प्रभु ने समुद्र में मार्ग बनाया और उमड़ती हुई लहरों में पथ तैयार किया था। उसने रथ, घोड़े और एक विशाल सेना बुलायी। वे सब के सब ढेर हो गये और फिर कभी नहीं उठ पाये। वे बत्ती की तरह जल कर बुझ गये। वही प्रभु कहता है, “पिछली बातें भुला दो, पुरानी बातें जाने दो। देखो, मैं एक नया कार्य करने जा रहा हूँ। वह प्रारंभ हो चुका है। क्या तुम उसे नहीं देखते? मैं मरुभूमि में मार्ग बनाऊँगा और उजाड़ प्रदेश में पथ तैयार करूँगा। जंगली जानवर, गीदड़ और शुतुरमुर्ग मुझे धन्य कहेंगे, क्योंकि मैं अपनी प्रजा की प्यास बुझाने के लिए मरुभूमि में जल का प्रबंध करूँगा और उजाड प्रदेश में नदियाँ बहाऊँगा। मैंने यह प्रजा अपने लिए बनायी है। यह मेरा स्तुतिगान करेगी”।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : प्रभु ने हमारे लिए अपूर्व कार्य कये हैं। हम अत्यन्त आनन्दित हो उठे।
1. प्रभु जब सियोन के निर्वासितों को वापस ले आया, तो हमें लगा कि हम स्वप्न देख रहे हैं। हमारे मुख पर हँसी खिल उठी और हम आनन्द के गीत गाने लगे।
<>2. गैर-यहूदी आपस में यह कहते थे, “प्रभु ने अपने लिए अपूर्व कार्य किये हैं"। उसने वास्तव में हमारे लिए अपूर्व कार्य किये हैं और हम अत्यन्त आनन्दित हो उठे।3. हे प्रभु! मरुभूमि की नदियों की तरह हमारे निर्वासितों को वापस ले आ। जो सोते हुए बीज बोते हैं, वे गाते हुए लुनते हैं।
4. जो बीज ले कर चले गये थे, जो रोते हुए चले गये थे, वे पूले लिए लौट रहे हैं, वे गाते हुए लौट रहे हैं।
मैं अपने प्रभु येसु मसीह को जानना सर्वश्रेष्ठ लाभ मानता हूँ और इस ज्ञान की तुलना में हर वस्तु को हानि ही मानता हूँ। उन्हीं के लिए मैंने सब कुछ छोड़ दिया और उसे कूड़ा समता हूँ, जिससे मैं मसीह को प्राप्त करूँ और उनके साथ पूर्ण रूप से एक हो जाऊँ। मुझे अपनी धार्मिकता का नहीं, जो संहिता के पालन से मिलती है, बल्कि उस धार्मिकता का भरोसा है, जो मसीह में विश्वास करने से मिलती है, जो ईश्वर से आती है और विश्वास पर आधारित है। मैं यह चाहता हूँ कि मसीह को जान लूँ, उनके पुनरुत्थान के सामर्थ्य का अनुभव करूँ और मृत्यु में उनके सदृश बन कर उनके दुःखभोग का सहभागी बन जाऊँ, जिससे मैं किसी तरह मृतकों के पुनरुत्थान तक पहुँच सकूँ। मैं यह नहीं कहता कि मैं अब तक यह सब कर चुका हूँ अथवा मुझे पूर्णता प्राप्त हो गयी है, किन्तु मैं आगे बढ़ता जाता हूँ ताकि वह लक्ष्य मेरी पकड़ में आये, जिसके लिए येसु खीस्त ने मुझे अधिकार में ले लिया है। भाइयों! मैं यह नहीं समझता हूँ कि वह लक्ष्य अब तक मेरी पकड़ में आ गया है। में इतना ही कहता हूँ कि पीछे की बातें भुला कर और आगे की बातों पर दृष्टि लगा कर मैं बड़ी उत्पुकता से अपने लक्ष्य की ओर दौड़ता जाता हँं ताकि मैं स्वर्ग में वह पुरस्कार प्राप्त कर सकूँ जिसके लिए ईश्वर ने हमें येसु मसीह में बुलाया है।
प्रभु की वाणी।
बुराई नहीं बल्कि भलाई की खोज में लगे रहो, जिससे तुम जीवित रह सको और कि विश्वमंडल. का परमेश्वर सचमुच तुम्हारे साथ हो।
येसु जैतुन पहाड़ चले गये। वह बडे सबेरे फिर मंदिर आये। सारी जनता उनके पास इकट्ठी हो गयी थी और बह बैठ कर लोगों को शिक्षा दे रहे थे। उस समय शास्त्री और फरीसी व्यभिचार में पकड़ी गयी एक स्त्री को ले आये और उसे बीच में खड़ा कर, उन्होंने येसु से कहा, “'गुरुवर! यह स्त्री व्यभिचार करते हुए पकड़ी गयी है। संहिता में मूसा ने हमें ऐसी स्त्रियों को पत्थरों से मार डालने का आदेश दिया है। आप इसके विषय में क्या कहते हैं?” उन्होंने येसु की परीक्षा करते हुए यह कहा, जिससे उन्हें उन पर दोष लगाने का कोई आधार मिल जाये। येसु झुक कर उँगली से भूमि पर लिखते रहे, जब वे उन से उत्तर देने के लिए आग्रह करते रहे, तो येसु ने सिर उठा कर उन से कहा, “तुम में से जो निष्पाप हो, वही सब से पहले इसे पत्थर मारे”। और वह फिर झुक कर भूमि पर लिखने लगे। यह सुन कर बड़ों से ले कर छोटों तक, सब के सब, एक-एक करके खिसक गये। येसु अकेले रह गये और वह स्त्री बीच में खड़ी रही। तब येसु ने सिर उठा कर उस से कहा, “नारी! वे लोग कहाँ हैं? क्या एक ने भी तुम्हें दण्ड नहीं दिया?” उसने उत्तर दिया, “महोदय! एक ने भी नहीं”। इस पर येसु ने उस से कहा, “मैं भी तुम्हें दण्ड नहीं दूँगा। जाओ और अब से फिर पाप नहीं करना।प>
प्रभु का सुसमाचार।