पास्का का सातवाँ सत्पाह - बृहस्पतिवार

पहला पाठ

प्रेरित-चरित 22:30; 23:6-11

"तुम को रोम में भी साक्ष्य देना है।”

दूसरे दिन कप्तान ने पौलुस के बंधन खोल दिये और महायाजकों तथा समस्त महासभा को एकत्र हो जाने का आदेश दिया; क्योंकि वह यह निश्चित रूप से जानना चाहता था कि यहूदी पौलुस पर कौन-सा अभियोग लगाते हैं। तब उसने पौलुस को ले जा कर महासभा के सामने खड़ा कर दिया। पौलुस यह जानता था कि महासभा में दो दल हैं- एक सदूकियों का और दूसरा फरीसियों का। इसलिए उसने पुकार कर कहा, "भाइयो! मैं हूँ फरीसी और फरीसियों की सन्तान! मृतकों के पुनरुत्थान की आशा के कारण मुझ पर मुकदमा चल रहा है।” पौलुस के इन शब्दों पर फरीसियों तथा सदूकियों में विवाद होने लगा और उन में फूट पड़ गयी; क्योंकि सदूकियों की धारणा है कि न तो पुनरुत्थान है, न स्वर्गदूत और न आत्मा। परन्तु फरीसी इन पर विश्वास करते हैं। इस प्रकार बड़ा कोलाहल मच गया। फरीसी दल के कुछ शास्त्री खड़े हो गये और पुकार कर कहने लगे, "हम इस मनुष्य में कोई दोष नहीं पाते। यदि कोई आत्मा अथवा स्वर्गदूत उस से कुछ बोला हो, तो ...।” विवाद बढ़ता जा रहा था और कप्तान को डर हो रहा था कि कहीं वे पौलुस के टुकड़े-टुकड़े न कर दें; इसलिए उसने सैनिकों को आदेश दिया कि वे सभा में जा कर पौलुस को उनके बीच में से निकाल लें और छावनी ले जायें। उसी रात को प्रभु पौलुस को दिखाई दिये और बोले, "धीर बने रहो। तुमने येरुसालेम में जिस तरह मेरे विषय में साक्ष्य दिया है, तुम को उसी तरह रोम में भी साक्ष्य देना है।”

भजन : स्तोत्र 15:1-2,5,7-11

अनुवाक्य : हे ईश्वर! तुझ पर ही भरोसा है। तू मेरी रक्षा कर। (अथवा : अल्लेलूया!)

1. हे ईश्वर! तुझ पर ही भरोसा है। तू मेरी रक्षा कर। मैं प्रभु से कहता हूँ, "तू ही मेरा ईश्वर है।” हे प्रभु! तू मेरा सर्वस्व और मेरा भाग्य है। तेरे ही हाथों में मेरा जीवन है।

2. मैं अपने परामर्शदाता ईश्वर को धन्य कहूँगा। मेरा अन्तःकरण रात को भी मुझे मार्ग दिखाता है। प्रभु सदा ही मेरी आँखों के सामने रहता है। वह मेरे दाहिने विद्यमान है, इसलिए मैं दृढ़ बना रहता हूँ।

3. मेरा हृदय आनन्दित है, मेरी आत्मा प्रफुल्लित है, और मेरा शरीर भी सुरक्षित रहेगा; क्योंकि तू मेरी आत्मा को अधोलोक में नहीं छोड़ेगा, तू अपने भक्त को कब्र में गलने नहीं देगा।

4. तू मुझे जीवन का मार्ग दिखायेगा। तेरे पास रह कर परिपूर्ण आनन्द प्राप्त होता है, तेरे दाहिने सदा के लिए सुख-शांति है।

जयघोष

अल्लेलूया! प्रभु कहते हैं, "हे पिता! जिस तरह तू मुझ में है और मैं तुझ में, उसी तरह वे भी हम में एक हो जायें, जिससे संसार यह विश्वास करे कि तूने मुझे भेजा है।” अल्लेलूया!

सुसमाचार

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 17:20-26

"वे पूर्ण रूप से एक हो जायें।”

येसु ने अपनी आँखें ऊपर उठायीं और यह कहा, "हे परमपावन पिता! मैं न केवल इनके लिए विनती करता हूँ, बल्कि उनके लिए भी जो इनकी शिक्षा सुन कर मुझ में विश्वास करेंगे। सब के सब एक हो जायें। हे पिता, जिस तरह तू मुझ में है और मैं तुझ में, उसी तरह वे भी हम में एक हो जायें, जिससे संसार यह विश्वास करे कि तूने मुझे भेजा है। "तूने मुझे जो महिमा प्रदान की है, वह मैंने उन्हें दे दी, जिससे वे हमारी ही तरह एक हो जायें - मैं उन में रहूँ और तू मुझ में, जिससे वे पूर्ण रूप से एक हो जायें और संसार यह जान ले कि तूने मुझे भेजा है और तूने जैसे मुझे प्यार किया है, वैसे ही उन्हें भी प्यार किया है। "हे पिता! मैं चाहता हूँ कि तूने जिन्हें मुझे सौंपा है, वे, जहाँ मैं हूँ, मेरे साथ रहें जिससे वे मेरी महिमा देख सकें, जिसे तूने मुझे प्रदान किया है। क्योंकि तूने संसार की सृष्टि से पहले मुझे प्यार किया है। "हे न्यायी पिता! संसार ने तुझे नहीं जाना। परन्तु मैंने तुझे जाना है और ये जान गये कि तूने मुझे भेजा है। मैंने इन पर तेरा नाम प्रकट किया है और प्रकट करता रहूँगा, जिससे तूने जो प्रेम मुझे दिया है, वह प्रेम इन में बना रहे और मैं भी इन में बना रहूँ।”

प्रभु का सुसमाचार।