चालीसे का तीसरा इतवार - वर्ष B

(प्रस्तुत पाठों के बदले वर्ष A के पाठ पढ़ कर सुनाये जा सकते हैं )

पहला पाठ

सिनाई पर्वत पर ईश्वर ने यहूदियों को यह बताया कि वे उसके साथ और अपने पड़ोसी के साथ कैसा व्यवहार करें। येसु ने बाद में पड़ोसी के साथ व्यवहार के विषय में कहा, “जैसे मैंने तुम लोगों को प्यार किया है, वैसे ही एक दूसरे को प्यार करो”।

निर्गमन-ग्रंथ 20:1-17

[कोष्ठक में रखा अंश छोड़ दिया जा सकता है]
“ईश्वर मूसा को अपनी आज्ञाएँ देता है।”

ईश्वर ने सिनाई पर्वत पर मूसा से यह सब कहा, “मैं प्रभु, तुम्हारा ईश्वर हूँ। मैंने तुम को मिस्र देश से, गुलामी के घर से, निकाल लिया है”। मेरे सिवाय तुम्हारा कोई ईश्वर नहीं होगा।

[अपने लिए कोई देवमूर्ति मत बनाओ। ऊपर आकाश में, या नीचे पृथ्वी तल पर, या पृथ्वी के नीचे के जल में रहने वाले किसी भी प्राणी अथवा वस्तु का चित्र मत बनाओ। उन मूर्तियों को दण्डवत्‌ करके उनकी पूजा मत करो, क्योंकि मैं प्रभु, तुम्हारा ईश्वर, ऐसी बातें सहन नहीं करता। जो मुझ से बैर करते हैं, मैं तीसरी और चौथी पीढ़ी तक उनकी संतति को उनके अपराधों का दण्ड देता हूँ। जो मुझे प्यार करते हैं और मेरी आज्ञाओं का पालन करते हैं, मैं हजार पीढ़ियों तक उन पर दया करता हूँ। ]

“प्रभु, अपने ईश्वर, का नाम व्यर्थ मत लो, क्योंकि जो व्यर्थ ही प्रभु का नाम लेता है, प्रभु उसे अवश्य दण्डित करेगा”। “विश्राम-दिवस को पवित्र मानने का ध्यान रखो।

[तुम छह दिनों तक परिश्रम करते रहो और अपना सब काम करो, परन्तु सातवाँ दिन तुम्हारे प्रभु-ईश्वर के आदर में विश्राम का दिन है। उस दिन न तो कोई काम करो, न तुम्हारा पुत्र, न तुम्हारी पुत्री, न तुम्हारा नौकर, न तुम्हारी नौकरानी, न तुम्हारे चौपाये, और न तुम्हारे शहर में रहने वाला परदेशी। छह दिनों में प्रभु ने आकाश, पृथ्वी, समुद्र और उन में जो कुछ भी है, यह सब बनाया और सातवें दिन उसने विश्राम किया। इसलिए प्रभु ने विश्राम-दिवस को आशिष दी है और उसे पवित्र ठहराया है”।]

“अपने माता-पिता का आदर करो, जिससे तुम बहुत दिनों तक उस देश में जीते रहो, जिसे तुम्हारा प्रभु-ईश्वर तुम्हें प्रदान करेगा”। “हत्या मत करो। व्यभिचार मत करो। चोरी मत करो। अपने पड़ोसी के विरुद्ध, झूठी गवाही मत दो। अपने पड़ोसी के घर-बार का लालच मत करो। न तो अपने पड़ोसी की स्त्री का, न उसके नौकर अथवा नौकरानी का, न उसके बैल अथवा गधे का - उसकी किसी भी चीज का लालच मत करो”।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 18:8-11

अनुवाक्य : हे प्रभु ! तेरे ही शब्दों में अनन्त जीवन का संदेश है।

1. प्रभु का नियम सर्वोत्तम है; वह आत्मा में नवजीवन का संचार करता है। प्रभु की शिक्षा विश्वसनीय है, वह अज्ञानियों को समझदार बना देती है।

2. प्रभु के उपदेश सीधे-सादे हैं, वे हदय को आनन्दित कर देते हैं। प्रभु की आज्ञाएँ स्पष्ट हैं; वे आँखों को ज्योति प्रदान करती हैं।

3. प्रभु की वाणी परिशुद्ध है; वह अनन्तकाल तक बनी रहती है। प्रभु के निर्णय सच्चे हैं; वे सब के सब न्यायसंगत हैं।

