चालीसा काल - राख बुधवार

पहला पाठ

नबी योएल का ग्रन्थ 2:12-18

“अपने वस्त्र फाड़ कर नहीं, बल्कि हृदय से पश्चात्ताप करो।”

प्रभु यह कहता है, अब तुम लोग उपवास करो और रोते तथा शोक मनाते हुए पूरे हृदय से मेरे पास लौट आओ।” अपने वस्त्र फाड़ कर नहीं, बल्कि हृदय से पश्चात्ताप करो और अपने प्रभु-ईश्वर के पास लौट जाओ; क्योंकि वह करुणामय, दयालु, अत्यन्त सहनशील और दयासागर है और वह सहज ही द्रवित हो जाता है। क्या जाने, वह द्रवित हो जाये और तुम्हें आशीर्वाद प्रदान करे। तब तुम लोग अपने प्रभु-ईश्वर को बलि और तर्पण चढ़ाओगे। सियोन पर्वत पर तुरही बजाओ। उपवास घोषित करो। सभा की बैठक बुलाओ। जनता को इकट्ठा करो; बूढ़ों, बालकों और दुधमुँहे बच्चों को भी बुला लो। दुलहा और दुलहिन अपना कमरा छोड़ कर चले आयें। प्रभु-ईश्वर की सेवा करने वाले याजक मंदिर में बेदी के सामने रोते हुए इस प्रकार प्रार्थना करें, “ हे प्रभु ! अपनी प्रजा पर दया कर। अपने लोगों का अपमान न होने दे, राष्ट्रों में उनका उपहास न होने दे। गैरयहूदी यह न कहने पायें कि उनका ईश्वर कहाँ रह गया।'' तब प्रभु ने अपने देश की सुध ली और अपनी प्रजा को बचा लिया।

प्रभु की वाणी।

भजन - स्तोत्र 50,3-6,12-14,17

अनुवाक्य : है प्रभु ! दया कर, क्योंकि हमने पाप किया है।

1. हे ईश्वर ! तू दयालु है, मुझ पर दया कर। तू दयासागर है, मेरा अपराध क्षमा कर। मेरी दुष्टता पूर्ण रूप से धों डाल, मुझ पापी को शुद्ध कर।/p>

2. मैं अपना अपराध स्वीकार करता हूँ, मेरा पाप निरन्तर मेरे सामने है। मैंने तेरे विरुद्ध पाप किया है, जो काम तेरी दृष्टि में बुरा है, वही मैंने किया है।

3. हे ईश्वर ! मेरा हृदय फिर शुद्ध कर और मेरा मन सुदृढ़ बना। अपने सान्निध्य से मुझे दूर न कर और अपने पवित्र आत्मा को मुझ से न हटा।

4. मुक्ति का आनन्द मुझे फिर प्रदान कर और उदारता में मेरा मन सुदृढ़ बना। हे प्रभु ! तू मेरे होंठ खोल दे और मेरा कंठ तेरा गुणगान करेगा।

दूसरा पाठ

कुरिंथियों के नाम सन्त पौलुस का दूसरा पत्र 5:20-6:2

“आप लोग ईश्वर से मेल कर लें - यही उपयुक्त समय है।”

हम मसीह के राजदूत हैं, मानो ईश्वर हमारे द्वारा आप लोगों से अनुरोध कर रहा हो। हम मसीह के नाम पर आप लोगों से यह विनती करते हैं कि आप लोग ईश्वर से मेल कर लें। मसीह का कोई भी पाप नहीं था; फिर भी ईश्वर ने हमारे कल्याण के लिए उन्हें पाप का भागी बना दिया, जिससे हम उनके द्वारा ईश्वर की पवित्रता के भागी बन सकें। ईश्वर के सहयोगी होने के नाते हम आप लोगों से यह अनुरोध करते हैं कि ईश्वर की जो कृपा आप को मिली है, उसे व्यर्थ न होने दें। क्योंकि वह कहता है - मैंने उपयुक्त समय में तेरी सुनी है, मैंने कल्याण के दिन तेरी सुध ली है। और देखिए, अभी उपयुक्त समय है, अभी कल्याण का दिन है।

प्रभु की वाणी।

जयघोष : स्तोत्र 94:8

आज अपना हृदय कठोर न बनाओ और ईश्वर की वाणी पर ध्यान दो।

सुसमाचार

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 6:1-6,16-18

“तुम्हारा पिता, जो सब कुछ देखता है, तुम्हें पुरस्कार देगा।”

येसु ने अपने शिष्यों से कहा, “सावधान रहो। लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए अपने धर्मकार्यों का प्रदर्शन न करो, नहीं तो तुम अपने स्वर्गिक पिता के पुरस्कार से वंचित रह जाओगे।” “जब तुम दान देते हो, तो इसका ढिंढोरा नहीं पिटवाओ। ढोंगी सभागृहों और गलियों में ऐसा ही किया करते हैं, जिससे लोग उनकी प्रशंसा करें। मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ - वे अपना पुरस्कार पा चुके हैं। जब तुम दान देते हो, तो तुम्हारा बायाँ हाथ यह न जानने पाये कि तुम्हारा दायाँ हाथ क्या कर रहा है। तुम्हारा दान गुप्त रहे और तुम्हारा पिता, जो सब कुछ देखता है, तुम्हें पुरस्कार देगा।” “ढोंगियों की तरह प्रार्थना नहीं करो। वे सभागृहों में और चौकों पर खड़ा हो कर प्रार्थना करना पसन्द करते हैं, जिससे लोग उन्हें देख सकें। मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ - वे अपना पुरस्कार पा चुके हैं। जब तुम प्रार्थना करते हो, अपने कमरे में जा कर द्वार बन्द कर लो और एकांत में अपने पिता से प्रार्थना करो। तुम्हारा पिता, जो एकांत को भी देखता है, तुम्हें पुरस्कार दंगा।'” “ढोंगियों की तरह मुँह उदास बना कर उपवास नहीं करो। वे अपना मुँह मलिन कर लेते हैं, जिससे लोग यह समझें कि वे उपवास कर रहे हैं। मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ - वे अपना पुरस्कार पा चुके हैं। जब तुम उपवास करते हो, तो अपने सिर में तेल लगाओ और अपना मुँह धो लो, जिससे लोगों को नहीं, केवल तुम्हारे पिता को, जो अदृश्य है, यह पता चले कि तुम उपवास कर रहे हो। तुम्हारा पिता, जो अदृश्य को भी देखता है, तुम्हें पुरस्कार देगा।”

प्रभु का सुसमाचार।