चालीसे का चौथा इतवार - वर्ष B (प्रस्तुत पाठ के बदले वर्ष # के पाठ पढ़ कर सुनाये जा सकते हैं )

पहला पाठ

यहूदियों ने ईश्वर के विरुद्ध आचरण किया था। इसलिए बाबुल की सेना ने येरुसालेम को नष्ट कर दिया। यहूदी बन्दी बन कर बाबुल ले जाये गये थे। बाद में फारस के राजा सीरुस ने बाबुल पर विजय पायी और यहूदियों को उनके अपने देश वापस जाने की अनुमति दे दी।

दूसरा इतिहास-ग्रंथ 3:14-16,19-23

“प्रभु का दण्ड और दयालुता; यहूदियों का निर्वासन और मुक्ति।”

सिदकीया के राज्यकाल में अधर्म याजकों के नेताओं में और जनता में भी बहुत अधिक फैल गया, क्योंकि उन्होंने ग़ैर-यहूदी राष्ट्रों के धर्मविरोधी कार्यो का अनुकरण किया और प्रभु द्वारा प्रतिष्ठित येरुसालेम का मंदिर अपवित्र कर दिया। प्रभु, उनके पूर्वजों का ईश्वर, उनके पास अपने दूतों को निरन्तर भेजता रहा; क्योंकि उसे अपने मंदिर तथा अपनी प्रजा पर तरस आता था। किन्तु उन्होंने ईश्वर के दूतों का उपहास किया, उसके उपदेशों का तिरस्कार किया और उसके नबियों की हँसी उड़ायी। अंत में ईश्वर का क्रोध अपनी प्रजा पर फूट पड़ा और उस से बचने का कोई उपाय नहीं रहा। बाबुल के लोगों ने ईश-मंदिर जलाया, येरुसालेम की चहारदीवारी गिरा दी, उसके सब महलों का, आग लगा कर, सर्वनाश किया और उसकी सब बहुमूल्य वस्तुएँ नष्ट कर दीं। जो लोग तलवार से बच गये, उन्हें बंदी बना कर बाबूल ले जाया गया। वहाँ वे तब तक राजा और उसके वंशजों के दास बने रहे, जब तक फारसी लोगों का राज्य स्थापित नहीं हुआ। इस तरह येरेमियस के मुख से प्रभु ने जो कहा था, वह पूरा हो गया - विश्राम-दिवस अपवित्र करने के प्रायश्चित के रूप में यूदा की भूमि उजड़ कर सत्तर वर्षों तक पड़ती पड़ी रहेगी। येरेमियस द्वारा घोषित अपनी वाणी पूरी करने के लिए प्रभु ने फारस के राजा सीरुस को उसके शासनकाल के प्रथम वर्ष में प्रेरित किया कि वह अपने सम्पूर्ण राज्य में यह लिखित राजाज्ञा प्रसारित करे - “फारस का राजा सीरुस कहते हैं : प्रभु, स्वर्ग के ईश्वर, ने मुझे पृथ्वी के सब राज्य प्रदान किये और उसने मुझे यहूदिया के येरुसालेम में एक मंदिर बनवाने का आदेश दिया है। ईश्वर उनके साथ रहे, जो तुम लोगों में उसकी प्रजा के सदस्य हैं। वे लोग येरुसालेम की ओर प्रस्थान करें”।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 136:1-6

अनुवाक्य : हे प्रभु, यदि मैं तुझे याद न करूँ तो मेरी जीभ तालू से चिपक जाये।

1. बाबुल की नदियों के तट पर बैठ कर हम सियोन की याद करते हुए रोते थे। आसपास खडे मजनूँ के पेड़ों पर हमने अपनी वीणाएँ टाँग दी थीं।

2. जो लोग हमें बन्दी बना कर ले गये थे वे हम से भजन गाने को कहते थे। हम पर अत्याचार करने वाले हम से आनन्द के गीत चाहते थे। वे हम से कहते थे - सियोन का कोई भजन सुनाओ।

3. हम पराये देश में रहते हुए प्रभु का भजन केसे गा कर सुनायें? येरुसालेम! यदि मैं तुझे भुला दूँ, तो मेरा दाहिना हाथ सूख जाये।

4. यदि मैं तुझे याद नहीं करूँ, यदि मैं येरुसालेम को अपना सर्वोत्तम आनन्द नहीं मानूँ, तो मेरी जीभ तालू से चिपक जाये।

