हे इस्राएल! अपने प्रभु-ईश्वर के पास लौट आओ; क्योंकि तुम अपने पाप के कारण गिर गये हो। प्रार्थना का चढ़ावा ले कर प्रभु के पास लौट जाओ और यह कहो, “हमारा अपराध क्षमा कर और हमारा शुभ संकल्प ग्रहण कर, जिससे हम बलि-पशुओं के बदले तुझे अपनी प्रार्थना चढ़ायें।” 'अस्सूर हम को बचाने में असमर्थ हैं। हम फिर कभी न तो घोड़ों पर सवार होंगे और न अपने हाथ की बनायी हुई मूर्ति को अपना ईश्वर मानेंगे। तू ही अनाथ पर दया करता है।” मैं उनके विश्वासघात का रोग दूर करूँगा, मैं उनको सारे हदय से प्यार करूँगा; क्योंकि मेरा क्रोध उन पर से दूर हो गया है। मैं इस्राएल के लिए ओस के सदृश बन जाऊँगा। वह सोसन की तरह खिल उठेगा और लेबानोन के देवदार की तरह जड़ें जमायेगा। उसकी शाखाएँ दूर तक फैल जायेंगी; उसकी शोभा जैतून के सदृश और उसकी सुगंध देवदार की तरह होगी। इस्राएल फिर मेरी छाया में निवास करेगा और प्रचुर मात्रा में गेहूँ उपजायेगा। वह दाखलता की भाँति फलेगा-फूलेगा और लेबानोन की अंगूरी की तरह ख्याति प्राप्त करेगा। हे एफ्राईम! देवमूर्तियों से मुझ को क्या? मैं तुम्हारी प्रार्थथा सुनता और तुम्हारी देख-रेख करता हूँ। मैं सदा-बहार सरु का वृक्ष हूँ, तुम्हें मुझ से ही फल मिलता रहता है। कौन समझदार है, जो ये बातें समझेगा? कौन बुद्धिमानू, जो इनका मर्म जान लेगा? प्रभु के मार्ग सीधे हैं; धर्मी उन पर चलते हैं, किन्तु पापी इन पर गिर जाते हैं।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : मैं ही तुम्हारा प्रभु-इईश्वर हूँ। तुम मेरी बात सुन लो।
1. मैंने एक अपरिचित वाणी को यह कहते सुना, “मैंने तुम्हारे कन्धों पर से भार उतारा और तुम को बेगार से छुड़ाया। तुमने संकट में मेरी दुहाई दी और मैंने तुम्हारा उद्धार किया।”
2. मैंने गरजते हुए बादलों में से तुम्हें उत्तर दिया, मैंने मरीबा के जलाशय के पास तुम्हारी परीक्षा ली। हे मेरी प्रजा! मेरी चेतावनी पर ध्यान दो। हे इस्राएल! मेरी बात सुन लो।
3. तुम लोगों के बीच कोई पराया देवता न हो, तुम किसी पराये देवता की आराधाना मत करो। मैं ही तुम्हारा प्रभु-ईश्वर हूँ, मैं ही तुम्हें मिस्र से निकाल लाया। ओह! यदि मेरी प्रजा मेरी बात सुनती, यदि इस्राएल मेरे पथ पर चलता, तो मैं उसको उत्तम गेहूँ खिलाता और उसे चट्टान के मधु से तृप्त करता।
प्रभु कहते हैं, “पश्चात्ताप करो। स्वर्ग राज्य निकट आ गया है।”
एक शास्त्री येसु के पास आया। उसने यह विवाद सुना था और यह देख कर कि येसु ने सदूकियों को ठीक उत्तर दिया है, उन से पूछा, “सब से पहली आज्ञा कौन-सी है?” येसु ने उत्तर दिया, “पहली आज्ञा यह है - हे इस्राएल, सुनो! हमारा प्रभु ईश्वर एकमात्र प्रभु है। अपने प्रभु-ईश्वर को अपने सारे हृदय, अपनी सारी आत्मा, अपनी सारी बुद्धि और सारी शक्ति से प्यार करो। दूसरी आज्ञा यह है - अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो। इन से बड़ी कोई आज्ञा नहीं है।” शास्त्री ने उन से कहा, “ठीक है, गुरुवर! आपने सच कहा है। एक ही ईश्वर है, उसके सिवा और कोई नहीं है। उसे अपने सारे हृदय, अपनी सारी बुद्धि और अपनी सारी शक्ति से प्यार करना और अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करना, यह हर प्रकार के होम और वलिदान से बढ़कर है।” येसु ने उसका विवेकपूर्ण उत्तर सुन कर उस से कहा, “तुम ईश्वर के राज्य से दूर नहीं हो।” इसके वाद किसी को येसु से और प्रश्न करने का साहस नहीं हुआ।
प्रभु का सुसमाचार।