चालीसे का चौथा सप्ताह - बुधवार

पहला पाठ

नबी इसायस का ग्रन्थ 49:8-15

“मैंनें तुम को विधान की प्रजा नियुक्त किया है।”

प्रभु यह कहता है, मैं उपयुक्त समय में तुम्हारी सुनूँगा, मैं कल्याण के दिन तुम्हारी सहायता करूँगा। मैंने तुम को बनाया है और अपने विधान की प्रजा नियुक्त किया है। मैं भूमि का उद्धार करूँगा और तुम्हें उजाड़ प्रदेशों में बसाऊँगा। मैं बन्दियों से यह कहूँगा, “मुक्त हो जाओ!” और अंधकार में रहने वालों से "सामने आओ”। वे मार्गों के किनारे चरेंगे और उन्हें उजाड़ स्थानों में चारा मिलेगा। उन्हें फिर कभी न तो भूख लगेगी और न प्यास, उन्हें न तो लू से कष्ट होगा और न धूप से, क्योंकि जो उन्हें प्यार करता है, वह उनका पथप्रदर्शन करेगा और उन्हें उमड़ते हुए जलस्रोतों तक ले चलेगा। मैं पर्वतों में रास्ता निकालूँगा और मार्गों को समतल बना दूँगा। देखो, कुछ लोग दूर से आ रहे हैं, कुछ उत्तर से, कुछ पश्चिम से और कुछ सिनिम के देश से। आकाश जयकार करे! पृथ्वी उललसित हो और पर्वत आनन्द के गीत गायें! क्योंकि प्रभु अपनी प्रजा को सान्त्वना देता है और अपने दीन-हीन लोगों पर दया करता है। सियोन यह कह रहा था, “प्रभु ने मुझे छोड़ दिया है। प्रभु ने मुझे भुला दिया है।” क्या स्त्री अपना दुधमुँहाँ बच्चा भुला सकती है? क्या वह अपनी गोद के पुत्र पर तरस नहीं खायेगी? यदि वह भुला भी दे, तो भी मैं तुम्हें कभी नहीं भुलाउँगा।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 144: 8-9,13-14,17-18

अनुवाक्य : प्रभु दया और प्रेम से परिपूर्ण है।

प्रभु दया और अनुकम्पा से परिपूर्ण है, वह सहनशील और अत्यन्त प्रेममय है। वह सबों का कल्याण करता है, वह अपनी सारी सृष्टि पर दया करता है।

2. प्रभु अपनी सब प्रतिज्ञाएँ पूरी करता है। उसके समस्त कार्य उसके प्रेम से पूर्ण हैं। प्रभु निर्बल को सँभालता और झुके हुए को सीधा करता है।

3. प्रभु जो कुछ करता है, अच्छा ही करता है। वह जो कुछ करता है, प्रेम से करता है। वह उन सबों के निकट है, जो उसका नाम लेते हैं, जो सच्चे हृदय से उस से विनती करते हैं।

सुसमाचार

जयघोष : योहन 11:25,26

प्रभु कहते हैं, “पुनरुत्थान और जीवन मैं हूँ। जो मुझ में विश्वास करता है, वह कभी नहीं मरेगा।”

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 5:17-30

“जिस तरह पिता मृतकों को उठाता और जिलाता है, उसी तरह पुत्र भी जिसे चाहता है, उसे जीवन प्रदान करता है।”

येसु ने यहूदियों से कहा, “मेरा पिता अब तक काम कर रहा है और मैं भी काम कर रहा हूँ।'” अब यहूदियों का उन्हें मार डालने का निश्चय और भी दृढ़ हो गया, क्योंकि वह न केवल विश्राम-दिवस का नियम तोड़ते थे, बल्कि ईश्वर को अपना निजी पिता कह कर ईश्वर के बराबर होने का दावा करते थे। येसु ने उस से कहा, “मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ - पुत्र स्वयं अपने से कुछ भी नहीं कर सकता। वह केवल वही कर सकता है, जो पिता को करते देखता है। जो कुछ पिता करता है, वही पुत्र भी करता है; क्योंकि पिता पुत्र को प्यार करता है और वह स्वयं जो कुछ करता है, उसे पुत्र को दिखाता है। वह उसे और महान्‌ कार्य दिखायेगा, जिन्हें देख कर तुम लोग अचंभे में पड़ जाओगे। जिस तरह पिता मृतकों को उठाता और जिला देता है, उसी तरह पुत्र भी जिसे चाहता है, उसे जीवन प्रदान करता है। पिता तो किसी का न्याय नहीं करता। उसने न्याय करने का पूरा अधिकार पुत्र को दे दिया है, जिससे सब लोग जैसे पिता का आदर करते हैं, वैसे ही पुत्र का भी आदर करें। जो पुत्र का आदर नहीं करता, वह पिता का, जिसने पुत्र को भेजा है, आदर नहीं करता।” “मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ - जो मेरी शिक्षा सुनता है और जिसने मुझे भेजा है, उस में विश्वास करता है, उसे अनन्त जीवन प्राप्त है। वह दोषी नहीं ठहराया जायेगा। वह तो मरण को पार कर जीवन में प्रवेश कर चुका है।” “मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ - वह समय आ रहा है, आ ही गया है, जब मृतक ईश्वर के पुत्र की वाणी सुनेंगे और जो सुनेंगे, उन्हें जीवन प्राप्त होगा। जिस तरह पिता स्वयं जीवन का स्रोत है, उसी तरह उसने पुत्र को भी जीवन का स्रोत बना दिया और उसे न्याय करने का भी अधिकार दिया है; क्योंकि वह मानव पुत्र हैं।” “इस पर आश्चर्य न करो। वह समय आ रहा है, जब वे सब, जो कब्रों में हैं, उसकी वाणी सुन कर निकल आयेंगे। सत्कर्मी जोवन के लिए पुनर्जीवित हो जायेंगे और कुकर्मी नरकदण्ड के लिए। मैं स्वयं अपने से कुछ भी नहीं कर सकता। मैं जो सुनता हूँ, उसी के अनुसार निर्णय देता हूँ और मेरा निर्णय न्यायसंगत है; क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं, बल्कि जिसने मुझे भेजा है, उसकी इच्छा पूरी करना चाहता हूँ।”

प्रभु का सुसमाचार।