सालेम का राजा मेलकीसेदेक रोटी और अंगरी लाया। वह सर्वोच्च ईश्वर का याजक था और उसने यह कह कर आशीर्वाद दिया, "स्वर्ग और पृथ्वी का सृष्टिकर्त्ता, सर्वोच्च ईश्वर इब्राहीम को आशीर्वाद प्रदान करे। धन्य है सर्वोच्च ईश्वर, जिसने तुम्हारे शत्रुओं को तुम्हारे अधीन कर दिया है।" तब इब्राहीम ने उसे सब चीजों का दशमांश दिश।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : तुम मेलकीसेदेक की तरह सदा ही पुराहित बने रहोगे।
1. ईश्वर ने मेरे प्रभु से कहा - तुम मेरे दाहिने बैठ जाओ, मैं तुम्हारे शत्रुओं को तुम्हारे पैरों तले डालूँगा।
2. ईश्वर उन्हें सियोन में महान् राज्याधिकार प्रदान करेगा, तुम अपने शत्रुओं पर शासन करोगे।
3. जिस दिन तुम्हारा जन्म हुआ था, उस दिन से तुम्हें पवित्र पर्वत पर, सियोन पर, राज्याधिकार प्राप्त है।
4. ईश्वर की यह शपथ अपरिवर्तनीय है - तुम मेलकीसेदेक की तरह सदा ही पुरोहित बने रहोगे।
मैंने प्रभु से सुना और आप लोगों को भी यही बता दिया है कि जिस रात को प्रभु येसु पकड़वाये गये, उन्होंने रोटी ले कर धन्यवाद की प्रार्थना पढ़ी और उसे तोड़ कर कहा - यह मेरा शरीर है, यह तुम्हारे लिए है। यह मेरी स्मृति में किया करो। इसी प्रकार ब्यारी के बाद उन्होंने प्याला ले कर कहा - यह प्याला मेरे रक्त का नूतन विधान है। जब-जब तुम उस में से पियो, तो यह मेरी स्मृति में किया करो। इसलिए जब-जब आप यह रोटी खाते और यह प्याला पीते हैं, तो प्रभु के आने तक उनकी मृत्यु की घोषणा करते हैं।
प्रभु की वाणी।
(अल्लेलूया, अल्लेलूया !) प्रभु कहते हैं, "स्वर्ग से उतरी हुई रोटी मैं हूँ। यदि कोई वह रोटी खाये, तो वह सदा जीवित रहेगा। " (अल्लेलूया !)
येसु ने लोगों का स्वागत किया, ईश्वर के राज्य के विषय में उन को शिक्षा दी और बीमारों को अच्छा किया। अब दिन ढलने लगा था। बारहों ने उनके पास आ कर कहा, "लोगों को विदा कर दीजिए, जिससे वे आसपास के गाँवों और बस्तियों में जा कर रहने और खाने का प्रबंध कर सकें - यहाँ तो हमलोग निर्जन स्थान में हैं।" येसु ने उन्हें उत्तर दिया, "तुम लोग ही उन्हें खाना दे दो।" उन्होंने कहा, "हमारे पास तो केवल पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ ही हैं। क्या आप चाहते हैं कि हम स्वयं जा कर उन सबों के लिए खाना खरीदें?" वहाँ लगभग पाँच हजार पुरुष थे। येसु ने अपने शिष्यों से कहा, "पचास-पचास करके उन्हें बैठा दो।" उन्होंने ऐसा ही किया और सब को बैठा दिया। तब येसु ने वे पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ ले ली, स्वर्ग की ओर आँखें उठा कर उन पर आशिष की प्रार्थना पढ़ी और उन्हें तोड़-तोड़ कर वह अपने शिष्यों को देने लगे ताकि वे उन्हें लोगों में बाँट दें। सबों ने खाया और खा कर तृप्त हो गये, और बचे हुए टुकड़ों से बारह टोकरे भर गये।
प्रभु का सुसमाचार।