प्रभु-ईश्वर यह कहता है, “'पूरी शक्ति से पुकारो, तुरही की तरह अपनी आवाज ऊँची करो - मेरी प्रजा को उनके अपराध और याकूब के वंश को उनके पाप सुनाओ।” “वे मुझे प्रतिदिन ढूँढ़ते हैं और मेरे मार्ग जानना चाहते हैं। एक ऐसे राष्ट्र की तरह जिसने धर्म का पालन किया हो और अपने ईश्वर की संहिता नहीं भुलायी हो, वे मुझ से सही निर्णय की आशा करते और ईश्वर का सान्निध्य चाहते हैं। (वे कहते हैं), 'हम क्यों उपवास करते हैं, और तू देखता भी नहीं। हम क्यों तपस्या करते हैं, और तू ध्यान भी नहीं देता। ' देखो, उपवास के दिनों तुम अपना कार-बार करते और अपने सब मजदूरों से कठोर परिश्रम लेते हो।' “तुम उन दिनों लड़ाई-झगड़ा करते और करारे मुक्के मारते हो। तुम आजकल जो उपवास करते हो, इस से स्वर्ग में तुम्हारी सुनवाई नहीं होगी। क्या मैं इस प्रकार का उपवास, ऐसी तपस्या का दिन चाहता हूँ, जिस में मनुष्य सरकंडे की तरह अपना सिर झुकाये और टाट तथा राख पर लेट जाये? क्या तुम इसे उपवास और ईश्वर को सुग्राह्म दिवस कहते हो? मैं जो उपवास चाहता हूँ, वह इस प्रकार हैं - अन्याय की बेड़ियों को तोड़ डालो, जूए के बन्धन खोल दो, पददलितों को मुक्त करो और हर प्रकार की गुलामी समाप्त कर दो। अपनी रोटी भूखों के साथ खाओ, बेघर दरिद्रों को अपने यहाँ ठहराओ। जो नंगा है, उसे कपड़े पहनाओ और अपने भाई से मुँह न मोड़ो। तब तुम्हारी ज्योति उषा की तरह फूट निकलेगी और तुम्हारा घाव शीघ्र ही भर जायेगा।” “तुम्हारी धार्मिकता तुम्हारे आगे-आगे चलेगी और ईश्वर की महिमा तुम्हारे पीछे-पीछे आती रहेगी। यदि तुम पुकारोगे, तो ईश्वर उत्तर देगा। यदि तुम दुहाई दोगे तो वह कहेगा - देखो, मैं प्रस्तुत हूँ।”
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : है प्रभु ! तू पश्चात्तापी दीन-हीन हृदय का तिरस्कार नहीं करेगा।
1. हे ईश्वर ! तू दयालु है, मुझ पर दया कर। तू दयासागर है, मेरा अपराध क्षमा कर। मेरी दुष्टता पूर्ण रूप से धो डाल, मुझ पापी को शुद्ध कर।
2. मैं अपना अपराध स्वीकार करता हूँ, मेरा पाप निरन्तर मेरे सामने है। मैंने तेरे विरुद्ध पाप किया है, जो काम तेरी दृष्टि में बुरा है, वही मैंने किया है।
3. तू बलिदान से प्रसन्न नहीं होता; यदि मैं होम चढ़ाता, तो तू उसे स्वीकार नहीं करता। मेरा पश्चात्ताप ही मेरा बलिदान होगा। तू पश्चात्तापी दीन-हीन हृदय का तिरस्कार नहीं करेगा।
प्रभु की वाणी।
भलाई करो और बुराई से बचते रहो। तुम जीवन प्राप्त करोंगे और प्रभु तुम्हारे साथ होगा।
योहन के शिष्य एक दिन आ कर कहने लगे,’‘ हम और फरीसी उपवास किया करते हैं। आपके शिष्य ऐसा क्यों नहीं करते? ”' येसु ने उन से कहा, “क्या जब तक दुलहा साथ है, बाराती शोक मना सकते हैं? किन्तु वे दिन आयेंगे, जब दुलहा उन से बिछुड़ जायेगा। उन दिनों वे उपवास करेंगे।”
प्रभु का सुसमाचार।