प्रभु यह कहता है, “घिक्कार उस मनुष्य को, जो मनुष्य पर भरोसा रखता है, जो निरे मनुष्य का सहारा लेता है और जिसका हृदय प्रभु से विमुख हो जाता है। वह मरुभूमि के पौधे के सदृश है, जो कभी अच्छे दिन नहीं देखता। वह मरुभूमि के उत्तप्त स्थानों में - नुनखरी और निर्जन धरती पर रहता है।” “धन्य है वह मनुष्य, जो प्रभु पर भरोसा रखता है, जो प्रभु का सहारा लेता है। वह जलस्रोत के किनारे लगाये हुए वृक्ष के सदृश है, जिसकी जड़ें पानी के पास फैली हुई हैं। वह कड़ी धूप से नहीं डरता - उसके पत्ते हरे-भरे बने रहते हैं। सूखे के समय उसे कोई चिन्ता नहीं होती, क्योंकि उस समय भी वह फलता है।” “मनुष्य का हृदय सब से अधिक कपटी और अविश्वसनीय है। उसकी थाह कौन ले सकता है? मैं, प्रभु, मनुष्य का हृदय और अंतरतम जानता हूँ। मैं हर एक को उसके आचरण और उसके कर्मों का फल देता हूँ।”
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : धन्य है वह, जो प्रभु पर भरोसा रखता है।
1. धन्य है वह मनुष्य, जो दुष्टों की सलाह नहीं मानता, जो पापियों के मार्ग पर नहीं चलता और अधर्मियों के साथ नहीं बैठता, जो प्रभु का नियम हृदय से चाहता और रात-दिन उसका मनन करता है।
2. वह उस वृक्ष के सदृश है, जो जलस्रोत के पास लगाया गया हैं, जो समय पर फल देता और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। वह मनुष्य अपने सब कामों में सफल हो जाता है।
3. दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते, नहीं होते; वे तो पवन द्वारा छितरायी हुई भूसी के सदुश हैं। प्रभु धर्मियों के मार्ग की रक्षा करता है, किन्तु दुष्टों का मार्ग विनाश की ओर ले जाता है।
धन्य हैं वे लोग जो सच्चे और निष्कलंक हृदय में ईश्वर का वचन रखते और अपने धीरज के कारण फल लाते हैं।
येसु ने फ़रीसियों से कहा, "एक अमीर था, जो बैंगनी वस्त्र और मलमल पहन कर प्रतिदिन दावत उड़ाया करता था । उसके फाटक पर लाज़रुस नामक कंगाल पड़ा रहता था, जिसका शरीर फोड़ों से भरा हुआ था । वह अमीर की मेज़ की जूठन से अपनी भूख मिटाने के लिए तरसता था। और कुत्ते आ कर उसके फोड़े चाटा करते थे । वह कंगाल एक दिन मर गया और स्वर्गदूतों ने उसे ले जा कर इब्राहीम की गोद में रख दिया । अमीर भी मरा और दफ़नाया गया । उसने अधोलोक में यंत्रणाएँ सहते हुए अपनी आँखें ऊपर उठा कर दूर ही से इब्राहीम को देखा और उसकी गोद में लाज़रुस को भी। उसने पुकार कर कहा, ' पिता इब्राहीम ! मुझ पर दया कीजिए और लाज़रुस को भेजिए जिससे वह अपनी उँगली का सिरा पानी में भिगो कर मेरी जीभ ठंडी करे, क्योंकि मैं इस ज्वाला में तड़प रहा हूँ।” इब्राहीम ने उस से कहा, “बेटा, याद करो कि तुम्हें जीवन में सुख ही सुख मिला था और लाज़रुस को दुःख ही दुःख । अब उसे यहाँ सांत्वना मिल रही है और तुम्हें यंत्रणा । इसके अतिरिक्त हमारे और तुम्हारे बीच एक भारी गर्त अवस्थित है; इसलिए यदि कोई तुम्हारे पास जाना भी चाहे, तो वह नहीं जा सकता और कोई भी वहाँ से इस पार नहीं आ सकता।” उसने उत्तर दिया, “हे पिता ! आप से एक निवेदन है । आप लाज़रुस को मेरे पिता के घर भेजिए, क्योंकि मेरे पाँच भाई हैं । लाज़रुस उन्हें चेतावनी दे । कहीं ऐसा न हो कि वे भी यंत्रणा के इस स्थान में आ जायें।” इब्राहीम ने उस से कहा, ' मूसा और नबियों की पुस्तकें उनके पास हैं, वे उनकी सुनें।” अमीर ने कहा, “हे पिता इब्राहीम, वे कहाँ सुनते हैं ! परन्तु यदि मुरदों में से कोई उनके पास जाये, तो वे पश्चात्ताप करेंगे।” पर इब्राहीम ने उस से कहा, “जब वे मूसा और नबियों की नहीं सुनते, तब यदि मुरदों में से कोई जी उठे, तो वे उसकी भी बात नहीं मानेंगे।”