पवित्र हृदय का धर्मानुष्ठान – वर्ष C

पहला पाठ

नबी एज़ेकिएल का ग्रंथ 34:11-16

"मैं स्वयं अपनी भेड़ों को चराऊँगा और उन्हें विश्राम की जगह दिखाऊँगा।"

प्रभु-ईश्वर यह कहता है, "मैं स्वयं अपनी भेड़ों की सुध लूँगा और उनकी देख-भाल करूँगा। भेड़ों के भटक जाने पर जिस तरह गड़ेरिया उनका पता लगाने जाता है, उसी तरह मैं अपनी भेड़ें खोजने जाऊँगा। कुहरे और अँधेरे में जहाँ कहीं वे तितर-बितर हो गयी हैं, मैं उन्हें वहाँ से छुड़ा लाऊँगा। मैं उन्हें राष्ट्रों में से निकाल कर और विदेशों से एकत्र कर उनके अपने देश में लौटा लाऊँगा। मैं उन्हें इस्राएल के पहाड़ों पर, घाटियों में और देश भर के बसे हुए स्थानों पर चराऊँगा। मैं उन्हें अच्छे चरागाहों में ले चलूँगा। वे इस्राएल के पर्वतों पर चरेंगी। वहाँ वे अच्छे चारागाहों में विश्राम करेंगी। और इस्राएल के पर्वतों की हरी-भरी भूमि में चरेंगी। प्रभु कहता है मैं स्वयं अपनी भेड़ें चराऊँगा और उन्हें विश्राम करने की जगह दिखाऊँगा। जो भेड़ें खो गयी हैं, मैं उन्हें खोज निकालूंगा; जो भटक गयी हैं, मैं उन्हें लौटा लाऊँगा; जो घायल हो गयी हैं, उनके घावों पर पट्टी बाँधूंगा; जो पवित्र हृदय बीमार हैं, उन्हें चंगा करूंगा; जो मोटी और भली-चंगी हैं, उनकी देख-रेख करूँगा। मैं उनका सच्चा चरवाहा होऊँगा।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 22

अनुवाक्य : प्रभु मेरा चरवाहा है। मुझे किसी बात की कमी नहीं।

1. प्रभु मेरा चरवाहा है। मुझे किसी बात की कमी नहीं। वह मुझे हरे मैदानों में चराता है। वह मुझे विश्राम के लिए जल के निकट ले जा कर मुझ में नवजीवन का संचार करता है। वह अपने नाम का सच्चा है, वह मुझे धर्म-मार्ग पर ले चलता है।

2. चाहे अँधेरी घाटी हो कर जाना ही क्यों न पड़े, मुझे किसी अनिष्ट की आशंका नहीं; क्योंकि तू मेरे साथ रहता है। तेरी लाठी, तेरे डण्डे पर मुझे भरोसा है।

3. तू मेरे शत्रुओं के देखते-देखते मेरे लिए खाने की मेज़ सजाता है। तू मेरे सिर पर तेल का विलेपन करता है। तू मेरा प्याला लबालब भर देता है।

4. इस प्रकार तेरी भलाई और तेरी कृपा से मैं जीवन भर घिरा रहता हूँ। प्रभु का मंदिर ही मेरा घर है; मैं उस में अनन्त काल तक निवास करूँगा।

दूसरा पाठ

रोमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 5:5-11

"ईश्वर का प्रेम हमारे हृदयों में उमड़ पड़ा है।"

आशा व्यर्थ नहीं होती, क्योंकि ईश्वर ने हमें पवित्र आत्मा को प्रदान किया है और उसी के द्वारा ईश्वर का प्रेम हमारे हृदयों में उमड़ पड़ा है। हम निस्सहाय ही थे, जब मसीह निर्धारित समय पर विधर्मियों के लिए मर गये। धार्मिक मनुष्य के लिए शायद ही कोई अपने प्राण अर्पित करे। फिर भी हो सकता है कि भले मनुष्य के लिए कोई मरने को तैयार हो जाये, किन्तु हम पापी ही थे जब मसीह हमारे लिए मर गये थे; इस से ईश्वर ने हमारे प्रति अपने प्रेम का प्रमाण दिया है। जब हम मसीह के रक्त के कारण धार्मिक माने गये, तो हम निश्चय ही मसीह के द्वारा ईश्वर के दण्ड से बच जायेंगे। हम शत्रु ही थे जब ईश्वर के साथ हमारा मेल उसके पुत्र की मृत्यु द्वारा हो गया था; और उसके साथ मेल हो जाने के बाद हम उसके पुत्र के जीवन द्वारा निश्चय ही बच जायेंगे। इतना ही नहीं, अब तो हमारे प्रभु येसु मसीह के द्वारा ईश्वर से हमारा मेल हो गया है, इसलिए हम उन्हीं के द्वारा ईश्वर पर भरोसा रख कर आनन्दित हैं।

प्रभु की वाणी।

जयघोष

(अल्लेलूया, अल्लेलूया !) प्रभु कहते हैं, "भला गड़ेरिया मैं हूँ। मैं अपनी भेड़ों को जानता हूँ और मेरी भेड़ें मुझे जानती हैं।" (अल्लेलूया !)

सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 15:3-7

"एक पश्चात्तापी पापी के लिए स्वर्ग में आनन्द मनाया जायेगा।

येसु ने फ़रीसियों और शास्त्रियों को यह दृष्टान्त सुनाया, "यदि तुम्हारे एक सौ भेड़ें हों और उन में से एक भी भटक जाये, तो तुम लोगों में ऐसा कौन होगा जो निन्यानबे भेड़ों को निर्जन प्रदेश में छोड़ कर न चला जाये और उस भटकी हुई को तब तक न खोजता रहे, जब तक वह उसे नहीं पाये? पाने पर वह आनन्दित हो कर उसे अपने कंधों पर रख लेता है और घर आ कर अपने मित्रों और पड़ोसियों को बुलाता है और उन से कहता है, 'मेरे साथ आनन्द मनाओ, क्योंकि मैंने अपनी भटकी हुई भेड़ को पा लिया है।" मैं तुम से कहता हूँ, उसी प्रकार निन्यानबे धर्मियों की अपेक्षा, जिन्हें पश्चात्ताप की आवश्यकता नहीं है, एक पश्चात्तापी पापी के लिए स्वर्ग में अधिक आनन्द मनाया जायेगा।

प्रभु का सुसमाचार।