इस्राएल अपने सब दूसरे पुत्रों से योसेफ़ को अधिक प्यार करता था, क्योंकि वह उसके बुढ़ापे की सन्तान था। उसने योसेफ़ के लिए एक सुन्दर कुरता बनवाया था। उसके भाइयों ने देखा कि उनका पिता हमारे सब भाइयों से योसेफ़ को अधिक प्यार करता है; इसलिए वे उस से बैर करने लगे और उस से अच्छी तरह बात भी नहीं करते थे। योसेफ़ के भाई अपने पिता की भेड़-बकरियाँ चराने सिखेम गये थे। इस्राएल ने योसेफ़ से कहा, “तुम्हारे भाई सिखेम में भेड़ें चरा रहे हैं। मैं तुम को उनके पास भेजना चाहता हूँ।” योसेफ़ अपने भाइयों की खोज में निकला और उसने उन को दोतान में पाया। उन्होंने उसे दूर से आते देखा था और उसके पहुँचने से पहले ही वे उसे मार डालने का षड्यन्त्र रचने लगे। उन्होंने एक दूसरे से कहा, “देखो, वह स्वप्नद्रष्टा आ रहा है। चलो, हम उसे मार कर किसी कुएँ में फेंक दें। हम यह कहेंगे कि कोई हिंस्र पशु उसे खा गया है। तब हम देखेंगे कि उसके स्वप्न उसके किस काम आते हैं।” रूबेन यह सुन कर उसे उनके हाथों से बचाने के उद्देश्य से बोला, “हम उसकी हत्या न करें।” तब रूबेन ने फिर कहा, ''तुम उसका रक्त नहीं बहाओ। उसे मरुभूमि के कुएँ में फेंक दो, किन्तु उस पर हाथ मत लगाओ।” वह उसे उनके हाथों से बचा कर पिता के पास पहुँचा देना चाहता था। इस लिए ज्यों ही योसेफ़ अपने भाइयों के पास पहुँचा, उन्होंने उसका सुन्दर कुरता उतारा और उसे पकड़ कर कूएँ में फेंक दिया। वह कूआँ सूखा हुआ था, उस में पानी नहीं था। इसके बाद वे बैठ कर भोजन करने लगे। उन्होंने आँखें ऊपर उठा कर देखा कि इस्माएलियों का एक कारवाँ गिलआद से आ रहा है। वे ऊँटों पर गोंद, बलसाँ और गंधरस लादे हुए मिस्र देश जा रहे थे। तब यूदा ने अपने भाइयों से कहा, “अपने भाई को मारने और उसका रक्त छिपाने से हमें क्या लाभ होगा ! आओ, हम उसे इस्माएलियों के हाथ बेच दें और उस पर हाथ नहीं लगायें; क्योंकि वह तो हमारा भाई और हमारा रक्तं-सम्बन्धी है।” उसके भाइयों ने उसकी बात मान ली। उस समय मिदयानी व्यापारी उधर से निकले। उन्होंने योसेफ़ को कूएँ में से निकाला और उसे चाँदी के बीस सिक्कों में इस्माएलियों के हाथ बेच दिया और वे योसेफ़ को मिस्र देश ले गये।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : प्रभु के अपूर्व कार्य याद रखो।
1. प्रभु ने उस देश में अकाल पड़ने दिया और जीवन-निर्वाह के सब साधन नष्ट किये। उसने इस से पहले एक मनुष्य को वहाँ भेजा था। योसेफ वहाँ दास के रूप में बिक गया था।
2. उसके पैरों में बेडियाँ डाली गयीं और उसकी गर्दन में लोहे की जंजीरें। परन्तु उसने जो कहा था, वह समय पर पूरा हो गया। प्रभु ने उसे सच्चा प्रमाणित किया।
3. तब राजा ने उसे छोड़ देने का आदेश दिया, राष्ट्रों के शासक ने उसे मुक्त किया और उसे अपने घराने का अधिपति तथा अपनी सारी सम्पत्ति का प्रबन्धक बनाया
ईश्वर ने संसार को इतना प्यार किया कि उसने उसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो कोई उस में विश्वास करे, वह अनन्त जीवन प्राप्त करे।
येसु ने महायाजकों और जनता के नेताओं से कहा, ''एक दूसरा दृष्टान्त सुनो। किसी ज़मींदार ने दाख की बारी लगवायी, उसके चारों ओर घेरा बनवाया, उस में रस का कुण्ड खुदवाया और पक्का मचान बनवाया। तब उसे असामियों को पट्टे पर दे कर वह परदेश चला गया। फसल का समय आने पर उसने असामियों के पास अपने नौकरों को भेजा, जिससे वे फसल का हिस्सा बसूल करें। किन्तु असामियों ने उसके नौकरों को पकड़ कर उन में से किसी को मारा-पीटा, किसी की हत्या कर दी और किसी को पत्थरों से मार डाला। इसके बाद उसने पहले से अधिक नौकरों को भेजा और असामियों ने उनके साथ भी वैसा ही किया। अंत में उसने यह सोच कर अपने पुत्र को उनके पास भेजा कि वे मेरे पुत्र का आदर करेंगे। किन्तु पुत्र को देख कर असामियों ने एक दूसरे से कहा, ' यह तो उत्तराधिकारी है। चलो, हम इसे मार डालें और इसकी विरासत पर कब्जा कर लें।' उन्होंने उसे पकड़ लिया और दाखबारी से बाहर निकाल कर मार डाला। जब दाखबारी का स्वामी लौटेगा, तो वह उन असामियों का क्या करेगा ?'' उन्होंने येसु से कहा, “वह उन दुष्टों का सर्वनाश करेगा और अपनी दाखबारी का पट्टा दूसरे असामियों को देगा, जो समय पर फसल का हिस्सा देते रहेंगे।” येसु ने उन से कहा, '' क्या तुम लोगों ने धर्मग्रन्थ में कभी यह नहीं पढ़ा ? - कारीगरों ने जिस पत्थर को बेकार समझ कर निकाल दिया था, वही कोने का पत्थर बन गया है। यह प्रभु का कार्य है। यह हमारी दृष्टि में अपूर्व है। इसलिए मैं तुम लोगों से कहता हूँ - स्वर्ग का राज्य तुम से ले लिया जायेगा और ऐसे राष्ट्र को दिया जायेगा, जो इसका उचित फल उत्पन्न करेगा।” महायाजक और फरीसी उनके दृष्टान्त सुन कर समझ गये कि वह हमारे विषय में कह रहे हैं। वे उन्हें गिरफ्तार करने का उपाय ढूँढ़ने लगे, किन्तु वे जनता से डरते थे, क्योंकि वह येसु को नबी मानती थी।
प्रभु का सुसमाचार।