चालीसे का प्रथम सप्ताह – सोमवार

पहला पाठ

लेवी-ग्रन्थ 19:1-2,11-18

“तुम निष्पक्ष हो कर अपने पड़ोसी का न्याय करो।”

प्रभु मूसा से बोला, “इस्राएलियों के सारे समुदाय से यह कहो - पवित्र बनो, क्योंकि मैं प्रभु, तुम्हारा ईश्वर पवित्र हूँ। चोरी मत करो, झूठ मत बोलो और अपने पड़ोसी को धोखा मत दो। अपने ईश्वर का नाम अपवित्र करते हुए मेरे नाम की झूठी शपथ मत लो। मैं प्रभु हूँ। “तुम न तो अपने पड़ोसी का शोषण और न उसके साथ किसी प्रकार का अन्याय करो। अपने दैनिक मजदूर का वेतन दूसरे दिन तक अपने पास मत रखो। तुम न तो बहरे का तिरस्कार करो और न अंधे के मार्ग में ठोकर लगाओ, बल्कि अपने ईश्वर पर श्रद्धा रखो। मैं प्रभु हूँ।” “तुम न्याय करते समय पक्षपात मत करो - तुम न तो दरिद्र का पक्ष लो और न धनी का मन रखो - तुम निष्पक्ष हो कर अपने पड़ोसी का न्याय करो। तुम न तो अपने लोगों की बदनामी करो और न अपने पड़ोसी को प्राणदण्ड दिलाओ। मैं प्रभु हूँ।” “अपने भाई के प्रति अपने हृदय में बैर मत रखो। यदि तुम्हारा पड़ोसी कोई अपराध करे, तो उसे डाँटो, नहीं तो तुम उसके पाप के भागी बनोगे। तुम न तो बदला लोगे और न अपने देश-भाइयों से मनमुटाव रखोगे। तुम अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो। मैं प्रभु हूँ।”

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 18:8-10,15

अनुवाक्य : प्रभु ! तेरी शिक्षा आत्मा और जीवन है।

1. प्रभु का नियम सर्वोत्तम है; वह आत्मा में नवजीवन का संचार करता है। प्रभु की शिक्षा विश्वासनीय है; वह अज्ञानियों को समझदार बना देती है।

2. प्रभु के उपदेश सीधे-सादे हैं; वे हृदय को आनन्दित कर देते हैं। प्रभु की आज्ञाएँ स्पष्ट हैं; वे आँखों को ज्योति प्रदान करती हैं।

3. प्रभु की वाणी परिशुद्ध है; वह अनन्तकाल तक बनी रहती है। प्रभु के निर्णय सच्चे हैं; वे सब के सब न्यायसंगत हैं।

4. हे प्रभु ! तू मेरा सहारा और मुक्तिदाता है। मेरे मुख से जो शब्द निकलते हैं और मेरे मन में जो विचार उठते हैं, वे सब के सब तुझे अच्छे लगें।

सुसमाचार

जयघोष : 2 कुरिं० 6:2

अब उपयुक्त समय है। यह मुक्ति का दिन है।

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 25:31-46

“तुमने मेरे इन भाइयों में से किसी एक के लिए, चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो, जो कुछ किया, वह तुमने मेरे लिए ही किया।”

येसु ने अपने शिष्यों से कहा, “जब मानव पुत्र सब स्वर्गदूतों के साथ अपनी महिमा सहित आयेगा, तो वह अपने महिमामय सिंहासन पर विराजमान होगा और सभी राष्ट्र उसके सम्मुख एकत्र किये जायेंगे। जिस तरह चरवाहा भेड़ों को बकरियों से अलग करता है, उसी तरह वह लोगों को एक दूसरे से अलग कर देगा। वह भेड़ों को अपने दायें और बकरियों को अपने बायें खड़ा कर देगा।” “तब राजा अपने दायें के लोगों से कहेंगे, “मेरे पिता के कृपापात्रो ! आओ और उस राज्य के अधिकारी बनो, जो संसार के प्रारंभ से तुम लोगों के लिए तैयार किया गया है। क्योंकि मैं भूखा था और तुमने मुझे खिलाया; मैं प्यासा था और तुमने मुझे पिलाया; मैं परदेशी था और तुमने मुझे अपने यहाँ ठहराया; मैं नंगा था और तुमने मुझे पहनाया; मैं बीमार था और तुम मुझ से भेंट करने आये; मैं बन्दी था और तुम मुझ से मिलने आये। ' इस पर धर्मी उन से कहेंगे, प्रभु ! हमने कब आप को भूखा देखा और खिलाया? कब प्यासा देखा और पिलाया? हमने कब आप को परदेशी देखा और अपने यहाँ ठहराया? कब नंगा देखा और पहनाया? कब आप को बीमार अथवा बन्दी देखा और आप से मिलने आये? ' राजा उन्हें उत्तर देंगे, 'मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ - तुमने मेरे इन भाइयों में से किसी एक के लिए, चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो, जो कुछ किया, वह तुमने मेरे लिए ही किया। तब वह अपने बायें के लोगों से कहेंगे, 'शापितो ! मुझ से दूर हट जाओ। उस अनन्त आग में जाओ, जो शैतान और उसके: दूतों के लिए तैयार की गयी है। क्योंकि मैं भूखा था और तुम लोगों ने मुझे नहीं खिलाया; मैं प्यासा था और तुमने मुझे नहीं पिलाया; मैं परदेशी था और तुमने मुझे अपने यहाँ नहीं ठहराया; मैं नंगा था और तुमने मुझे नहीं पहनाया; मैं बीमार और बन्दी थां और तुम मुझ से नहीं मिलने आये। ' इस पर वे भी उन से पूछेंगे, 'प्रभु ! हमने कब आप को भूखा, प्यासा, परदेशी, नंगा, बीमार या बन्दी देखा और आपकी सेवा नहीं की? ' तब राजा उन्हें यह उत्तर देंगे, 'मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ - जो कुछ तुमने मेरे छोटे-से-छोटे भाइयों में से किसी एक के लिए नहीं किया, वह तुमने मेरे लिए भी नहीं किया'। और ये अनन्त दण्ड भोगने जायेंगे, परन्तु धर्मी अनन्त जीवन में प्रवेश करेंगे।”

प्रभु का सुसमाचार।