चालीसे का दूसरा सप्ताह – इतवार – चक्र A

पहला पाठ

ईश्वर ने अब्राम को अपना देश छोड़ने का आदेश दिया और उन्हें अपनी प्रजा का आदिपुरुष बना देने की प्रतिज्ञा की। अब्राम ने ईश्वर पर विश्वास किया। हमें भी ईश्वर की प्रतिज्ञा पर विश्वास करना चाहिए। वह हमें हृदय-परिवर्तन तथा पश्चात्ताप के लिए बुलाता है।
“ईश्वर की प्रजा के आदिपुरुष अब्राम का बुलावा।”

प्रभु ने अब्राम से कहा, “अपना देश, अपना कुटुम्ब और अपने पिंता का घर छोड़ दो और उस देश जाओ, जिसे मैं तुम्हें दिखाउँगा। मैं तुम्हारे द्वारा एक महान्‌ राष्ट्र उत्पन्न करूँगा, तुम्हें आशीर्वाद दूँगा और तुम्हारा नाम इतना महान बनाऊँगा कि वह कल्याण का स्रोत बन जायेगा - जो तुम्हें आशीर्वाद देते हैं, मैं उन्हें आशीर्वाद दूँगा। जो तुम्हें शाप देते हैं, मैं उन्हें शाप दूँगा। तुम्हारे द्वारा पृथ्वी भर के वंश आशीर्वाद प्राप्त करेंगे”। तब अब्राम चला गया जैसा कि प्रभु ने उस से कहा था।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 32:4-5,18-20,22

अनुवाक्य : हे प्रभु ! तेरा प्रेम हम पर बना रहे। हम तुझ पर ही पूर्ण आशा रखते हैं।

1. प्रभु का वचन सच्चा है, उसके समस्त कार्य विश्वसनीय हैं। उसे धार्मिकता तथा न्याय प्रिय हैं। पृथ्वी उसके प्रेम से भरपूर है।

2. प्रभु की कृपादृष्टि अपने भक्तों पर बनी रहती है, उन पर जो उसके प्रेम से यह आशा करते हैं कि वह उन्हें मृत्यु से बचायेगा और अकाल के समय उनका पोषण करेगा।

3. हम प्रभु की राह देखते रहते हैं, वही हमारा उद्धारक और रक्षक है। हे प्रभु ! तेरा प्रेम हम पर बना रहे। तुझ पर ही हमारा भरोसा है।

दूसरा पाठ

ईश्वर हमें अब्राम की तरह एक नये जीवन के लिए बुलाता है। हमें ईश्वर की कृपा पर यह भरोसा रखना चाहिए कि हम येसु मसीह के साथ मृत्यु पर विजयी हो कर अनन्त जीवन प्राप्त कर सकते हैं।

तिमथी के नाम सन्त पौलुस का दूसरा पत्र1:8-10

“इंश्वर हमें बुलाता और ज्योति प्रदान करता है।”

ईश्वर के सामर्थ्य पर भरोसा रख कर, तुम मेरे साथ सुसमाचार के लिए कष्ट सहते रहो। ईश्वर ने हमारा उद्धार किया है और हमें पत्रित्र जीवन बिताने के लिए बुलाया है। उसने हमारे किसी पुण्य के कारण नहीं, बल्कि अपने उद्देश्य तथा अपनी कृपा के कारण ही ऐसा किया है। वह कृपा अनादिकाल से येसु मसीह द्वारा हमें प्राप्त थी, किन्तु वह अब हमारे मुक्तिदाता येसु मसीह के आगमन से प्रकट हुई है। येसु ने मृत्यु का विनाश किया और अपने सुसमाचार द्वारा अमर जीवन को आलोकित किया है।

प्रभु की वाणी।

जयघोष

बादल में से पिता की यह वाणी सुनाई पड़ी, “यह मेरा प्रिय पुत्र है। इसकी सुनो"।

सुसमाचार

येसु के शिष्य दुःखभोग की भविष्यवाणी सुन कर उदास थे। इसलिए येसु उन्हें अपना दिव्य रूप दिखलाते हैं, ताकि उनका विश्वास दृढ़ हो जाये।

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 17:1-9

“उनका मुखमण्डल सूर्य की तरह दमक उठा।”

छह दिन बाद येसु ने पेत्रुस, याकूब और उसके भाई योहन को अपने साथ ले लिया और वह उन्हें एक ऊँचे पहाड़ पर एकान्त में ले चले। उनके सामने ही येसु का रूपान्तरण हो गया। उनका मुखमण्डल सूर्य की तरह दमक उठा और उनके वस्त्र प्रकाश के समान उज्जवल हो गये। शिष्यों को मूसा और एलियस उनके साथ बातचीत करते दिखाई दिये। तब पेत्रुस ने येसु से कहा, “प्रभु ! यहाँ होना हमारे लिए कितना अच्छा है। आप चाहें, तो मैं यहाँ तीन तम्बू खड़ा कर दूँगा - एक आपके लिए, एक मूसा और एक एलियस के लिए”। वह बोल ही रहा था कि उन पर एक चमकीला बादल छा गया और उस बादल में से यह वाणी सुनाई पड़ी, “यह मेरा प्रिय पुत्र है। मैं इस पर अत्यन्त प्रसन्न हूँ; इसकी सुनो”। यह वाणी सुन कर वे मुँह के बल गिर पड़े और बहुत ही डर गये। तब येसु ने पास आ कर उनका स्पर्श किया और कहा, “उठ जाओ, डरो मत”। उन्होंने आँखें ऊपर उठायीं, तो उन्हें येसु के सिवा और कोई नहीं दिखाई पड़ा। येसु ने पहाड़ से उतरते समय उन्हें यह आदेश दिया, “जब तक मानव पुत्र मृतकों में से न जी उठे, तब तक तुम लोग किसी से भी इस दर्शन की चरचा नहीं करना”।

प्रभु का सुसमाचार।