चालीसे का दूसरा सप्ताह - शनिवार

पहला पाठ

नबी मीका का ग्रन्थ 7:14-15,18-20

“वह हमारे सभी पाप समुद्र की गहराई में फेंक देगा।”

तू अपना डण्डा ले कर अपनी प्रजा, अपनी विरासत की भेड़ें चराने की कृपा कर। वे जंगल और बंजर भूमि में अकेली ही पड़ी हुई हैं। प्राचीन काल की तरह उन्हें बाशन तथा गिलआद में चरने दे। जिन दिनों तू हमें मिस्र से निकाल लाया, उन्हीं दिनों की तरह हमें चमत्कार दिखा। तेरे सदृश कौन ऐसा ईश्वर है, जो अपराध हरता और अपनी प्रजा का पाप अनदेखा करता है; जो अपना क्रोध बनाये नहीं रखता, बल्कि दया करना चाहता है ? वह फिर हम पर दया करेगा, हमारे अपराध पैरों तले रौंद देगा और हमारे सभी पाप गहरे समुद्र में फेंकेगा। तू याकूब के लिए अपनी सत्यप्रतिज्ञता और इब्राहीम के लिए अपनी दयालुता प्रदर्शित करेगा, जैसी कि तूने शपथ खा कर हमारे पूर्वजों से प्रतिज्ञा की है।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 102:1-4,9-12

अनुवाक्य : प्रभु दया तथा अनुकम्पा से परिपूर्ण है!

1. मेरी आत्मा प्रभु को धन्य कहे, मेरा सर्वस्व उसके पवित्र नाम की स्तुति करे। मेरी आत्मा प्रभु को धन्य कहे और उसके सब वरदानों को कभी नहीं भुलाये।

2. वह मेरे सब अपराध क्षमा करता और मेरी सारी कमजोरी दूर करता है। वह मुझे सर्वनाश से बचाता और प्रेम तथा अनुकम्पा से मुझे सँभालता है।

3. उसका क्रोध समाप्त हो जाता और सदा के लिए नहीं बना रहता है। वह न तो हमारे पापों के अनुसार हमारे साथ व्यवहार करता और न हमारे अपराधों के अनुसार हमें दण्ड देता है।

4. आकाश पृथ्वी के ऊपर जितना ऊँचा है, उतना महान्‌ हैं अपने भक्तों के लिए प्रभु का प्रेम। पूर्व पश्चिम से जितना दूर है, प्रभु हमारे पापों को हम से उतना दूर कर देता है।

जयघोष : लूकस 15, 28

मैं उठ कर अपने पिता के घर जाऊँगा और उन से कहूँगा, ''पिता जी ! मैंने स्वर्ग के विरुद्ध और आपके प्रति पाप किया है।

सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 15:3, 15-32

“तुम्हारा भाई मर गया था और फिर जी गया है।”

येसु का उपदेश सुनने के लिए नाकेदार और पापी उनके पास आया करते थे। फरीसी और शास्त्री यह कह कर भुनभुनाते थे, “यह मनुष्य पापियों का स्वागत करता है और उनके साथ खाता-पीतां है”। इस पर येसु ने उन को यह दृष्टान्त सुनाया, “किसी सनुष्य के दो पुत्र थे। छोटे ने अपने पिता से कहा, “पिता जी, सम्पत्ति को जो भाग मेरा है, मुझे दे दीजिए', और पिता ने उन में अपनी सम्पत्ति बाँट दी। थोड़े ही दिनों बाद छोटा बेटा अपनी समस्त सम्पत्ति एकत्र कर किसी दूर देश चला गया और वहाँ उसने भोग-विलास में अपनी सम्पत्ति उड़ा दी। जब वह सब कुछ खर्च कर चुका, तो उस देश में भारी अकाल पड़ा और उसकी हालत तंग हो गयी। इसलिए वह उस देश के एक निवासी का नौकर बन गया, जिसने उसे अपने खेतों में सूअर चराने भेजा। जो फलियाँ सूअर खाते थे, उन्हीं से वह अपना पेट भरना चाहता था, पर कोई भी उसे उन में से कुछ नहीं देता था। तब वह होश में आया और यह सोचने लगा - मेरे पिता के घर कितने ही मजदूरों को जरूरत से ज्यादा रोटी मिलती है और मैं यहाँ भूखों मर रहा हूँ। मैं उठ कर अपने पिता के पास जाऊँगा और उन से कहूँगा, 'पिता जी ! मैंने स्वर्ग के विरुद्ध और आपके प्रति पाप किया है। मैं आपका पुत्र कहलाने योग्य नहीं रहा। मुझे अपने मजदूरों में से एक जैसा रख लीजिए।' तब वह उठ कर अपने पिता के घर की ओर चल पड़ा। वह दूर ही था कि उसके पिता ने उसे देख लिया और दया से द्रवित हो उठा। उसने दौड़ कर उसे गले लगा लिया और उसका चुम्बन किया। तब पुत्र ने उस से कहा, 'पिता जी ! मैंने स्वर्ग के विरुद्ध और आपके प्रति पाप किया है। मैं आपका पुत्र कहलाने योग्य नहीं रहा।' परन्तु पिता ने अपने नौकरों से कहा, 'जल्दी अच्छे से अच्छे कपड़े ला कर इसे पहनाओ और इसकी उँगली में अँगूठी और इसके पैरों में जूते पहनाओ। मोटा बछड़ा भी ला कर मारो। हम खायें और आनन्द मनायें; क्योंकि मेरा यह बेटा मर गया था और फिर जी गया है, यह खो गया था और फिर मिल गया है।' और वे आनन्द मनाने लग" “उसका जेठा लड़का खेत में था। जब वह लौट कर घर के निकट पहुँचा, तो उसे गाने-बजाने और नाचने की आवाज सुनाई पड़ी। उसने एक नौकर को बुलाया और इसके विषय में पूछा। इसने कहा, 'आपका भाई आया है और आपके पिता ने मोटा बछड़ा मारा है, क्योंकि उन्होंने उसे भला-चंगा वापस पाया है'। इस पर वह क्रुद्ध हो गया और उसने घर के अन्दर जाना नहीं चाहा। तब उसका पिता बाहर आया और उसे मनाने लगा। पर उसने अपने पिता को उत्तर दिया, “देखिए, मैं इतने बरसों से आपकी सेवा करता आया हूँ। मैंने कभी आपकी आज्ञा का उल्लंघन नहीं किया। फिर भी आपने कभी मुझे बकरी का बच्चा तक नहीं दिया, ताकि मैं अपने मित्रों के साथ आनन्द मनाउँ। पर जैसे ही आपका यह बेटा आया, जिसने वेश्याओं के पीछे आपकी सम्पत्ति उड़ा दी हैं, आपने इसके लिए मोटा बछड़ा मार डाला है।” इस पर पिता ने उस से कहा, “बेटा, तुम तो सदा मेरे साथ रहते हो और जो कुछ मेरा है, वह तुम्हारा है। परन्तु आनन्द मनाना और उल्लसित होना उचित ही था; क्योंकि तुम्हारा यह भाई सर गया था और फिर जी गया है, यह खो गया था और फिर मिल गया है'।”

प्रभु का सुसमाचार।