4. वे सोने से अधिक बांछनीय हैं, परिष्कृत सोने से भी अधिक वांछनीय। वे मधु से अधिक मधुर हैं, छत्ते से टपकने वाले मधु से भी अधिक मधुर।

दूसरा पाठ

मसीह ने ईश्वर होते हुए भी दीनतापूर्वक क्रूस पर मर कर संसार के लिए मुक्ति का मार्ग खोल दिया। यह रहस्य बहुत-से लोगों की समझ में नहीं आ सकता है। इसलिए सन्त पौलुस कहते हैं कि बहुत-से लोग मसीह का दुःखभोग मूर्खता ही समझते हैं।

कुरिंथियों के नाम सन्त पौलुस का पहला पत्र 1:22-25

“हम क्रूस पर आरोपित मसीह का प्रचार करते हैं। यह मनुष्यों के विश्वास में बाधा हैं लेकिन ईश्वर के चुने हुए लोगों के लिए ईश्वर की प्रज्ञा हैं।”

भाइयों ! यहूदी चमत्कार माँगते और युनानी ज्ञान चाहते हैं, किन्तु हम क्रूस पर आरोपित मसीह का ही प्रचार करते हैं! यह यहूदियों के विश्वास में बाधा हैं और गैर-यहूदियों के लिए मूर्खता। किन्तु मसीह चुने हुए लोगों के लिए, चाहे वे यहूदी हो या युनानी, ईश्वर का सामर्थ्य और ईश्वर की प्रज्ञा हैं। क्योंकि ईश्वर की मूर्खता मनुष्यों से अधिक विवेकपूर्ण है और ईश्वर की दुर्बलता मनुष्यों से अधिक शक्तिशाली।

प्रभु की वाणी।

जयघोष : योहन 3:16

ईश्वर ने संसार को इतना प्यार किया कि उसने उसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया। जो कोई उस में विश्वास करता है, उसे अनन्त जीवन प्राप्त है।

सुसमाचार

येसु यहूदियों को यह चिह्न देते हैं - इस मंदिर को ढा दो और मैं इसे तीन दिन के अन्दर खड़ा कर दूँगा। यहूदी नहीं समझते हैं कि येसु यह बात अपने शरीर के मंदिर के बारे में कह रहे हैं। उनके पुनरुत्थान के बाद शिष्य समझ गये और उन्होंने धर्मग्रंथ पर विश्वास किया।

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 2:13-25

“इस मंदिर को ढा दो और मैं इसे तीन दिनों के अन्दर फिर खड़ा कर दूँगा।”

यहूदियों का पास्का पर्व निकट आने पर येसु येरसालेम गये। उन्होंने मंदिर में बैल, भेड़ें और कबूतर बेचने वालों को तथा अपनी मेजों के सामने बैठे हुए सराफों को देखा। उन्होंने रस्सियों का कोड़ा बना कर भेड़ों और बैलों सहित सब को मंदिर से बाहर निकाल दिया, सराफों के सिक्के छितरा दिये, उनकी मेजें उलट दीं, और कबूतर बेचने वालों से कहा, "यह सब यहाँ से हटा ले जाओ। मेरे पिता का घर बाजार मत बनाओ”। उनके शिष्यों को धर्मग्रंथ का यह कथन याद आया - तेरे घर का उत्साह मुझे खा जायेगा। यहूदियों ने येसु से कहा, “आप हमें कौन-सा चमत्कार दिखा सकते हैं जिससे हम जानें कि आप को ऐसा करने का अधिकार है ?” येसु ने उन्हें उत्तर दिया, “इस मंदिर को ढा दो और मैं इसे तीन दिनों के अन्दर फिर खड़ा कर दूँगा”। इस पर यहूदियों ने कहा, “इस मंदिर के निर्माण में छियालीस वर्ष लगे, और आप इसे तीन दिनों के अन्दर खड़ा कर देंगे?” येसु त्तो अपने शरीर के मंदिर के विषय में कह रहे थे। जब वह मृतकों में से जी उठे, तो उनके शिष्यों को याद आया कि उन्होंने यह कहा था; इसलिए उन्होंने धर्मग्रंथ और येसु के इस कथन पर विश्वास किया। जब येसु पास्का पर्व के दिनों में येरसालेम में थे, तो बहुत-से लोगों ने उनके किये हुए चमत्कार देख कर उनके नाम में विश्वास किया। परन्तु येसु उन पर कोई भरोसा नहीं रखते थे क्योंकि वह सब को जानते थे। इसकी जरूरत नहीं थी कि कोई उन्हें किसी मनुष्य के विषय में बताये; वह तो स्वयं मनुष्य का स्वभाव जानते थे।

प्रभु का सुसमाचार।