प्रभु यह कहता है, “जिस तरह पानी और बर्फ आकाश से उतर कर भूमि सींचे बिना, उसे उपजाऊ बनाये और हरियाली से ढके बिना, वहाँ नहीं लौटते, जिससे भूमि बीज बोने वाले को बीज और खाने वाले को अनाज दे सके; उसी तरह मेरी वाणी मुख से निकल कर व्यर्थ ही मेरे पास नहीं लौटती। जो मैं चाहता हूँ, वह उसे कर डालती है और मेरा उद्देश्य पूरा करने के बाद ही वह मेरे पास लौट आती है।”
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : ईश्वर हर प्रकार की विपत्ति में उनकी रक्षा करता है।
1. मेरे साथ प्रभु की महिमा का गीत गाओ, हम मिल कर उसके नाम की स्तुति करें। मैंने प्रभु को पुकारा। उसने मेरी सुनी। और मुझे हर प्रकार के भय से मुक्त कर दिया।
2. जो प्रभु की ओर दृष्टि लगाता है, वह आनन्दित होगा - उसे कभी लज्जित नहीं होना पड़ेगा। दीन-हीन ने प्रभु की दुहाई दी। प्रभु ने उसकी सुनी। और उसे हर प्रकार की विपत्ति से बचा लिया।
3. प्रभु कुकर्मियों से मुँह फेर लेता और पृथ्वी पर से उनकी स्मृति मिटा देता है। प्रभु की कृपादृष्टि धर्मियों पर बनी रहती है। वह उनकी पुकार पर कान देता है।
4. धर्मी प्रभु की दुहाई देते हैं। वह उनकी सुनता और हर प्रकार की विपत्ति में उनकी रक्षा करता है। प्रभु दुःखियों से दूर नहीं है। जिनका मन टूट गया है, वह उन्हें सँभालता है।
मनुष्य रोटी से ही नहीं जीता है। वह ईश्वर के मुख से निकलने वाले हर एक शब्द से जीता है।
येसु ने अपने शिष्यों से कहा, “प्रार्थना करते समय गैरयहूदियों की तरह रट नहीं लगाओ। वे समझते हैं कि लम्बी-लम्बी प्रार्थनाएँ करने से हमारी सुनवाई होती है। उनके समान नहीं बनो, क्योंकि तुम्हारे माँगने से पहले ही तुम्हारा पिता जानता है कि तुम्हें किन-किन चीजों की जरूरत है। तो इस प्रकार प्रार्थना किया करो - हे स्वर्ग में विराजमान हमारे पिता ! तेरा नाम पवित्र माना जाये। तेरा राज्य आये। तेरी इच्छा जैसे स्वर्ग में, वैसे पृथ्वी पर भी पूरी हो। आज हमारा प्रतिदिन का आहार हमें दे। हमारे अपराध क्षमा कर, जैसे हमने भी अपने अपराधियों को क्षमा किया है। और हमें परीक्षा में न डाल, बल्कि बुराई से हमें बचा।” “यदि तुम दूसरों के अपराध क्षमा करोगे, तो तुम्हारा स्वर्गिक पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा। परन्तु यदि तुम दूसरों को नहीं क्षमा करोगे, तो तुम्हारा पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा नहीं करेगा।”
प्रभु का सुसमाचार।