पास्का का सातवाँ सत्पाह - शनिवार प्रातः का मिस्सा

पहला पाठ

प्रेरित-चरित 28:16-20,30-31

पौलुस रोम में रह कर ईश्वर के राज्य का संदेश सुनाता था।

जब हम रोम पहुँचे, तो पौलुस को यह अनुमति मिली कि वह पहरा देने वाले सैनिक के साथ जहाँ चाहे, रह सकता है। तीन दिन बाद पौलुस ने प्रमुख यहूदियों को अपने पास बुलाया और उनके एकत्र हो जाने पर उन से कहा, "भाइयो! मैंने न तो राष्ट्र के विरुद्ध कोई अपराध किया और न पूर्वजों की प्रथाओं के विरुद्ध, फिर भी मुझे बन्दी बनाया और येरुसालेम में रोमियों के हवाले कर दिया गया है। वे सुनवाई के बाद मुझे रिहा करना चाहते थे, क्योंकि मैंने प्राणदण्ड के योग्य कोई अपराध नहीं किया था। किन्तु जब यहूदी इसका विरोध करने लगे, तो मुझे कैसर से अपील करनी ही पड़ी, यद्यपि मुझे अपने राष्ट्र पर कोई अभियोग नहीं लगाना था। इसलिए मैंने आप लोगों से मिलने और बातें करने का निवेदन किया, क्योंकि इस्राएल की आशा के कारण मैं यह जंजीर पहना हूँ।” पौलुस पूरे दो वर्ष तक अपने किराये के मकान में रहा। वह सभी मिलने वालों का स्वागत करता था और आत्मविश्वास के साथ निर्विघ्न रूप से ईश्वर के राज्य का संदेश सुनाता और प्रभु येसु मसीह के विषय में शिक्षा देता था।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 10:5-6,8

अनुवाक्य : जो सच्चे हैं, वे प्रभु के दर्शन करेंगे। (अथवा : अल्लेलूया!)

1. प्रभु अपने मंदिर में विराजमान है, प्रभु का सिंहासन स्वर्ग में है। वह संसार को देखता रहता है, उसकी आँखें मनुष्यों को परखती हैं।

2. प्रभु धर्मी और विधर्मी, दोनों की परीक्षा लेता है। वह कुकर्मियों से बैर करता है। प्रभु न्यायी है और न्याय उसे प्रिय है। जो सच्चे हैं, वे प्रभु के दर्शन करेंगे।

जयघोष

अल्लेलूया! प्रभु कहते हैं, "मैं सत्य का आत्मा तुम्हारे पास भेजूंगा। वह तुम्हें पूर्ण सत्य तक ले जायेगा।” अल्लेलूया!

सुसमाचार

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 21:20-25

"यह वही शिष्य है, जिसने यह लिखा है। उसका साक्ष्य सत्य है।”

पेत्रुस ने मुड़ कर उस शिष्य को पीछे-पीछे आते देखा, जिसे येसु प्यार करते थे और जिसने ब्यारी के समय उनकी छाती पर झुक कर पूछा था, 'प्रभु! वह कौन है, जो आप को पकड़वायेगा? ' पेत्रुस ने उसे देख कर येसु से पूछा, "प्रभु! इसका क्या होगा?” येसु ने उसे उत्तर दिया, "यदि मैं चाहूँ कि यह मेरे आने तक रह जाये तो इस से तुम्हें क्या? तुम मेरा अनुसरण करो।” यही कारण है कि भाइयों में यह अफवाह फैल गयी कि वह शिष्य नहीं मरेगा। परन्तु येसु ने यह नहीं कहा कि 'यह नहीं मरेगा', बल्कि यह कि 'यदि मैं चाहूँ कि यह मेरे आने तक रह जाये, तो इस से तुम्हें क्या?” यह वही शिष्य है, जो इन बातों का साक्ष्य देता है और जिसने यह लिखा है। हम जानते हैं कि उसका साक्ष्य सत्य है। येसु ने और भी बहुत-से कार्य किये हैं। यदि एक-एक करके उनका वर्णन किया जाता, तो मैं समझता हूँ कि जो पुस्तकें लिखी जातीं, वे संसार भर में भी नहीं समा पातीं।

प्रभु का सुसमाचार।