ईश्वर ने इब्राहीम को बाहर ले जा कर कहा, “आकाश की ओर दृष्टि लगाओ और संभव हो, तो तारों की गिनती करो” उसने उससे यह भी कहा, “तुम्हारी सन्तति की संख्या इतनी ही बड़ी होगी”। इब्राहीम ने ईश्वर में विश्वास किया और इस कारण प्रभु ने उसे धार्मिक माना। प्रभु ने उस से कहा, “मैं वही प्रभु हूँ जो तुम्हें इस देश का उत्तराधिकारी बनाने के लिए खल्दियों के ऊर नामक नगर से निकाल लाया था”। इब्राहीम ने उत्तर दिया, “हे प्रभु ! मेरे ईश्वर ! मैं यह कैसे जान पाऊँगा कि इस पर मेरा अधिकार हो जायेगा?” प्रभु ने कहा, “तीन बरस की कलोर, तीन बरस की बकरी, तीन बरस का मेढ़ा, एक पंडुक और एक कपोत का बच्चा यहाँ ले आना।” इब्राहीम ये सब ले आये। उसने उनके दो-दो टुकड़े कर दिये और उन टुकड़ों को आमने-सामने रख दिया, किन्तु पक्षियों के दो-दो टुकड़े नहीं किये। गीध लाशों पर उतर आये, किन्तु इब्राहीम ने उन्हें भगा दिया। जब सूरज डूबने पर था, तो इब्राहीम गहरी नींद में सो गया और उस पर आतंक छा गया। सूरज डूबने तथा गहरा अंधकार हो जाने पर एक धुँआती हुई अँगीठी तथा एक जलती हुई मशाल दिखाई पड़ीं, जो जानवरों के उन टुकड़ों के बीच से होते हुए आगे निकल गयीं। उस दिन प्रभु ने यह कह कर इब्राहीम के लिए अपना विधान प्रकट किया - मैं मिस्र की नदी से ले कर महानदी अर्थात् फरात नदी तक का यह देश तुम्हारे वंशजों को दे देता हूँ।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : प्रभु मेरी ज्योति और मुक्ति है।
1. प्रभु मेरी ज्योति और मुक्ति है, तो मैं किस से डरूँ? प्रभु मेरे जीवन की रक्षा करता है, तो मैं किस से भयभीत होऊँ?
2. हे प्रभु ! तू मेरी पुकार पर ध्यान दे, मुझ पर दया कर और मेरी सुन। प्रभु की शरण में जाना - यही मेरे हृदय की अभिलाषा रही।
3. मैं तेरे दर्शनों के लिए तरसता हूँ, तू मुझ से अपना मुँह न फेर। अप्रसन्न हो कर अपने सेवक को न त्याग, क्योंकि तू ही मेरा सहारा है।
4. मुझे विश्वास है कि मैं इस जीवन में प्रभु की भलाई को देख पाऊँगा। प्रभु पर भरोसा रखो, दृढ़ रहो और प्रभु पर भरोसा रखो।
[भाइयो ! आप सब मिल कर मेरा अनुसरण कीजिए। मैंने आप लोगों को एक नमूना दिया - इसके अनुसार चलने वालों पर ध्यान देते रहिए। क्योंकि जैसा कि मैं आप से बार-बार कह चुका हूँ और अब रोते हुए कहता हूँ, बहुत-से लोग ऐसा आचरण करते हैं कि मसीह के क्रूस के शत्रु बन जाते हैं। उनका सर्वनाश निश्चित है। वे भोजन को अपना ईश्वर बना लेते हैं और ऐसी बातों पर गौरव करते हैं, जिन पर लज्जा करनी चाहिए। उनका मन संसार की चीजों में लगा रहता है।]
हमारा स्वदेश तो स्वर्ग है और हम स्वर्ग से आने वाले मुक्तिदाता प्रभु येसु ख़ीस्त की राह देखते रहते हैं। वह जिस शक्ति द्वारा सब कुछ अपने अधीन कर सकते हैं, उसी के द्वारा हमारे तुच्छ शरीर का रूपान्तरण करेंगे और उसे अपने महिमामय शरीर के अनुरूप बना देंगे। इसलिए, हे मेरे प्रिय भाइयो ! प्रभु में इस तरह दृढ़ रहिए ! प्यारे भाइयो ! मैं आप लोगों को बहुत प्यार करता हूँ; आप मेरे आनन्द और मेरे मुकुट हैं।
प्रभु की वाणी।
चमकीले बादल में से पिता की यह वाणी सुनाई पड़ी - “यह मेरा प्रिय पुत्र है। इसकी सुनो”।
येसु पेत्रुस, योहन और याकूब को अपने साथ ले गये और प्रार्थना करने के लिए एक पहाड़ पर चढ़े। प्रार्थना करते समय येसु के मुखमंडल का रूपान्तरण हो गया और उनके वस्त्र विद्युत् की तरह उज्जवल हो कर जगमगाने लगा। दो पुरुष उनके साथ वातचीत कर रहे थे। वे मूसा और एलियस थे, जो महिमा सहित प्रकट हो कर येरुसालेम में होने वाली उनकी मृत्यु के विषय में बातें कर रहे थे। पेत्रुस और उनके साथी, जो ऊँघ रहे थे, अब पूरी तरह जाग गये। उन्होंने येसु की महिमा को और उनके साथ उन दो पुरुषों को देखा। वे विदा हो ही रहे थे कि पेत्रुस ने येसु से कहा, “गुरुवर ! यहाँ होना हमारे लिए कितना, अच्छा है ! हम तीन तम्बू खड़ा कर दें - एक आपके लिए, एक मूसा और एक एलियस के लिए"। उसे पता नहीं था कि वह क्या कह रहा है। वह बोल ही रहा था कि बादल आ कर उन पर छा गया और वे बादल से घिर जाने के कारण भयभीत हो गये। वादल में से यह वाणी सुनाई पड़ी, “ये मेरा परमप्रिय पुत्र है। इसकी सुनो”। वाणी समाप्त होने पर येसु अकेले ही रह गये। शिष्य चुप रहे उन्होंने जो देखा था, उसके विषय में उस समय किसी से कुछ भी नहीं कहा।
प्रभु का सुसमाचार।