प्रभु ने मुझे सावधान किया, तो मैं जान गया; उसने उनका षड्यंत्र मुझ पर प्रकट किया। मैं तो वध के लिए ले जाये जाने वाले मेमने के सदृश भोला-भाला था, मैं नहीं जानता था कि वे यह कहते हुए मेरे विरुद्ध षड्यंत्र रच रहे थे, “हम वह हरा-भरा वृक्ष काट कर गिरायें, हम उसे जीवितों की दुनिया से उठा दें, जिससे उसका नाम लेने बाला भी न रहे।” हे विश्वमंडल के प्रभु! तू न्यायी, तू मनुष्य के हदय की थाह लेता हैं, मैं उन पर तेरा प्रतिशोध देखूँगा क्योंकि मैंने अपना मामला तेरे हाथों सौंप दिया है।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु! मैं तेरी शरण में आया हूँ।
1. हे प्रभु! मेरे ईश्वर! मैं तेरी शरण में आया हूँ। मुझे बचा, मेरा पीछा करने बालों से मुझे छुड़ा। कहीं ऐसा न हो कि वे सिंह की तरह मुझे फाड़ डालें, मुझे घसीट कर ले जायें और कोई मुझे न बचाये।
2. हे प्रभु! मैं ऋर्म के मार्ग पर चलता रहा, मेरा हृदय निर्दोष है। तू मुझे न्याय दिला। हे प्रभु! तू न्यायी है, तू मनुष्य के हृदय की थाह लेता है। विधर्मियों की दुष्टता मिटाने और धर्मियों को सुदृढ़ बनाये रखने की कृपा कर।
3. ईश्वर हीं मेरी ढाल है। वह निष्कपट हृदय की रक्षा करता है। ईश्वर न्याय करने में सच्चा है। वह क्रोध करने में देर करता, किन्तु विधर्मियों को हर समय धमकाता है।
ईश्वर ने संसार को इतना प्यार किया कि उसने उसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित किया, जिससे जो कोई उस में विश्वास करे, वह अनन्त जीवन प्राप्त करे।
येसु की बातें सुन कर जनता में से कुछ लोगों ने कहा, “यह सचमुच नबी हैं।” कुछ ने कहा, “यह मसीह हैं।” किन्तु कुछ लोगों ने कहा, “क्या मसीह गलीलिया से आने वाले हैं? क्या धर्मग्रन्थ यह नहीं कहता कि दाऊद के वंश से और दाऊद के गाँव बेथलेहेम से मसीह को आना है?” इस प्रकार येसु के विषय में लोगों में मतभेद हो गया। कुछ लोग येसु को गिरफ्तार करना चाहते थे, किन्तु किसी ने उन पर हाथ नहीं डाला। जब प्यादे महायाजकों और फरीसियों के पास लौटे, तो उन्होंने उन से पूछा, “उसे क्यों नहीं लाये?” प्यादों ने उत्तर दिया, “जैसा वह मनुष्य बोलता है, वैसा कोई कभी नहीं बोला।”' इस पर फरीसियों ने कहा, “क्या तुम भी उसके बहकावे में आ गये हो? क्या नेताओं अथवा फरीसियों में से किसी ने उस में विश्वास किया है? भीड़ की बात दूसरी है। वह संहिता की परवाह नहीं करती और शापित है।” निकोदेमुस, जो पहले येसु से मिलने आया था, उन में से एक था। उसने उन से कहा, “जब तक किसी की सुनवाई नहीं हुई हो और यह पता नहीं चले कि उसने क्या किया है, तब तक क्या यह हमारी संहिता के अनुसार उचित है कि किसी को दोषी ठहराया जाये?” उन्होंने उसे उत्तर दिया, “कहीं आप भी तो गलीली नहीं हैं? पता लगा कर देख लीजिए कि गलीलिया में नबी नहीं उत्पन्न होता।”
प्रभु का सुसमाचार।