चालीसे का तीसरा सप्ताह - मंगलवार

पहला पाठ

नबी दानिएल का ग्रन्थ 3:25,34-43

“हमारा पश्चात्तापी हृदय और हमारा विनम्र मन तुझे ग्राह्य हों।”

अजर्या अग्नि के बीच खड़ा हो कर ऊँचे स्वर से इस प्रकार प्रार्थना करने लगा - तू अपने नाम का ध्यान रख - हमें सदा के लिए न त्याग, हमारे लिए अपना विधान रद्द न कर। अपने मित्र इब्राहीम, अपने सेवक इसहाक तथा अपने भक्त इस्राएल को स्मरण कर, अपनी कृपादृष्टि हम पर से दूर न कर। तूने उन से यह प्रतिज्ञा की थी कि मैं आकाश के तारों की तरह और समुद्र-तट के बालू की तरह तुम्हारे वंशजों को असंख्य बना दूँगा। हे प्रभु! संख्या की दृष्टि से हम सब राष्ट्रों से छोटे हो गये हैं, और अब हमारे पापों के कारण पृथ्वी भर में हमारा अपमान हो रहा है। अब तो न राजा है, न नबी, न नेता, न होम, न यज्ञ, न बलि और न धूपदान। कोई स्थान ऐसा नहीं, जहाँ तेरी कृपादृष्टि प्राप्त करने के लिए हम तुझे प्रथम फल अर्पित करें। हमारा पश्चात्तापी हृदय और हमारा विनम्र मन मेढ़ों तथा साँडों और हजारों पुष्ट भेड़ों की बलि जैसे तुझे ग्राह्य हों। आज तेरे लिए यही हमारा बलिदान हो। ऐसा कर कि हम पूर्ण रूप से तेरे मार्ग पर चलें, क्योंकि तुझ पर भरोसा रखने वाले कभी निराश नहीं होते। अब हम यह दृढ़ संकल्प करते हैं कि हम तेरे मार्ग पर चलेंगे, तुझ पर श्रद्धा रखेंगे और तेरे दर्शनों के लिए तरसते रहेंगे। हमें निराश न होने दे, बल्कि हम पर अपनी सहनशीलता तथा महती दया प्रदर्शित कर। हे प्रभु! अपने अपूर्व कार्यों द्वारा हमारी रक्षा कर और अपने नाम को महिमान्वित कर।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 24:4-9

अनुवाक्य : हे प्रभु! अपनी दयालुता याद कर।

1. हे प्रभु! तू मुझे अपना मार्ग दिखा, तू मुझे अपने पथ बता। मुझे अपने सच्चाई के मार्ग पर ले चल और मुझे शिक्षा देने की कृपा कर, क्योंकि तू ही मेरा ईश्वर और मुक्तिदाता है।

2. हे प्रभु! अपनी करुणा और दयालुता याद कर, जो अनन्तकाल से बनी हुई हैं। तू मेरी जवानी के पाप भुला दे और अपनी भलाई के अनुसार मेरी सुधि लेने की कृपा कर।

3. प्रभु भला और न्यायी है, वह पापियों को मार्ग पर लाता है। वह दीनों को सन्मार्ग पर ले चलता और पद्दलितों को अपना मार्ग बताता है।

सुसमाचार

जयघोष : योएल 2:12-13

प्रभु कहता है - सारे हृदय से मेरे पास लौट आओ -और मैं प्रेमपूर्वक तुम पर दया करूँगा।

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 18:21-35

“यदि तुम में हर एक अपने भाई को क्षमा नहीं करेगा, तो पिता भी तुम्हें क्षमा नहीं करेगा।”

पेत्रुस ने पास आ कर येसु से कहा, “प्रभु! यदि मेरा भाई मेरे विरुद्ध अपराध करता जाये, तो मैं कितनी बार उसे क्षमा करूँ? सात बार तक?” येसु ने उत्तर दिया, “मैं तुम से नहीं कहता - सात बार तक, बल्कि सत्तर-गुना सात बार तक ।" “यही कारण है कि स्वर्ग का राज्य उस राजा के सदृश है, जो अपने सेवकों से लेखा लेना चाहता था। जब वह लेखा लेने लगा, तो उसका लाखों रुपये का एक कर्जदार उसके सामने पेश किया गया। अदा करने के लिए उसके पास कुछ भी नहीं था, इसलिए स्वामी ने आदेश दिया कि उसे, उसकी पत्नी, उसके बच्चों और उसकी सारी जायदाद को बेच दिया जाये और ऋण अदा कर लिया जाये। इस पर वह सेवक उसके पैरों पर गिर कर अनुनय-विनय करने लगा, “मुझे समय दीजिए और मैं आप को सब चुका दूँगा”। उस सेवक के स्वामी को तरस हो आया और उसने उसे जाने दिया और उसका कर्ज माफ कर दिया। जब वह सेवक बाहर निकला, तो वह अपने एक सह-सेवक से मिला, जो उसका लगभग एक सौ रुपये का कर्जदार था। उसने उसे पकड़ लिया और उसका गला घोंट कर कहा, “अपना कर्ज चुका दो”। सह-सेवक उसके पैरों पर गिर पड़ा और यह कह कर अनुनय-विनय करने लगा, “मुझे समय दीजिए और मैं आप को चुका दूँगा”। परन्तु उसने नहीं माना और जा कर उसे तब तक के लिए बंदीगृह में डलवा दिया, जब तक वह अपना कर्ज न चुका दे। यह सब देख कर उसके दूसरे सह-सेवक बहुत दुःखी हो गये और उन्होंने स्वामी के पास जा कर सारी बातें बता दीं। तब स्वामी ने उस सेवक को बुला कर कहा, “रे दुष्ट सेवक! तुम्हारी अनुनय-विनय पर मैंने तुम्हारा वह सारा कर्ज माफ कर दिया था, तो जिस प्रकार मैंने तुम पर दया की थी, क्या उसी प्रकार तुम्हें भी अपने सह-सेवक पर दया नहीं करनी चाहिए थी?' और स्वामी ने क्रुध्द हो कर उसे तब तक के लिए जल्लादों के हवाले कर दिया, जब तक वह कौड़ी-कौड़ी न चुका दे। यदि तुम में हर एक अपने भाई को पूरे हदय से क्षमा नहीं करेगा, तो मेरा स्वर्गिक पिता भी तुम्हारे साथ ऐसा ही करेगा।”

प्रभु का सुसमाचार।