प्रज्ञा पुकार कर कहती है, "आदि में, प्रभु ने अन्य कार्यों से पहले मेरी सृष्टि की है। प्रारम्भ में, पृथ्वी की उत्पत्ति से पहले, अनन्त काल पूर्व ही मेरी सृष्टि हुई है। जिस समय मेरा जन्म हुआ, न तो महासागर था और न उमड़ते जल-स्स्रोत थे। मैं पर्वतों की स्थापना से पहले, पहाड़ियों से पहले उत्पन्न हुई थी। जब उसने पृथ्वी, समतल भूमि तथा संसार के मूल-तत्त्व बनाये, तो मेरा जन्म हो चुका था। जब उसने आकाश-मंडल का निर्माण किया और महासागर के चारों ओर वृत्त खींचा, तो मैं विद्यमान थी। जब उसने बादलों का स्थान निर्धारित किया और समुद्र के स्रोत उमड़ने लगे, जब उसने समुद्र की सीमा निश्चित की - जिससे जल तट का अतिक्रमण न करे - जब उसने पृथ्वी की नींव डाली, उस समय मैं कुशल शिल्पकार की भाँति उसके साथ थी। मैं नित्यप्रति उसका मनोरंजन करती और उसके सम्मुख क्रीड़ा करती रही, मैं पृथ्वी पर सर्वत्र क्रीड़ा करती और मनुष्यों के साथ मनोरंजन करती रही।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु ! हमारे ईश्वर ! तेरा नाम समस्त पृथ्वी पर कितना महान् है !
1. जब मैं तेरे बनाये हुए आकाश, चाँद और तारे देखता हूँ, तो सोचने लगता हूँ- मनुष्य क्या है, जो तू उसकी सुध ले? आदम का पुत्र क्या है, जो तू उसकी देखभाल करे?
2. तूने उसे स्वर्गदूत से कुछ ही कम बनाया और उसे महिमा तथा सम्मान का मुकुट पहनाया। तूने उसे अपनी सृष्टि पर अधिकार दिया और सब कुछ उसके पैरों तले डाल दिया।
3. सब भेड़-बकरियों, गाय-बैलों और जंगल के बनैले पशुओं को; आकाश के पक्षियों, समुद्र की मछलियों और सारे जलचारी जन्तुओं को।
ईश्वर ने हमारे विश्वास के कारण हमें धार्मिक माना है। हम अपने प्रभु येसु मसीह द्वारा ईश्वर से मेल बनाये रखें। मसीह ने हमारे लिए उस अनुग्रह का द्वार खोला है, जो हमें प्राप्त हो गया है। हम इस बात पर गौरव करें कि हमें ईश्वर की महिमा के भागी बनने की आशा है। इतना ही नहीं, हम दुःख-तकलीफ़ पर भी गौरव करें, क्योंकि हम जानते हैं कि दुःख-तकलीफ़ से धैर्य, धैर्य से दृढ़ता, और दृढ़ता से आशा उत्पन्न होती है। आशा व्यर्थ नहीं होती, क्योंकि ईश्वर ने हमें पवित्र आत्मा को प्रदान किया है और उसी के द्वारा ईश्वर का प्रेम हमारे हृदयों में उमड़ पड़ा है।
प्रभु की वाणी।
(अल्लेलूया, अल्लेलूया !) पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा को महिमा ! उसी ईश्वर को, जो है, जो था और जो आने वाला है। (अल्लेलूया !)
"मुझे तुम लोगों से और बहुत कुछ कहना है, परन्तु अभी तुम वह नहीं सह सकते। जब वह सत्य का आत्मा आयेगा, तो वह तुम्हें पूर्ण सत्य तक ले जायेगा; क्योंकि वह अपनी ओर से नहीं कहेगा, बल्कि वह, जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा और तुम्हें आने वाली बातों के विषय में बतायेगा। वह मुझे महिमान्वित करेगा, क्योंकि उसे मेरी ओर से जो मिला है, वह तुम्हें वही बतायेगा। जो कुछ पिता का है, वह मेरा है। इसलिए मैंने कहा कि उसे मेरी ओर से जो मिला है, वह तुम्हें वही बतायेगा।
प्रभु का सुसमाचार।