वर कहता है - आल्फा और ओमेगा (आदि और अंत) मैं हूँ।
प्रभु की वाणी।
येसु नाजरेत आये, जहाँ उनका पालन-पोषण हुआ था। विश्राम के दिन वह अपनी आदत के अनुसार सभागृह गये। वह पढ़ने के लिए खडे हो गये और उन्हें नबी इसायस की पुस्तक दी गयी। पुस्तक खोल कर येसु ने वह स्थान निकाला जहाँ लिखा है: प्रभु का आत्मा मुझ पर छाया रहता है, क्योंकि उसने मेरा अभिषेक किया है। उसने मुझे भेजा है कि मैं दरिद्रों को सुसमाचार सुनाऊँ, बंदियों को छुटकारे और अंधों को दृष्टिदान का संदेश दूँ; दलितों को स्वतंत्रता प्रदान करूँ और प्रभु के अनुग्रह का वर्ष घोषित करूँ। येसु ने पुस्तक बंद कर दी। और उसे सेवक को दे कर वह बैठ गये। सभागृह के सब लोगों की आँखें उन पर लगी हुई थीं। तब वह उन से कहने लगे, “धर्मग्रंथ का यह कथन आज तुम लोगों के सामने पूरा हो गया है।”
प्रभु का सुसमाचार।