प्रभु येसु ख्रीस्त के पवित्र शरीर और लोहु का धर्मानुष्ठान – वर्ष A

पहला पाठ

विधि-विवरण ग्रंथ 8:2-3,14-16

“ईश्वर ने तुम लोगों को मन्ना खिलाया, जिसे पहले न तो तुम जानते थे और न तुम्हारे पूर्वज।”

मूसा ने लोगों से कहा, "चालीस वर्ष की मरुभूमि की वह यात्रा याद रखो, जिसके लिए तुम्हारे प्रभु-ईश्वर ने तुम लोगों को बाध्य किया था। उसने तुम्हें दीन-हीन बनाने के लिए ऐसा किया, तुम्हारी परीक्षा लेने के लिए, तुम्हारे मनोभाव का पता लगाने के लिए वह जानना चाहता था कि तुम लोग उसकी आज्ञाओं का पालन करोगे या नहीं। उसने तुम्हें दीन-हीन बना दिया और तुम्हें भूखा रहने दिया। तब उसने तुम्हें मन्ना खिलाया, जिसे पहले न तो तुम जानते थे और न तुम्हारे पूर्वज। वह तुम्हें यह शिक्षा देना चाहता था कि मनुष्य रोटी से ही नहीं जीता है। मनुष्य ईश्वर के मुख से निकलने वाले हर एक शब्द से जीता है। अपने प्रभु-ईश्वर को मत भुलाओ। उसने तुम लोगों को मिस्र देश से - दासता के घर से निकाल लिया। उसने इस विशाल भयंकर मरुभूमि में विषैले साँपों, बिच्छुओं और प्यास के देश में - तुम्हारा पथप्रदर्शन किया। उसने इस जलहीन स्थान में तुम्हारे लिए कठोर चट्टान में से पानी निकाला। उसने तुम लोगों को इस मरुभूमि में मन्ना खिलाया, जिसे तुम्हारे पूर्वज नहीं जानते थे।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 147:12-15,19-20

अनुवाक्य : जो यह रोटी खायेगा, वह सदा ही जीता रहेगा। (अथवा : अल्लेलूया !)

1. हे येरुसालेम ! प्रभु की स्तुति कर। हे सियोन ! अपने ईश्वर का गुणगान कर। उसने तेरे फाटकों के छड़ सुदृढ़ बना दिये, उसने तेरे यहाँ के बच्चों को आशीर्वाद दिया।

2. वह तेरे प्रांतों में शांति बनाये रखता और तुझे उत्तम गेहूँ से तृप्त करता है। वह पृथ्वी को अपना आदेश देता है। उसकी वाणी शीघ्र ही फैल जाती है।

3. वह याकूब को अपना आदेश देता और इस्त्राएल को अपना विधान तथा नियम बताता है, उसने किसी अन्य राष्ट्र के साथ ऐसा नहीं किया; उसने किसी को अपना नियम नहीं सिखाया।

दूसरा पाठ

कुरिंथियों के नाम सन्त पौलुस का पहला पत्र 10:16-17

“रोटी तो एक ही है, इसलिए अनेक होने पर भी हम एक हैं।"

क्या आशिष का वह प्याला, जिस पर हम आशिष की प्रार्थना पढ़ते हैं, हमें मसीह के रक्त के सहभागी नहीं बनाता? क्या वह रोटी, जिसे हम तोड़ते हैं, हमें मसीह के शरीर के सहभागी नहीं बनाती? रोटी तो एक ही है, इसलिए अनेक होने पर भी हम एक हैं; क्योंकि हम सब एक ही रोटी के सहभागी हैं।

प्रभु की वाणी।

जयघोष

(अल्लेलूया, अल्लेलूया !) प्रभु कहते हैं, "स्वर्ग से उतरी हुई रोटी मैं हूँ। यदि कोई वह रोटी खाये, तो वह सदा जीवित रहेगा। " (अल्लेलूया !)

सुसमाचार

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 6:51-58

"मेरा मांस सच्चा भोजन है और मेरा रक्त सच्चा पेय।"

येसु ने यहूदियों से कहा, "स्वर्ग से उतरी वह जीवन्त रोटी मैं हूँ। यदि कोई यह रोटी खाये, तो वह सदा जीवित रहेगा। जो रोटी मैं दूँगा, वह संसार के जीवन के लिए अर्पित मेरा मांस है।" यहूदी आपस में यह कहते हुए वाद-विवाद कर रहे थे, "यह हमें खाने के लिए अपना मांस कैसे दे सकता है?" इसलिए येसु ने उन से कहा, “मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ - यदि तुम मानव पुत्र का मांस नहीं खाओगे और उसका रक्त नहीं पियोगे, तो तुम्हें जीवन प्राप्त नहीं होगा। जो मेरा मांस खाता और मेरा रक्त पीता है, उसे अनन्त जीवन प्राप्त होता है और मैं उसे अंतिम दिन पुनर्जीवित कर दूंगा; क्योंकि मेरा मांस सच्चा भोजन है और मेरा रक्त सच्चा पेय। जो मेरा मांस खाता और मेरा रक्त पीता है, वह मुझ में निवास करता है और मैं उस में। जिस तरह जीवन्त पिता ने मुझे भेजा है और मुझे पिता से जीवन मिलता है, उसी तरह जो मुझे खाता है, उस को मुझ से जीवन मिलेगा। यही वह रोटी है, जो स्वर्ग से उतरी है। यह उस रोटी के सदृश नहीं है, जिसे तुम्हारे पूर्वजों ने खाया था। वे तो मर गये, किन्तु जो यह रोटी खायेगा, वह अनन्त काल तक जीवित रहेगा।"

प्रभु का सुसमाचार।