सोदोम के शासको ! प्रभु की वाणी सुनो। गोमोरा के लोगों ! हमारे ईश्वर की शिक्षा पर ध्यान दो। अपने को धोओ और शुद्ध हो जाओ। अपने कुकर्मों को मेरी दृष्टि से ओझल कर दो। बुराई करना छोड़ दो और भलाई करना सीखो। न्यायी बनो, पद्दलितों की सहायता करो, अनाथों को न्याय दिलाओ और विधवाओं की रक्षा करो। प्रभु कहता है - आओ और मेरी बात पर विचार करो। तुम्हारे पाप सिंदूर की तरह लाल क्यों न हों, वे हिम की तरह उज्ज्वल हो जायेंगे; वे किरमिज की तरह मटमैले क्यों न हों, वे ऊन की तरह श्वेत हो जायेंगे। यदि तुम आज्ञापालन स्वीकार करोगे, तो भूमि की उपज खा कर तृप्त हो जाओगे। किन्तु यदि तुम अस्वीकार कर विद्रोह करोगे, तो तलवार की घाट उतार दिये जाओगे।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : सदाचारी ही इंश्वर के मुक्ति-विधान के दर्शन करेगा।
1. मैं यज्ञों के कारण तुम पर दोष नहीं लगाता हूँ - तुम्हारे बलिदान तो सदा मेरे सामने हैं। मुझे न तो तुम्हारे घरों के साँड चाहिए और न तुम्हारे बाड़ों के बकरे ही।
2. तुम मेरी संहिता का तिरस्कार करते और मेरी बातों पर ध्यान नहीं देते हो, तो तुम मेरी आज्ञाओं का पाठ और मेरे विधान की चरचा क्यों करते हो?
3. तुम यह सब करते हो और मैं चुप रहूँ? क्या तुम मुझे अपने जैसा समझते हो? जो धन्यवाद का बलिदान चढ़ाता है, वहीं मेरा आदर करता है। सदाचारी ही ईश्वर के मुक्ति-विधान के दर्शन करेगा।
प्रभु कहता है, “अपने पुराने पापों का भार फेंक दो। एक नया हृदय और एक नया मनोभाव धारण करो।”
येसु ने जनसमूह तथा अपने शिष्यों से कहा, “शास्त्री और फ़रीसी मूसा की गद्दी पर बैठे हैं, इसलिए वे तुम लोगों से जो कुछ कहें, वह करते और मानते रहो; परन्तु उनके कर्मों का अनुकरण न करो, क्योंकि वे कहते तो हैं, पर करते नहीं। वे बहुत-से भारी झ बाँध कर लोगों के कंधों पर लाद देते हैं, परन्तु स्वयं ऊँगली से भी उन्हें उठाना नहीं चाहते। वे हर काम लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए ही करते हैं। वे अपने तावीज़ चौड़े और अपने कपड़ों के झब्बे लम्बे कर देते हैं। भोजों में प्रमुख स्थानों पर और सभागृहों में प्रथम आसनों पर विराजमान होना, बाजारों में प्रणाम-प्रणाम सुनना और जनता द्वारा गुरुवर कहलाना - यह सब उन्हें बहुत पसन्द है।” “तुम लोग “गुरुवर' कहलाना स्वीकार न करो, क्योंकि तुम्हारा एक ही गुरु है और तुम सब के सब भाई हो। पृथ्वी पर किसी को अपना ’पिता' न कहो, क्योंकि तुम्हारा एक ही पिता है, जो स्वर्ग में है। ' आचार्य' भी कहलाना स्वीकार न करो, क्योंकि तुम्हारा एक ही आचार्य हैं अर्थात् मसीह। जो तुम लोगों में से सब से बड़ा है, वह तुम्हारा सेवंक बने। जो अपने को बड़ा मानता है, वह छोटा बनाया जायेगा और जो अपने को छोटा मानता है, वह बड़ा बनाया जायेगा।”
प्रभु का सुसमाचार।