दूसरा पाठ

ईश्वर की असीम कृपा ने येसु मसीह के द्वारा हमारे लिए मुक्ति का द्वार खोल दिया। इसका अर्थ यह नहीं है कि हमें इसके बाद कुछ नहीं करना चाहिए। सन्त पौलुस हमें याद दिलाते हैं कि हम को पुण्य के कार्य करते हुए ईश्वर के बताये हुए मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए।

एफेसियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 2:4-10

“हम अपने पापों के कारण मर चुके थे। प्रभु की दया ने हमें बचा लिया।”

ईश्वर की दया अपार है। हम अपने पापों के कारण मर चुके थे, किन्तु उसने हमें इतना प्यार किया कि उसने हमें मसीह के साथ जिलाया है। उसकी कृपा ने आप लोगों का उद्धार किया है। उसने येसु मसीह के द्वारा हम लोगों को पुनर्जीवित किया और स्वर्ग में बैठा दिया। उसने हम को येसु मसीह में जो दयालुता दिखायी, उसके द्वारा उसने आगामी युगों के लिए अपने अनुग्रह की असीम समृद्धि को प्रदर्शित किया। उसकी कृपा ने विश्वास के द्वारा आप लोगों का उद्धार किया है। यह आपके किसी पुण्य का फल नहीं है, यह तो ईश्वर का वरदान है। यह आपके किसी कार्य का पुरस्कार नहीं है। और इसलिए इसका श्रेय कोई भी नहीं ले सकता। ईश्वर ने हम को बनाया। उसने येसु मसीह द्वारा हमारी सृष्टि की है, जिससे हम पुण्य के कार्य करते रहें और उसी मार्ग पर चलते रहें, जिसे ईश्वर ने हमारे लिए तैयार किया है।

प्रभु की वाणी।

जयघोष : योहन 3:6

ईश्वर ने संसार को इतना प्यार किया कि उसने उसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित किया। जो कोई उस में विश्वास करता है, उसे अनन्त जीवन प्राप्त है।

सुसमाचार

जब यहूदी लोग मरुभूमि में बीमार थे तो मूसा ने साँप की मूर्ति को खड़ा कर दिया था और उसकी ओर देख कर वे अच्छे हो जाते थे। इसी तरह येसु मसीह क्रूस पर ऊपर उठाये गये और जो उन में विश्वास करते हैं, वे पाप की बीमारी से मुक्त हो जाते हैं।

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 3:14-21

“ईश्वर ने अपने पुत्र को इसलिए भेजा है कि संसार उसी के द्वारा मुक्ति प्राप्त करे।”

येसु ने निकोदेमुस से कहा, “जिस तरह मूसा ने मरुभूमि में साँप को ऊपर उठाया था, उसी तरह मानव पुत्र को ऊपर उठाया जाना है, जिससे जो कोई उस में विश्वास करे, वह अनन्त जीवन प्राप्त करे।” ईश्वर ने संसार को इतना प्यार किया कि उसने उसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो कोई उस में विश्वास करे, उसका सर्वनाश न हो, बल्कि वह अनन्त जीवन प्राप्त करे। ईश्वर ने अपने पुत्र को संसार में इसलिए नहीं भेजा है कि वह संसार को दोषी ठहराये। उसने उसे इसलिए भेजा है कि संसार उसके द्वारा मुक्ति प्राप्त करे। जो पुत्र में विश्वास करता है, वह दोषी नहीं ठहराया जाता है; जो विश्वास नहीं करता, वह दोषी ठहराया जा चुका है, क्योंकि वह ईश्वर के एकलौते पुत्र के नाम में विश्वास नहीं करता। दण्डाज्ञा का कारण यह है कि ज्योति संसार में आयी और मनुष्यों ने ज्योति की अपेक्षा अंधकार को अधिक पसंद किया है, क्योंकि उनके कर्म बुरे थे। जो बुराई करता है, वह ज्योति से वेर रखता है और ज्योति के पास इसलिए नहीं आता कि कहीं उसके कर्म प्रकट न हो जायें। किन्तु जो सत्य पर चलता है, वह ज्योति के पास आता हैं जिससे यह प्रकट हो जाये कि उसके कर्म ईश्वर की प्रेरणा से हुए हैं।

प्रभु का सुसमाचार।