चालीसे का पहला सप्ताह – शनिवार

पहला पाठ

विधि-विवरण ग्रन्थ 26:16-19

“तुम प्रभु की पवित्र प्रजा होगे।''

मूसा ने लोगों से कहा, “आज तुम्हारा प्रभु-ईश्वर इन नियमों तथा आज्ञाओं का पालन करने का आदेश दे रहा है। तुम इन पर चलते रहोगे और सारे हृदय और सारी आत्मा से इनका पालन करते रहोगे। आज तुम्हें प्रभु से यह आश्वासन मिला कि वह तुम्हारा अपना ईश्वर होगा - बशर्ते तुम उसके मार्ग पर चलो, उसके नियमों, आदेशों तथा आज्ञाओं का पालन करो और उसकी बातों पर ध्यान दो। तुमने प्रभु को यह आश्वासन दिया कि तुम उसकी अपनी प्रजा होगे, जैसा कि उसने तुम से कहा है - बशर्ते तुम उसकी सभी आज्ञाओं का पालन करो। उसने जितने राष्ट्र बनाये, उन सब से अधिक वह तुम्हें सम्मान, ख्याति तथा महिमा प्रदान करेगा और तुम प्रभु की पवित्र प्रजा होगे, जैसा कि उसने तुम से कहा है।”

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 118:1-2,4-5,7-8

अनुवाक्य : धन्य हैं वे, जो प्रभु की संहिता पर चलते हैं।

1. धन्य हैं वे, जो निर्दोष जीवन बिताते और प्रभु की संहिता के मार्ग पर चलते हैं। धन्य हैं वे, जो उसकी आज्ञाओं का पालन करते और उन्हें हृदय से चाहते हैं।

2. तूने अपने नियम इसीलिए दिए कि हम उनका पूरा-पूरा पालन करें। ओह ! मैं तेरी इच्छा पूरी करने में सदा ही दृढ़ बना रहूँ।

3. यदि मैं तेरे पवित्र निर्णय जान जाऊँगा, तो निष्कपट हृदय से तुझे धन्यवाद देता रहूँगा। मैं तेरे नियमों का पालन करता रहूँगा, तू मुझे कभी नहीं त्याग देगा।

सुसमाचार

जयघोष : 2 कुरिं० 6:2

अब उपयुक्त समय है। यह मुक्ति का दिन है।

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 5:43-48

“तुम पूर्ण बनो, जैसा तुम्हारा स्वर्गिक पिता पूर्ण है।”

येसु ने अपने शिष्यों से कहा,’‘तुम लोगों ने सुना है कि कहा गया है - अपने पड़ोसी से प्रेम करो और अपने बैरी से बैर। परन्तु मैं तुम से कहता हूँ - अपने शत्रुओं से प्रेम करो और जो तुम पर अत्याचार करते हैं, उनके लिए प्रार्थना करो। इस से तुम अपने स्वर्गिक पिता की सन्तान बन जाओगे; क्योंकि वह भले और बुरे, दोनों पर अपना सूर्य उगाता है तथा धर्मी और अधर्मी, दोनों पर पानी बरसाता है। यदि तुम उन्हीं से प्रेम रखते हो, जो तुम से प्रेम रखते हैं, तो पुरस्कार का दावा कैसे कर सकते हो? क्या नाकेदार भी ऐसा नहीं करते? और यदि तुम अपने भाइयों को ही नमस्कार करते हो, तो कौन-सा बड़ा काम करते हो? क्या गैरयहूदी भी ऐसा नहीं करते? इसलिए, तुम पूर्ण बनो, जैसे तुम्हारा स्वर्गिक पिता पूर्ण है।”

प्रभु का सुसमाचार।