यदि तुम अपने बीच में से अत्याचार दूर करोगे, किसी पर अभियोग नहीं लगाओगे और किसी की निन्दा नहीं करोगे, यदि तुम भूखों को अपनी रोटी खिलाओगे और पद्दलितों को तृप्त करोगे, तो अंधकार में तुम्हारी ज्योति का उदय होगा और तुम्हारा अंधकार दिन का प्रकाश बन जायेगा। प्रभु निरन्तर तुम्हारा पथप्रदर्शन करेगा। वह मरुभूमि में भी तुम्हें तृप्त करेगा और तुम्हें शक्ति प्रदान करता रहेगा। तुम सींचे हुए उद्यान के सदृश बनोगे, जलस्रोत के सदृश, जिसकी धारा कभी नहीं सूखती। तब तुम पुराने खँडहरों का उद्धार करोगे और पूर्वजों की नींव पर अपना नगर बसाओगे। तुम चारदीवारी की दरारें पाटने वाले और टूटे-फूटे घरों के पुनर्नि्माता कहलाओगे। यदि तुम विश्राम-दिवस का नियम भंग करना छोड़ दोगे और उस पावन दिवस को कार-बार नहीं करोगे; यदि तुम उसे आनन्द का दिन, प्रभु को अर्पित तथा सम्मानीय दिवस समझोगे; यदि उसके आदर में यात्रा पर नहीं जाओगे और कारबार या व्यापार नहीं करोगे; तो तुम्हें प्रभु का आनन्द प्राप्त होगा। मैं तुम लोगों को देश के पर्वत प्रदान करूँगा और तुम्हारे पिता याकूब की विरासत में तृप्त करूँगा। यह प्रभु का कहना है।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु ! अपना मार्ग मुझे दिखा, जिससे मैं तेरी सच्चाई पर चल सकूँ।
1. हे प्रभु! मेरी प्रारना सुन, मुझे उत्तर दे। मैं दरिद्र और अभागा हूँ। मेरी रक्षा कर। मैं तेरा भक्त हूँ। तुझ पर भरोसा है। अपने दास को बचा।
2. हे प्रभु! तू ही मेरा ईश्वर है। मुझ पर दया कर। मैं दिन भर तुझे पुकारता हूँ। हे प्रभु ! अपने दास को आनन्द प्रदान कर। मैं तेरी आराधना करता हूँ।
3. हे प्रभु ! तू भला है, दयालु है और अपने पुकारने वालों के लिए प्रेममय। हे प्रभु ! मेरी प्रार्थना सुनने और मेरी दुहाई पर ध्यान देने की कृपा कर।
प्रभु कहता है, “मैं पापी की मृत्यु से नहीं, बल्कि इस से प्रसन्न हूँ कि वह पश्चात्ताप करे और अनन्त जीवन के पथ पर आगे बढ़े।”
येसु ने लेवी नामक नाकेदार को चुंगीघर में बैठा हुआ देखा और उस से कहा, “मेरे पीछे चले आओ''। वह उठ खड़ा हो गया और अपना सब कुछ छोड़ कर येसु के पीछे हो लिया। लेवी ने अपने यहाँ येसु के सम्मान में एक बड़ा भोज दिया। नाकेदार और मेहमान बड़ी संख्या में उनके साथ भोजन पर बैठे। फरीसी और शास्त्री भुनभुना कर उनके शिष्यों से कहने लगे, “तुम लोग नाकेदारों और पापियों के साथ क्यों खाते-पीते हो? '' येसु ने उन्हें उत्तर दिया, “नीरोगों को नहीं, रोगियों को वैद्य की जरूरत होती है। मैं धर्मियों को नहीं, पापियों को पश्चात्ताप के लिए बुलाने आया हूँ।”
प्रभु का सुसमाचार।